विचार

Gandhi Jayanti 2024: महात्मा गांधी का सेक्युलरिज्म अर्थात भारत का सेक्युलरिज्म!

गांधी जी ने कहा था कि यदि कोई मेरी आस्था पर हमला करेगा तो मैं अपने धर्म की रक्षा करते हुए अपनी जान भी दे दूंगा। परंतु यदि मेरे पड़ोस में किसी अन्य धर्म का पालन करने वाला परिवार रहता है और उसकी आस्था पर कोई हमला करता है तो मैं उसकी रक्षा करते हुए भी अपनी जान दे सकता हूं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

इस समय सम्पूर्ण देश में इस बात पर बहस जारी है कि सेक्युलरिज्म भारतीय मूल्य है या यूरोपीय है। इस बात पर बहस तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा प्रारंभ की गई। परंतु जिस सेक्युलरिज्म को हम मानते हैं, जिस सेक्युलरिज्म को इस देश की बहुसंख्यक जनता मानती है वह पूरी तरह से भारतीय है। हम सेक्युलरिज्म की इस परिभाषा को मानते हैं जो बापू ने की है। उनका धर्मनिरपेक्षता या सेक्युलरिज्म के प्रति जो विचार था वह ही हमारा विचार है।

गांधी जी की नज़र में धर्मनिरपेक्षता क्या है? उन्होंने अनेक अवसरों पर इसकी परिभाषा की थी। हमारा तमिलनाडु के राज्यपाल से अनुरोध है कि वे भी गाँधीजी द्वारा परिभाषित सेक्युलरिज्म को स्वीकार करें। गांधी जी की समाज व्यवस्था का आधार था धर्मनिरपेक्षता। उनसे एक विदेशी पत्रकार ने पूछा कि यह कैसे हो सकता है कि आप धार्मिक हैं और धर्मनिरपेक्ष भी। उनका उत्तर था हां मैं धार्मिक हूं और धर्मनिरपेक्ष भी। मेरी मेरे सनातन धर्म में अगाध आस्था है। यदि कोई मेरी आस्था पर हमला करेगा तो मैं अपने धर्म की रक्षा करते हुए अपनी जान भी दे दूंगा। परंतु यदि मेरे पड़ोस में किसी अन्य धर्म का पालन करने वाला परिवार रहता है और उसकी आस्था पर कोई हमला करता है तो मैं उसकी रक्षा करते हुए भी अपनी जान दे सकता हूं। यह है गांधी जी का सेक्युलरिज्म अर्थात भारत का सेक्युलरिज्म।

Published: undefined

इस समय हमारे देश में धर्म के आधार पर प्रायः संघर्ष की स्थिति निर्मित हो जाती है। परंतु ऐसी स्थिति में हम तटस्थ हो जाते हैं और मूक दर्शक बनकर खून-खराबा होने देते हैं। यहां तक कि हमारी पुलिस भी तमाशबीन बन जाती है। पिछले 70 वर्षों में हमारे देश में धार्मिक वैमनस्य के कारण हुए दंगों से देश काफी कमजोर हुआ है। गांधीजी ने साम्प्रदायिक दंगों को रोकने के लिए मैदानी संघर्ष किया। नौआखली और दिल्ली के दंगों के दौरान उनकी भूमिका इतिहास का हिस्सा बन गई। धार्मिक अल्पसंख्य की सुरक्षा और विकास गांधीजी की धर्मनिरपेक्षता का अभिन्न अंग था।

एक अवसर पर गांधीजी ने कहा था यदि आजाद भारत में अल्पसंख्यक, दलित और स्त्रियां अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं करेंगीं तो वह भारत मेरे सपनों का भारत नहीं होगा। मेरे भारत में छुआछूत नहीं होगी। मेरे भारत में सभी को अपने धर्म का पालन करने का पूरा अधिकार होगा। मेरे भारत के नागरिकों को कोई यह आदेश नहीं देगा कि वह क्या खाए और क्या न खाए, क्या पहने और क्या न पहने। मेरे भारत की सरकार सभी धर्मों के अनुयायियों को बराबर सुरक्षा देगी और किसी एक धर्म को संरक्षण प्रदान नहीं करेगी।

Published: undefined

गांधीजी की इच्छा थी कि भारत एक लोकतंत्र बने। उनकी मान्यता थी कि लोकतंत्र में ही धर्मनिरपेक्ष समाज का अस्तित्व हो सकता है। उनके लोकतंत्र में ऐसी राजनीतिक पार्टियों का कोई स्थान नहीं होगा जो संकुचित, स्वार्थों को बढ़ावा दें, जो सिर्फ पैसे की ताकत से सत्ता पर कब्जा करें और जो षड़यंत्र करके सत्ता हथियाएं। लोकतंत्रात्मक समाज में पुलिस और सेना की क्या भूमिका होगी इसके बारे में गांधीजी के स्पष्ट विचार थे। गांधीजी के अनुसार आजाद भारत में पुलिस व सेना पूरी तरह से निष्पक्ष होनी चाहिए।

उसका मुख्य कर्तव्य देश में शांति और भाईचारा स्थापित करना होना चाहिए। उन्हें गरीबों और असहायों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें हमेशा अल्पसंख्यकों और दलितों के अधिकारों का संरक्षण करना चाहिए। स्वयं पुलिस व सेना के भीतर जाति तथा धर्म के आधार पर विभाजन नहीं होना चाहिए। गांधीजी का कहना था कि धार्मिक समरसता के साथ-साथ सभी के सिर पर छांव, सभी को भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिलनी चाहिए। सभी को सुलभता से न्याय प्राप्त होना चाहिए। सभी के बीच सीमेंट के समान एकता रहनी चाहिए। मैं स्वयं इस एकता के लिए सीमेंट की भूमिका अदा करने को तैयार हूं। इस एकता के लिए मैं अपना खून भी दे सकता हूं और गांधीजी ने ऐसा किया भी।

Published: undefined

नाथूराम गोडसे गांधी जी के इन्हीं विचारों से नाराज था और इसी के चलते उसने बापू की हत्या की और बापू ने यह सिद्ध कर दिया कि उन्होंने इस समरसता को कायम रखने के लिए सीमेंट का काम किया। जान ब्रिले, जिन्होंने ‘गांधी‘ फिल्म की पांडुलिपि लिखी थी, से पूछा गया कि आपने ‘गांधी‘ फिल्म की पांडुलिपि क्यों लिखी? उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘मुझे गांधीजी के अभूतपूर्व साहस, उनकी नम्रता, उनकी प्रतिबद्धता, सहनशीलता, उनकी दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की चुंबकीय शक्ति, जिस शक्ति से गांधीजी विभिन्न संस्कृतियों के जीते-जागते प्रतीक जवाहरलाल नेहरू और हठ की हद तक दृढ़ निश्चयी और रूखे व्यक्तित्व के धनी सरदार पटेल को अपनी ओर आकर्षित कर सके।

‘‘उनमें अद्भुत संगठन क्षमता थी, इसी क्षमता के बलबूते उन्होंने कांग्रेस को, जो शुरू में एक क्लब था, एक ताकतवर संगठन बना दिया। विरोध प्रकट करने के वे ऐसे तरीके निकालते थे जिनकी कोई कल्पना तक नहीं कर सकता था। नमक सत्याग्रह उनका ऐसा ही एक नायाब तरीका था। दांडी यात्रा के अंत में मुट्ठी भर नमक बनाते हुए उन्होंने यह कहा था कि इसके द्वारा मैंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने हरियाणा और देश भर से आए खिलाड़ियों के एक समूह से की मुलाकात, उनकी समस्याओं को सुना

  • ,
  • अर्थजगतः ईरान-इजरायल संघर्ष का भारतीय कंपनियों के कारोबार पर होगा असर और शेयर बाजार में आएगी आईपीओ की सुनामी

  • ,
  • बिहारः बाढ़ राहत में लगा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पानी में ही करनी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग, सभी सवार सुरक्षित

  • ,
  • हरियाणा विधानसभा चुनाव: यह लड़ाई अन्याय और दुष्टों के खिलाफ है, बीजेपी को सत्ता से हटाना है, जुलाना की रैली में प्रियंका

  • ,
  • खेल: बुमराह बने नंबर-1 टेस्ट बॉलर, अश्विन से छीना ताज और महिला T20 WC 2024 में पहली बार होगा इस सिस्टम का प्रयोग