विचार

आकार पटेल का लेख: एस जयशंकर और स्वार्थी झूठ की कूटनीति

एक अच्छे राजनयिक को अपने देश की सेवा करनी होती है, हमारे विदेश मंत्री इस नियम को अपनी पार्टी पर लागू करते हैं। कोई बात नहीं, लेकिन क्या होगा अगर झूठ से उस देश पर ही हमला हो जिसकी सेवा उस राजनयिक को करनी है?

विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर 

चार शताब्दी पहले, राजदूत सर हेनरी वॉटन ने एक राजनयिक की परिभाषा बताई थी। उन्होंने कहा था एक राजनयिक वह ‘ईमानदार व्यक्ति होता है जिसे अपने देश की भलाई के लिए दूसरे देश में झूठ बोलने के लिए भेजा जाता है।‘

हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ('एस' का अर्थ उनके पिता सुब्रह्मण्यम हैं, जिन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम का अस्त्रीकरण करने और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी) सरकार के एक शानदार प्रवक्ता हैं। वह पिछली सरकार के लिए भी एक अच्छे प्रवक्ता थे, उस दौरान वे सरकारी सेवाल में थे। इसलिए, वह जो कहते हैं, उसे उनका निजी विचार नहीं माना जाना चाहिए: उन्हें हमारे देश की भलाई के लिए विदेश में झूठ बोलने के लिए भेजा जाता है।

इन दिनों वह वाशिंगटन में हैं और दुनिया को भारत में हो रहे महान कार्यों के बारे में बता रहे हैं। उनकी एक बैठक में, एक पत्रकार ने उनसे वह मानक प्रश्न पूछा जिसका सामना बीजेपी नेताओं को विदेश में होने पर करना पड़ता है: आप अन्य भारतीयों, विशेषकर मुसलमानों को क्यों निशाना बना रहे हैं? समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जयशंकर ने जवाब दिया: 'मैं भेदभाव दिखाने के लिए आपकी अवहेलना करता हूं।'

Published: undefined

यह साफ जाहिर है और इसे कम से कम उन लोगों को तो दिखाने की जरूरत नहीं है जो आंख-कान खुले रखते हैं। लेकिन चूंकि दावा कर दिया गया है, इसलिए इस पर बात करने की जरूरत है।

तीन स्तर हैं, जिनके आधार पर बीजेपी भेदभाव करती है। पहला है लोगों को अलग-थलग करके। इतिहास में पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई मुसलमान नहीं है, न ही मध्य प्रदेश सरकार में कोई मंत्री है, इसके अलावा भी देश में कहीं भी कोई भी मुसलमान बीजेपी विधायक नहीं है (बीजेपी के करीब 1000 विधायक हैं देश भर में), और एक समुदाय को अलग-थलग किए जाने से लोगों को हैरानी नहीं हुई है। अगर अमेरिका जो बाइडेन की पार्टी में कोई अफ्रीकी-अमेरिकी या हिस्पैनिक सांसद या कांग्रेसमैन या स्टेट लेजिस्लेटर नहीं होगा तो बवाल हो जाएगा। लेकिन हमारे यहां यह एक सामान्य बात बना दी गई है।

Published: undefined

दूसरा तरीका वह है जिसमें बीजेपी कानूनों के जिरे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाती है। बीफ लिंचिंग को देश में हिंसा की एक नई श्रेणी के तौर पर सामने रख दिया गया है, खासतौर से प्रधानमंत्री द्वारा अपने एक भाषण में ‘पिंक रिवॉल्युशन’ का मुद्दा उठाए जाने के बाद से। इसके बाद से बीजेपी शासित दो राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा ने 2015 में कानून बना दिया जिसमें बीफ रखने को अपराध का दर्जा दे दिया गया। इसके फौरन बाद ही देश में लिंचिंग की घटनाएं होने लगीं।

2019 में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), भारत के गृह मंत्री के अनुसार दुधारी तलवार का एक एक हिस्सा है। इसका दूसरा हिस्सा है राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी)। उन्होंने इसे इस तरह समझाया कि इसका मकसद पड़ोसी देशों से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को छांट कर निकालना और फिर उसके बाद मुसलमानों के पीछे पड़ जाना था।

देश में आज मुसलमान एकमात्र भारतीय हैं जिनके लिए तलाक एक अपराध है। बाकी सभी के लिए यह एक सिर्फ एक सामाजिक ग़लती है। ऐसा 2019 में लाए गए एक कानून के जरिए किया गया। 2018 में शुरु करके बीजेपी सरकारों ने ऐसे कानून बनाना शुरु किए जिनके तहत अंतर-धार्मिक विवाह को अपराध करार दे दिया गया, और इसे लव जिहाद का नाम दिया गया। बीजेपी ने संसद में एक प्रश्न के जवाब में स्वीकार किया कि लव जिहाद जैसी कोई चीज भारत में नहीं है, लेकिन इसके लिए कानून तो चाहिए।

Published: undefined

मध्य प्रदश में सरकार ने 2021 में ऐसा कानून बना दिया जिसमें उसे बाल विवाह समेत किसी भी विवाह को खारिज करने का अधिकार मिल गया। ऐसे ही कानून अन्य बीजेपी शासित राज्यों उत्तराखंड में 2018 में, हिमाचल प्रदेश में 2019 में, उत्तर प्रदेश में 2020 में, गुजरात और मध्य प्रदेश में 2021 में और कर्नाटक और हरियाणा में 2022 में बना दिए गए।

गुजरात ने 2019 में एक कानून में संशोधन कर ऐसा नियम बना दिया जिससे मुस्लिम मजबूर होकर किसी एक ही जगह पर इकट्ठा होकर रहने को मजबूर हो जाएं। इस कानून संशोधन से जिला कलेक्टर को अधिकार मिल गया कि वह अनियमित बसावट को आधार मानकर किसी भी संपत्ति की बिक्री या लीज को रद्द कर सके। इसका अर्थ हुआ कि गुजरात के मुसलमान गुजरात में कहीं भी कोई संपत्ति खरीद या किराए पर नहीं ले सकते, जबकि विदेशी ऐसा कर सकते।

गुजरात में 2017 में गौ हत्या के लिए सजा का प्रावधान था, लेकिन इसे आर्थिक अपराध माना गया और इसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा था। देश में कहीं भी किसी भी आर्थिक अपराध के लिए (बैंकों से हजारों करोड़ की धोखाधड़ी करने पर भी) आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान नहीं है। तो फिर इसमें सजा का प्रावधान क्यों बढ़ाया गया। जाहिर है मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए।

Published: undefined

हाल ही में सामने आया कि उत्तर प्रदेश में 139 लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया, इनमें से 76 पर पशु हत्या के आरोप हैं। ऐसी तमाम मिसालें हैं। लेकिन आइए अब तीसरे तरीके की बात करते हैं जिसमें एस जयशंकर अल्पसंख्यकों से भेदभाव की बात कर रहे हैं और वह है उनकी पार्टी के कृत्यों के माध्यम से।

जयशंकर की पार्टी की सरकार के निर्देश पर 2022 में एक मुस्लिम गुजराती महिला के बलात्कार के दोषियों को रिहा कर दिया गया। इन बलात्कारियों ने महिला की नवजात बेटी की हत्या भी की थी। एक मुस्लिम की पीट-पीटकर हत्या करने के दोषी लोगों को 2018 में जयशंकर के साथी केंद्रीय मंत्री ने माला पहनाकर सम्मानित किया था। जयशंकर के सांसद संसद के अंदर मुसलमानों को गाली देते हैं। उनके सहयोगी क्या बातें कहते हैं और कहते रहे हैं उसकीसूची बहुत लंबी है, और शायद कोई और उसे संकलित करे।

Published: undefined

यह कहने के बाद कि उन्होंने क्या किया, उन्हें पुरस्कृत किया गया है। एक महिला जिसने मुसलमानों को कुछ ऐसा कहा जिसे यहां नहीं लिखा जा सकता, वह केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय में मंत्री है, और वह आदमी भी जिसने कहा था कि अगर सभी मुसलमानों को चले जाने के लिए कहा जाए तो भारत आज बेहतर होगा। जयशंकर बैठकों में ऐसे लोगों के साथ, उनके बगल में बैठते हैं।

फिर, इन तथ्यों को देखकर हममें से किसी को हैरानी नहीं होती, क्योंकि हम 2014 से ही इन सबके साथ रह रहे हैं। न केवल न्यू इंडिया में कट्टरता और पूर्वाग्रह और भेदभाव आम है, बल्कि यह एक कारण है कि जयशंकर और उनकी पार्टी राजनीतिक रूप से लोकप्रिय बन गई है। इसे उजागर करने का नतीजा वही होता है जो हमारे आसपास हो रहा है, और उन्हें दिखाई देता है जिनके आंख-कान खुले हुए हैं।

सभी देशों में खामियां हैं और राजनयिकों से विदेश में झूठ बोलने की उम्मीद की जाती है। लेकिन, एस जयशंकर को यह अवश्य बताया जाना चाहिए, यह उनके देश की भलाई के लिए है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined