अब से अगले साल मई तक जनता का मौसम है और जून से फिर अडानियों-अंबानियों का मौसम शुरू हो जाएगा। वैसे अंबानियों-अडानियों का मौसम कभी जाता नहीं, वह सदाबहार मौसम है।जनता का मौसम तो आकर भी नहीं आता। चुनाव खत्म होते ही यह बात उसे समझ में आ जाती है, जब टैक्स पर टैक्स लगने शुरू हो जाते हैं और चुनाव से पहले के वादों को थूक लगाकर नई सरकार चाटना शुरू कर देती है। उधर अडानियों-अंबानियों के टैक्स कम से कम होते-होते शून्य तक पहुंच जाते हैं और माइनस शून्य से नीचे जाना शुरू कर देते हैं। उनके सारे पुराने काम झटपट होने लग जाते हैं और नये काम की फेहरिस्त बाद में पहुंचती है, काम शुरू हो जाते हैं। जब चुनाव से पहले हाल ये है कि अंबानी जी का यूनिवर्सिटी-बिजनेस शुरू होने से पहले ही सरकार से विश्वस्तरीय होने का प्रमाणपत्र हासिल कर लेता है तो चुनाव के बाद क्या होगा रे रामा, ये तो गरीब रामा भी नहीं जानता!
बहरहाल लेट अस एन्ज्वॉय जनता का मौसम। इस समय सरकार अतिसंवेदनशील हो जाती है, इतनी ज्यादा कि जनता भी अपनी हालत के बारे में उतनी संवेदनशील नहीं होती। हृदय न हो तो भी उसके तमाम कपट-कपाट खुल जाते हैं। खजाना खाली हो तो उसकी चाबी जनता को दे दी जाती है कि जाओ चुनाव के बाद ये सारा माल तुम्हारा। हम तो फकीर हैं, योगी हैं, जैसे भी हो समय काट लेंगे। ये पांच साल जनता की चिंता में काटे हैं तो बाकी भी काट लेंगे। चिमटा लेकर कहीं चले जाएंगे वन में। खैर वन तो हम सारे कटवा चुके हैं, किसी रिजार्ट में, किसी फाइव स्टार में चले जाएंगे। नहीं तो अपनी भी नदी है, अपना भी डैम है, अपना भी महल है, वहां चले जाएंगे।
मध्य प्रदेश के स्वघोषित-स्वपोषित मामाजी आजकल गली-गली,चौराहे-चौराहे घोषणाएं कर रहे हैं।भानजे जी कहें कि मामाजी मेरे घर को मुख्यमंत्री निवास जैसा बना दो तो मामाजी कहेंगे कि अरे भतीजे, मैं यही तो करने जा रहा हूं। तुझे ये बात होठों तक लाने की जरूरत क्या थी। इसका मतलब तू अपने मामाजी को ठीक से नहीं समझता। बस मुझे वोट दे, जिता दे, फिर तेरा बंगला मुख्यमंत्री निवास जैसा क्या गवर्नर हाउस जैसा बनवा दूंगा। कोई कहे मामाजी मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे अपने गांव का राजा घोषित करवा दो। ‘अरे तेरा मामा हूं, इतना भी नहीं करवाया तो मेरा जनम लेना अकारथ गया। बस तू मामा-भांजे के इस सीक्रेट एग्रीमेंट की किसी को हवा भी मत लगने देना हो, वरना ये सारे जलकुकड़े तेरे और मेरे खिलाफ हो जाएंगे और तेरा मामा, तेरा भूतपूर्व मामा हो जाएगा और तू मेरा भूतपूर्व भतीजा! जब तक पद है, मैं मामाजी हूं। वरना तू जानता है कि कौन किसका मामा और कौन किसका भतीजा? कल तेरा भूतपूर्व मामा तुझसे कहेगा और भतीजे तू कैसा है, तो तू कहेगा- आप कौन? आपको किसने बनाया मेरा मामा, अपना रस्ता नापो। मेरे मामा का नाम तो बद्रीलाल है। तो भैया मेरे को भूतपूर्व मत होने देना वरना मामा-भतीजे का यह मजबूत रिश्ता खतरे में पड़ जाएगा और अपने को ये गलती नहीं करना है, हो। ठीक है भगवान ने फिर मिलाया तो फिर मिलेंगे पर वोट का ख्याल जरूर रखना। मामाजी की इज्जत बचाना।
Published: 15 Jul 2018, 7:59 AM IST
और मामाजी वो वायदा? कौनसा वायदा? अभी जो आपने किया था वो वायदा? अच्छा-अच्छा वो वाला,अरे वोईवाला! वो तो बस पूरा हो गया समझो। इधर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उधर भतीजे से किए गए उस वायदे कि उस फाइल पर फौरन साइन। ये ऐसा मामा है तेरा कि तू मेरे लिए मेरे बेटे-बेटी से भी बढ़कर है। लेकिन भतीजे वोट, तेरा नहीं, तेरे परिवार का भी नहीं, पूरे गांव का वोट चाहिए। तो मामाजी तमाम भतीजे-भतीजियों के आगे नतमस्तक हैं। और भतीजे-भतीजी पुराने जमाने के तो हैं नहीं कि मामाजी ने कहा है तो उनकी लाज रखनी ही पड़ेगी। पहले मध्य प्रदेश ही मुश्किल में था, अब मामाजी भी उस मुश्किल से अटैच हो गए हैं। मामाजी प्रणाम।
Published: 15 Jul 2018, 7:59 AM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 15 Jul 2018, 7:59 AM IST