ऐतिहासिक किसान आंदोलन और कोरोना की भीषण त्रासदी के बीच हरियाणा का बहुप्रतीक्षित बजट पेश कर दिया गया। 2 घंटे 40 मिनट की अब तक की सबसे लंबी बजट स्पीच और 63 पेज के भारी भरकम बजट दस्तावेज के बावजूद किसान, बेरोजगार और कारोबार जगत को ढूंढने से भी शायद ही उनके लिए इसमें कुछ नया मिल पाए। हालत यह है कि सरकार ने यह भी बताना मुनासिब नहीं समझा कि राज्य पर कर्ज कितना है। बेरोजगारी के भयावह संकट से गुजर रहे राज्य के युवाओं के लिए रोजगार कॉलम को महज 13 लाइन में सीमित कर दिया गया। यही नहीं बजट में दिखाई 13 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी में भी आंकड़ों का खेल है।
हरियाणा के लिए वर्ष 2021-22 के लिए पेश बजट में ‘बागों में बहार है’ जैसी तस्वीर प्रदेश की पेश की गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वित्तमंत्री के तौर पर 1,55,645 करोड़ का बजट पेश करते हुए प्रदेश की गुलाबी तस्वीर दिखाने की तस्वीर जरूर की, लेकिन आंकड़ों की जुबानी ही सच्चाई सामने आ गई। वर्ष 2020-21 का बजट तकरीबन 1 लाख 42 हजार करोड़ का था, जो अब 1,37,738 का अनुमानित बताया जा रहा है। आंकड़ों का खेल यहीं से आरंभ हो जाता है। वर्तमान बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दिखाई गई है, जो पिछले वर्ष के वास्तविक बजट से न होकर 1 लाख 37 हजार करोड़ से दिखाई गई है। सरकार ने दावा किया है कि वह ऋण देयता को नियंत्रित करने में सफल रही है। पर हैरानी की बात है कि प्रदेश पर कर्ज की रकम ही नहीं बताई गई है। इसे महज प्रतिशत में दिखाकर निपटा दिया गया है। बजट पेश करने के बाद इस पर मीडिया के कई सवालों के बाद भी मुख्यमंत्री इसे टाल गए।
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संशोधित अनुमान पेश करते हुए बताया गया है कि 2020-21 में ऋण का सकल राज्य घरेलू उत्पाद अनुपात 23.27 प्रतिशत अनुमानित है। आगामी वर्ष के बजट अनुमान 2021-22 के लिए यह 25.92 प्रतिशत अनुमानित है। दावा किया गया है कि यह ऋण 2021-22 के लिए 15वें वित्त आयोग की ओर से निर्धारित सकल राज्य घरेलू उत्पाद की 32.6 प्रतिशत की सीमा से बहुत कम है, जबकि एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश पर तकरीबन 2.28 लाख करोड़ का कर्ज है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बैठें किसानों के हाथ इस बजट में मायूसी ही मिली है। फिर पुरानी बातों को दोहराते हुए कहा गया है कि हम किसानों की आय दोगुनी करने, उनका कल्याण और उत्थान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गेहूं, चना, सरसों, सुरजमुखी, धान, बाजरा, मक्का, मूंग और मूंगफली को हम न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रहे हैं, जबकि यह बात सरकार पहले ही कह चुकी है। जरूरत तो इस बात की थी कि सरकार कहती कि यह फसलें पूरी की पूरी वह किसानों से एमएसपी पर खरीदेगी।
गेहूं, धान और सरसों की खरीद के पिछले वर्ष के आंकड़े गिनाए गए हैं। पिंजौर में सेब मंडी, गुरुग्राम में पुष्प मंडी और सोनीपत के सेरसा में मसाला मंडी विकसित करने की बात एक बार फिर कही गई है, जो पहले भी अनगिनत बार कही जा चुकी है। देश में सर्वाधिक बेरोजगारी के शिकार हरियाणा के युवाओं के लिए रोजगार कॉलम को महज 13 लाइनों में समेट दिया गया है। वर्तमान के बदतरीन हालात की तस्वीर और रोजगार के पिछले आंकड़ों से सरकार ने दूरी बनाना ही बेहतर समझा है, जबकि दो वर्ष पहले के बजट में सरकार ने ओला और उबर में ड्राइवर की नौकरी पाने वालों को भी अपनी उपलब्धि में शामिल कर बजट दस्तावजे में दर्ज किया था।
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कुछ भविष्य के लिए इसमें सपने जरूर दिखाए गए हैं, जो नाकाफी हैं। इसमें कहा गया है कि सरकार का लक्ष्य 2021-22 में निजी क्षेत्र में हरियाणा के युवाओं को न्यूनतम 50 हजार नौकरियों से जोड़ना है। सक्षम युवा योजना के तहत हरियाणा कौशल विकास मिशन प्लेसमेंट सेल के माध्यम से 14,710 सक्षम युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। अगले एक वर्ष के अंदर 1.5 लाख सक्षम युवाओं को लाभ देने की बात भी कही गई है। हालांकि, सीएम ने बाद में मीडिया से कहा कि पिछले पांच वर्ष में उन्होंने 80,000 नौकरियां युवाओं को दी हैं और इस पांच साल के टर्म में 1 लाख युवाओं को वह नौकरी देंगे, लेकिन बजट दस्तावेज में इस बात का उल्लेख न होने का उनके पास कोई जवाब नहीं था। उद्वोग और वाणिज्य को लेकर भी अधिकतर बातों का दोहराव ही है। राज्य में एक लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करने और पांच लाख रोजगार सृजित करने का लक्ष्य बताया गया है, लेकिन इसका रोडमैप नदारद है। पंचकूला एवं हिसार को स्मार्ट और विकासशील शहर के रूप में विकसित करने का वादा किया गया है, लेकिन राज्य के पिछले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का अंजाम क्या हुआ इसे बताने की जहमत नहीं उठाई गई है।
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मानेसर को ग्लोबल सिटी और कुरुक्षेत्र के लिए दिब्य कुरुक्षेत्र नामक महात्वाकांक्षी परियोजना बताई गई है। वर्ष 2020-21 के दौरान फरवरी 2021 तक 26038 करोड़ रुपये का राजस्व कलेक्शन बताया गया है, जबकि गत वर्ष अप्रैल से फरवरी 2020 तक की इसी अवधि के दौरान 23381 करोड़ रुपये का राजस्व कलेक्शन हुआ था। यह चालू वित्त वर्ष में 11.36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्शाता है। इस वर्ष एक अनुमान के मुताबिक कोई भी विभाग अपने आवंटित बजट को पूरा खर्च नहीं कर पाया है और राजस्व कलेक्शन भी इतना बेहतर है तो सरकार अपने सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन और एरियर क्यों नहीं दे पा रही है, इसका जवाब उसके पास नहीं है। वर्ष 2014-2020 की अवधि में हरियाणा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद की वार्षिक औसत वृद्धि दर 6.24 प्रतिशत दिखाई गई है, जो 2014-15 में 370534.51 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 528069.75 करोड़ रुपये हो गई। दावा किया गया है कि इसी दौरान अखिल भारतीय वास्तविक सकल घरेलु उत्पाद की वार्षिक औसत वृद्धि दर 4.28 प्रतिशत से यह बेहतर है। यह भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में 2020-21 7.96 प्रतिशत का संकुचन हुआ, जबकि हरियाणा में इसी अवधि के दौरान राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 5.65 प्रतिशत संकुचन दर्ज किया गया।
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नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इतनी लंबी बजट स्पीच कभी नहीं देखी और उसमें भी खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाली हालत हुई है। बजट सिर्फ शब्दों की बाजीगरी है। हुड्डा ने कहा कि 5.87 लाख के एमओयू और दो लाख रोजगार देने का पहले भी वादा किया गया था उसका क्या हुआ। 5100 रूपये बुढ़ापा पेंशन देने के वादे का क्या हुआ। कुछ नहीं तो डीजल पर वैट ही कम कर देते, जिससे लोगों को महंगाई से कुछ राहत मिल जाती। नेता विरोधी दल ने कहा कि बजट का 54.6 प्रतिशत तो रेवेन्यू डेफिसिट में चला जाएगा, जबकि 40.3 प्रतिशत वेतन और पेंशन पर चला जाएगा। इसके बाद बचेगा महज 5 प्रतिशत, जिससे सरकार कितना विकास कर लेगी।
आज प्रदेश में कर्ज का बोझ इतना है कि पैदा होती ही हर बच्चे के सिर पर एक लाख रुपये का लोन होता है। राज्य पर कर्ज सवा दो लाख करोड़ से अधिक हो गया है। किसानों की आय का आलम यह है कि यह प्रति किसान 63000 रुपये पहुंच गई है। हुड्डा ने कहा कि हमने 10 बिंदुओं पर सरकार को सुझाव दिए थे, जिसमें एक भी नहीं माना गया। एनएसएसओ और सीएमआई के मुताबिक प्रदेश बेरोजगारी में नंबर वन है। भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि सभी की उम्मीदें बजट से टूट गई हैं। कर्मचारी, गरीब, किसान और युवा समेत किसी को इसमें काई राहत नहीं है।
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