विचार

अहम मुद्दों को मतदाता की सोच से जोड़ने का राष्ट्रीय एजेंडा तय करेगी कांग्रेस उदयपुर चिंतन शिविर में

इस शिविर का उद्देश्य किसी चुनाव के लिए घोषणा पत्र तैयार करना नहीं बल्कि आज के मुद्दों पर गहराई से विचार कर और उन्हें वोटर की सोच के साथ जोड़कर देखना है। साथ ही कांग्रेस की विचारधारा के विपरीत जड़े जमा चुकी सोच की काट की भी तैयारी होगी।

2013 में जयपुर में हुए कांग्रेस चिंतन शिविर की तस्वीर (फाइल फोटो : Getty Images
2013 में जयपुर में हुए कांग्रेस चिंतन शिविर की तस्वीर (फाइल फोटो : Getty Images Hindustan Times

उदयपुर का चिंतन शिविर कई मायनों में ऐतिहासिक है। यह शिमला, पंचमढ़ी, बेंगलुरु जैसे शिविरों की तरह ही खास पृष्ठभूमि में हो रहा है। पहले के सभी शिविरों का आयोजन विशेष स्थितियों में हुआ और इन्होंने निश्चित ही यूपीए-I और II के कार्यकाल के अलावा चुनावी राजनीति में भी बेहतर नतीजे दिए।

इसमें शक नहीं कि यूपीए को शानदार सफलता मिली लेकिन अफसोस है कि दस साल के इसके कार्यकाल के बाद वाले हिस्से में शीर्ष स्तर पर संकट रहा। यूपीए के दौरान व्यापक असर डालने वाले अभूतपूर्व फैसले लिए गए और इसके कुछ नतीजे ऐसे रहे जिनका अंदाजा नहीं था और इस वजह से बेशक कुछ तनाव पार्टी के अंदर से आया हो लेकिन मोटे तौर पर इसके लिए विभाजनकारी सियासत करने वाली ताकतें जिम्मेदार थीं क्योंकि जब उन्हें लगा कि वे सरकार के सामाजिक सुरक्षा (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर, मनरेगा, एनआरएचएम, आरटीई, वगैरह) और जनभागीदारी (आरटीआई, पंचायती राज) जैसे दूरगामी कदमों का मुकाबला नहीं कर सकते, तो उन्होंने कथित भ्रष्टाचार (2जी, कोयला ब्लॉक आवंटन) को मुद्दा बनाया। बेशक ये मामले न्यायपालिका की कसौटी पर हवाई साबित हुए लेकिन तब तक तो तमाम नेताओं की छवि बर्बाद हो चुकी थी और आर्थिक विकास पटरी से उतर चुका था।

Published: undefined

यह खींचतान राज्य चुनावों (दिल्ली) से लेकर राष्ट्रीय चुनावों तक बरकरार रही और इन दोनों में बहुसंख्यकवादी आकांक्षाओं का तड़का भी था। इसलिए जब हम खोई हुई सियासी जमीन पाने की तैयारी कर रहे हैं, हमारे पास ऐसे तमाम मुद्दे हैं जिन पर पूरी दृढ़ता के साथ प्रतिक्रिया देनी है, ऐसी तमाम बातें हैं जिन पर खुलकर बात करनी है। लेकिन सबसे जरूरी लड़ाई हमारे दिल और दिमाग में भारत के विचार को जीवित और सुरक्षित रखने की है। इसलिए यह चिंतन शिविर न सिर्फ एक सियासी पार्टी के तौर पर हमारे भविष्य के बारे में है बल्कि इस मायने में भी उतना ही अहम है कि इस मुश्किल वक्त में हम अपने देश की क्या और कैसे मदद कर सकते हैं।

2014 के बाद से भारत के सियासी और सामाजिक हालात में बहुत कुछ बदल गया है। भाजपा के प्रभुत्व और उसके सियासी नजरिये में बहुसंख्यकवादी सोच के आग्रह के अलावा भी कई अहम बदलाव दिख रहे हैं। जैसे, बड़े सपने देखने वाले युवा एक ताकत बनकर उभरे हैं, सियासत विरोध के चोले से निकलकर निहायत आक्रामक हो गई है, मीडिया सियासी बहसों में पक्ष लेने लगा है और वाणिज्य ने सियासत में अपने लिए जगह खोज ली है। भारी-भरकम प्रोपेगेंडा मशीनरी की तो बात ही छोड़िए, आज हम अकूत पैसे और भ्रमित दिमाग के अजीबो गरीब तालमेल का सामना कर रहे हैं। ये इतने प्रभावी हैं कि अर्थव्यवस्था के संकट से लेकर आसमान छूती कीमतें हाशिये पर चली गई हैं। इन हालात में हम अपनी प्रतिबद्धताओं में नई जान फूंकने और नियति की अंतिम लड़ाई की रणनीति तय करने उदयपुर चिंतन शिविर का रुख कर रहे हैं।

Published: undefined

उदयपुर शिविर तीन दिनों का होगा जिसमें लगभग चार सौ चुनिंदा नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे जिन्हें छह समूहों में बांटा जाएगा। इन समूहों का नेतृत्व अलग-अलग पैनल करेगा। पैनल राजनीतिक मामले, कृषि, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, अर्थशास्त्र, युवा और संगठन जैसे विषयों के बारे में हैं। राजनीतिक पैनल 2024 के चुनाव के लिए पार्टी में नई जान फूंकने की जिम्मेदारी निभाएगी। इसकी कोशिशों को सामाजिक न्याय, अर्थशास्त्र और कृषि पैनल का पुरजोर समर्थन होगा और इसके लिए वे सही सामग्री तैयार करेंगे। वैसे ही युवा पैनल समकालीन युवाओं की कल्पना और महत्वाकांक्षाओं को समझने का प्रयास करेगा और साथ ही युवाओं को आश्वस्त करेगा कि कांग्रेस उनके सपनों को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध है और इसके लिए वह तमाम नए तरीके अपनाएगी।

Published: undefined

हमारा अनुभव बताता है कि संगठनात्मक ताकत राजनीतिक अभियानों का मूल है और इसमें सभी समुदायों, खास तौर पर जो सामाजिक और राजनीतिक रूप से वंचित माने जाते हैं, की भागीदारी होती है और अत्याधुनिक संचार सुविधाओं एवं चुनावी मशीनों के साथ उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता सत्ता में बैठे लोगों को चुनौती देगी। हाल के वर्षों में भाजपा शासन की वजह से खास तौर पर किसान और खेतिहर मजदूर अपने साथ हुए धोखे को शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। पूरी आबादी को भोजन देने के बावजूद आज ये अपने लिए इंसाफ मांग रहे हैं और बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगत रहे हैं।

कृषि पैनल उन गलतियों को सुधारने पर विचार करेगा जिसने संस्थागत दृष्टि-दोष और उपेक्षा के कारण इस क्षेत्र पर बहुत ज्यादा बोझ डाल दिया है और इसे उत्पादन के नए स्तर तक ले जाने और किसान के बेहतर मूल्य दिलाने पर ध्यान देगा। चूंकि आर्थिक फैसले हर क्षेत्र को प्रभावित करते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र पैनल ने जरूरी खांचा तैयार कर रखा है। राजनीतिक और सामाजिक न्याय पैनल उन मुद्दों से निपटने का प्रयास करेंगे जो सत्ताधारी दल और उनके सहयोगी शासन के मोर्चे पर अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए जान-बूझकर समय- समयपर उठाते रहते हैं। उनमें से तमाम बड़े संवेदनशील मुद्दे हैं लेकिन अतीत में उनकी ओर से आंखें मूंद लेने से हमारा बुरा ही हुआ है और पार्टी के कार्यकर्ता भी काफी भ्रमित हैं।

Published: undefined

इस शिविर का उद्देश्य अगले दो वर्षों के दौरान होने वाले राज्यों के चुनाव और 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए घोषणा पत्र तैयार करना नहीं बल्कि आज के मुद्दों पर गहराई से विचार करना और उन्हें वोटर की सोच के साथ जोड़कर देखना है। जाहिर है, वैसी सोच जिसने अपनी जड़ें जमा ली हैं लेकिन वे हमारी विचारधारा से मेल नहीं खाती, उनकी काट की तैयारी करनी होगी। शिविर में हम खुलकर विचार-विमर्श करेंगे और फिर पूरी सावधानी से तैयार संकल्प को आम लोगों के सामने रखेंगे और हम आशा करते हैं कि इससे हमारे इरादों और रुख को लेकर किसी तरह की अस्पष्टता नहीं रह जाएगी। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी का संदेश हवाई नारों और वादों पर नहीं बल्कि मुद्दे के सभी पक्षों को ध्यान में रखकर तैयार होगा। कांग्रेस राष्ट्रव्यापी विचार-विमर्श शुरू करना चाहती है और इसका एजेंडा उदयपुर में तय होगा।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined