कैसे-कैसे मंजर सामने आने लगे हैं !
गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं !!
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो !
ये कंवल के फूल मुरझाने लगे हैं !!
जी हां। हिंदी के ओजस्वी कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां आज देश भर में मचे कोलाहल, अव्यवस्था, अराजकता की बानगी प्रकट कर रही हैं। व्यवस्था की हठधर्मिता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये के परिणामस्वरूप भारतवर्ष की करोड़ों संतान स्वयं को छला हुआ और ठगा हुआ महसूस कर रही हैं। कोरोना नामक वैश्विक महामारी का दंश झेल रहा अंतिम आदमी आज लाचार, बेबस, असहाय, किंकर्तव्यविमूढ़ है।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अपने खून-पसीने से राष्ट्रनिर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले करोड़ो श्रमवीरों को गंभीरतापूर्वक आभास हो रहा है कि सरकार उनके साथ 'विधि की सम्यक प्रक्रिया' का अनुपालन करने में असमर्थ साबित हो रही है। दूसरे शब्दों में, प्रतीत हो रहा है कि 'मनुष्य और राज्य' के बीच का सदियों पुराना घोषित/अघोषित 'सामाजिक समझौता' सिद्धांत दरक रहा है।
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
हमारे पुरखों ने हजारों वर्ष पूर्व जिस सोशल कॉन्ट्रैक्ट को साक्षी मानकर विश्व के प्रथम गणतंत्र ( वैशाली) की बुनियाद रखने का काम किया था, आज उस अन्नपूर्णा भारत माता की संतानें दर-दर ठोकर खाने को अभिशप्त हैं। इस आधुनिक द्रुतगामी परिवहन सुविधा संपन्न युग में लाखों-करोडों लोगों को पैदल ही उनके प्रारब्ध पर सड़क पर उपेक्षित छोड़ देना क्या बर्बरता की पराकाष्ठा नहीं है!
अनगिनत दुधमुंहे बच्चे, बुजुर्ग, नर-नारी भूखे-प्यासे हजार-हजार किलोमीटर पैदल यात्रा करने को विवश और मजबूर हैं। यहां तक कि प्रतिदिन अनियंत्रित गाड़ियों द्वारा गाहे-बगाहे दर्जनों लोगों को जबरन अकाल मौत के मुंह में ढकेला जा रहा है। उत्तर प्रदेश के औरैया में सड़क दुर्घटना में एकसाथ 24 लोगों की हृदय विदारक मौत शासन-व्यवस्था पर एक प्रहार सरीखा है। ज्ञात हो कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (d) देश के नागरिकों को संपूर्ण देशभर में निर्बाध यात्रा करने का अधिकार प्रदान करता है। यह एक मूल अधिकार है।
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
विडंबना है कि जिन श्रमवीरों ने एक राष्ट्र के रुप में हमें सशक्त और मजबूत बनाया है, आज वे स्वयं निर्बल और मजबूर प्रतीत हो रहे हैं। जिस राष्ट्र की संप्रभुता 'एक विधान, एक प्रधान, एक संविधान' के दर्शन को समर्पित है, वहां के लोगों के साथ भूलवश भी दोहरा व्यवहार कैसे अपनाया जा सकता है! क्या ऐसा करना मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में नहीं आता है! क्या इसी दुर्दिन के लिए हमारे राष्ट्रनिर्माताओं ने 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि संसद के केंद्रीय कक्ष में 'नियति के साथ साक्षात्कार' किया था !
यक्ष प्रश्न हैं कि भारतवर्ष के करोड़ो मानव संसाधन के साथ ऐसा पाषाणकालीन, अन्यायोचित, अमानवीय व्यवहार क्यों किया जा रहा है, किसके द्वारा किया जा रहा है ? इस राष्ट्रव्यापी अराजकता के जिम्मेदार कौन लोग हैं? स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "मैं उस ईश्वर की पूजा करता हूं जिन्हें लोग मनुष्य कहते हैं।" अर्थात प्रत्येक मनुष्य में ईश्वरत्व है। ऐसे में क्या शासन व्यवस्था ने जनमानस के मतों का हरण नहीं किया है! लोकतंत्र की बुनियादी पिरामिड 'स्वतंत्रता-समानता-बंधुत्व' धूमिल होता प्रतीत हो रहा है। आज हमारा भारतवर्ष एक ऐसी अव्यवस्था का शिकार है जिसे देखकर कहा जा रहा है, "इधर कुंड उधर कुआं, बीच में सब धुआं ही धुआं!"
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
निश्चित रूप से एक राष्ट्र के रूप में हम संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे कठिन समय में भारतवर्ष की ग्रैंड ओल्ड पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पुरजोर तरीके से अपने दायित्वों का सम्यक निर्वहन सुचारुपूर्वक कर रही है। महान स्वतंत्रता सेनानी भोगाराजु पट्टाभि सीतारमैया ने कहा था, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतवर्ष की जीवनपर्यंत विचारधारा का सर्विस स्टेशन है। कांग्रेस संगठन के रूप में एक दार्शनिक ( दर्शन ) है, जबकि सरकार राजनीतिज्ञ होती है।”
ऐसे में राष्ट्र के ऊपर आए इस कोरोना महामारी त्रासदी के समय, अपनी गौरवशाली सेवा और त्याग भावना के अनुरूप सम्पूर्ण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस परिवार अपनी अध्यक्षा सोनिया गांधी जी के अनुभवी नेतृत्व में तन-मन-धन और कर्म से एक साथ राष्ट्र सेवा हेतु निरंतर आम आदमी साथ के साथ खड़ा है। देश में सर्वप्रथम 12 फरवरी को संभावित कोरोना संकट की चेतावनी देने से लेकर 16 मई को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सुखदेव विहार फ्लाई ओवर पहुंच कर श्रमवीरों के साथ परिचर्चा करके राहुल गांधी जी ने राष्ट्र को बखूबी अपनी दूरदर्शिता, उदारता और नेतृत्व कौशल की एक झलक प्रस्तुत करने का काम किया है।
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
कांग्रेस अनगिनत सामुदायिक किचेन के माध्यम से प्रतिदिन देशभर में लाखों लोगों के लिए भोजन की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित कर रही है। वहीं दूसरी ओर, लाखों श्रमवीरों को ससम्मान सड़क और रेल यात्रा के माध्यम से गरिमापूर्ण ढंग से उनके गृह जिला पहुंचाने का भागीरथ काम कर रही है। इस कार्य में कांग्रेस महासचिव सह उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी का प्रयास अत्यंत ही सराहनीय प्रतीत हो रहा है। विशेषकर उनके प्रयासों से राजस्थान में फंसे लोगों को सकुशल उनके गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश के लिए प्रस्थान कराना एक मानवीय और सराहनीय पहल है।
इस संकट में देखा जा रहा है कि कांग्रेस शासित राज्य सरकारें अत्यंत ही संवेदनशीलता और उदारता के साथ जनमानस के सेवार्थ तत्पर हैं। कोरोना से निबटने में राजस्थान का 'भीलवाड़ा मॉडल' पूरे देश में एक मॉडल बनकर उभरा है। साथ ही इंडियन युथ कांग्रेस परिवार अपने पराक्रमी और जुझारू अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के संयुक्त सचिव सह युवा कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारु के नेतृत्व में प्रतिदिन जनसेवा का एक नया प्रतिमान स्थापित कर रहा है।
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
यहां बता दें कि भारत एक संघीय राष्ट्र है। भारत के संविधान का पहला अनुच्छेद कहता है, "भारत राज्यों का संघ है।" एक ऐसा संघ जिसका गठन 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के मिलने से हुआ है। इसी उद्देश्य से संविधान की 7वीं अनुसूची में भारत सरकार और राज्य सरकारों के मध्य शक्तियों के विभाजन के उद्देश्य से निम्नलिखित 3 सूचियों का प्रावधान किया गया है। प्रस्तुत है मूल विषय सूचीः
1. केंद्रीय सूची- 97 विषय
2. राज्य सूची - 66 विषय
(नोट : राज्य सूची की विषय संख्या 1, 2 एवं 18 को छोड़कर बाकी अन्य समस्त शक्तियां केंद्रशासित प्रदेशों के पास भी समाहित हैं। ये तीन विषय हैं क्रमशः पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन)
3. समवर्ती सूची- 47 विषय।
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
ऐसे में संविधान की संघीय भावना के आलोक में भारत सरकार का यह कर्तव्य है कि उनके द्वारा राज्यों के ऊपर एकपक्षीय निर्णय आरोपित नहीं किया जाना चाहिए। जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन के अनुसार, 'जिस देश में प्रत्येक डेढ़ कोश (कोश दूरी मापने का प्राचीन भारतीय मापदंड है। मान्यता है कि 1 कोश लगभग 3 किलोमीटर के बराबर होता है ) की दूरी पर पानी और तीन कोश की दूरी पर वाणी का स्वाद और स्वरूप परिवर्तित हो जाता हो।'
ऐसे में इस विशाल भारतवर्ष में कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक निपटने के लिए आवश्यक है कि समस्त निर्णय रायसीना हिल्स से नहीं लेकर प्रान्तों को शक्तियां प्रत्यायोजित की जाएं। केंद्र-राज्य संबंध पर वर्ष 1983 में गठित सरकारिया आयोग के प्रतिवेदन में स्पष्ट कहा गया है, 'संघ नामक वृत का केंद्र दिल्ली है। जबकि राज्य वृत की परिधि हैं।' ऐसे में सहकारी संघवाद के अनुपालनार्थ भारतवर्ष अपने लोगों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने के अभियान में सफल हो सकता है।
इस प्रकार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा उनके 135 वर्ष के गरिमापूर्ण विहंगम इतिहास से प्राप्त प्रशासनिक अनुभवों का सहारा लेकर और समस्त राजनैतिक दलों के साथ संवाद स्थापित करके भारत सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के तमाम इच्छुक नागरिकों को उन्हें उनके गन्तव्य तक ससम्मान अविलंब पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। यही राष्ट्रहित है और यही राज धर्म भी।
Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST
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Published: 18 May 2020, 8:40 PM IST