जिद बांधे विपक्ष जब शांत होने को कतई तैयार नहीं हो रहा था, तब सरकार अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 9 दिसंबर को चीन के अकारण आक्रमण पर चार दिनों बाद बयान देने पर अभूतपूर्व तरीके से नरम पड़ गई। लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस गंभीर मसले पर संक्षिप्त बयान दिया। उन्होंने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने 'तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने और यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने' की कोशिश की लेकिन भारतीय सेना की तीन हथियारबंद यूनिटों ने उन्हें 'बहादुरी से रोका' और 'उन्हें अपने पोस्ट पर वापस होने को विवश कर दिया'।
सदन को यह आश्वासन देते हुए कि न तो कोई भारतीय जवान शहीद हुआ या गंभीर रूप से घायल हुआ, सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि 'मैं सदन को यह भी आश्वस्त करता हूं कि हमारी सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा कर सकती है, और वह किसी भी अतिक्रमण से निबटने के लिए तैयार है।'
Published: undefined
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय सेना के स्थानीय कमांडिंग ऑफिसर ने 11 दिसंबर को अपने चीनी समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की और चीनी पक्ष से 'इस तरह के कामों से बचने और सीमा के पास शांति और धीरज बनाए रखने' को कहा। बिना विवरण दिए राजनाथ सिंह ने यह बात जोड़ी कि 'राजनयिक माध्यमों' से भी चीनी पक्ष के साथ यह मुद्दा उठाया गया है।
यह झड़प क्षणिक थी, पर दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए। भारतीय पक्ष के 20 जवान घायल हुए जिनमें से कम-से-कम छह को इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर पास के असम प्रदेश के गुवाहाटी में लाया गया जबकि उनसे कहीं अधिक संख्या में चीनी सैनिक घायल हुए बताए जाते हैं। जून, 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली शारीरिक झड़प थी। ध्यान रहे कि गलवान में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
Published: undefined
हालांकि अब तक कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है, पर चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय जवानों से अधिक थी लेकिन वे भारतीय पक्ष द्वारा लाठी-डंडों और पत्थरों से पीटे जाने के बाद बिना ज्यादा प्रतिरोध किए ही वापस हो गए। संभव है कि यह उनकी रणनीतिक वापसी हो और यह झड़प किसी वृहत्तर षड्यंत्र का हिस्सा हो जो आने वाले दिनों में खुल सकता है। ज्यादा संभावना है कि सामना करने की इस योजना को वरिष्ठ कमांडरों ने तैयार किया हो सकता है क्योंकि चीनी सशस्त्र बल बहुत ही प्रत्याशित तरीके से और सिर्फ ऊपर से मिले आदेशों पर ही काम करते हैं।
अनाधिकार प्रवेश की इस कोशिश का वक्त भी भारत के लिए तकलीफदेह साबित हुआ क्योंकि 1 दिसंबर को जी 20 की साल भर लंबे समय तक की अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद ही 13 से 16 दिसंबर के बीच मुंबई में जी 20 विकास कार्यसमूह की बैठकें हो रही थीं। जी 20 देशों में चीन भी सदस्य है। यह समूह वैश्विक जीडीपी के लगभग 85 प्रतिशत का, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत का और दुनिया भर की आबादी में से दो तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है। भारत 56 शहरों और अरुणाचल प्रदेश समेत सभी सात पूर्वोत्तर राज्यों में होने वाली 215 बैठकों में इसके प्रतिनिधिमंडलों का पूरी भव्यता के साथ आतिथ्य करेगा।
Published: undefined
तवांग में हुई झड़प के पांच दिनों बाद 14 दिसंबर को मुंबई में जी 20 बैठक में चीन के प्रतिनिधि हान्वें तांग ने कहा कि जी 20 ऐसे महत्वपूर्ण मसलों पर विचार के लिए भारत और चीन को बड़ा मंच उपलब्ध करता है जिनका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। इसके साथ उन्होंने 'भारतीय हॉस्पिटैलिटी का लुत्फ उठाने के बड़े अनुभव' की भी बात की। वैसे, यह ध्यान रखने की बात है कि चीन ने भारत को इसी तरह अंतरराष्ट्रीय तौर पर असुविधाजनक स्थिति में डाल दिया था जब लद्दाख में डेमचोक और चुमार क्षेत्रों में चीनी सेना तब ही घुस आई थी जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में अहमदाबाद में बैठक कर रहे थे। जब कोई नेता किसी दूसरे देश के प्रमुख का आतिथ्य कर रहा हो, तब उसके देश पर इस तरह आक्रमण वास्तव में अपमानजनक सरीखा ही है।
Published: undefined
संविधान सरकार को संसद के प्रति उत्तरदायी बताता है। लेकिन दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष द्वारा इस मसले पर बहस, रक्षा मंत्री से स्पष्टीकरण, प्रधानमंत्री के बयान आदि की मांगों को ठुकरा दिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर कहा भी कि 'संसद को बिना स्पष्टीकरण दिए रक्षा मंत्री संसद से चले गए। यह देश के लिए अच्छा नहीं है।' आरजेडी सांसद मनोज झा ने याद दिलाया कि 1962 में संसद की बैठक में उस समय हुए भारत-चीन संघर्ष पर विस्तार से बहस हुई थी। उन्होंने कहा कि 'यह सरकार भारत-चीन संघर्ष के निर्लज्ज इनकार में रहती है।'
Published: undefined
मई, 2020 में भी 50,000 पीएलए सैनिकों ने एलएसी का उल्लंघन किया था और भारतीय जवानों के साथ संघर्ष किया था और लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में बड़े क्षेत्र में अतिक्रमण किया था। पीएलए सैनिकों के हमले में 20 जवान शहीद भी हुए थे। फिर भी, एक माह बाद भी सभी राजनीतिक दलों और जनता को एकसाथ लाने तथा अपनी सीमाओं पर उमड़ रहे खतरों पर की चिंताओं को दूर करने एवं उनमें यकीन दिलाने के लिए विशेष संसद सत्र नहीं बुलाया। इसकी जगह उसने सीमाओं पर हो रही घटनाओं पर सवाल उठाने के लिए मुख्य विपक्षी दल- कांग्रेस को 'राष्ट्रविरोधी' और 'चीन समर्थक' बताते हुए निंदा की।
ध्यान रहे कि चीनी हान संस्कृति लक्ष्य-उन्मुखी और एकाग्र है और इसकी सेना भले ही इस विश्वास में जीती है कि अगर वह चाहे, तो वह वैसे इलाके में घुसपैठ कर सकती है जिधर से कम प्रतिरोध होता है लेकिन उनसे अनुरोध भर से वापस हो जाने की अपेक्षा तो नहीं ही की जा सकती है।
Published: undefined
सरकार को यह बात समझ जानी चाहिए थी कि 23 अक्टूबर को चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की 20वीं कांग्रेस के समापन पर चीन के राष्ट्रपति-पद पर शी के प्रभुत्व के बाद चीन की तरफ से खतरे बढ़ेंगे। शी 69 साल के हैं और 2013 में पहली बार इस पद पर पहुंचने और खास तौर से, मई, 2020 के बाद से भारत के साथ सीमा पार खतरों को लेकर हौआ खड़ा करते रहे हैं। भारत को अपनी सुरक्षात्मक स्थिति में लगातार गिरावट को लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति शी अपने यहां राजनीतिक तौर पर दिनोदिन मजबूत होते जा रहे हैं। वह 1949 में चीनी गणवादी राज्य की स्थापना करने वाले माओत्सेतुंग के बाद से अपने को सबसे शक्तिशाली नेता के तौर पर प्रदर्शित करने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
मोदी सीमा पार, और अंदर भी, इन घटनाओं की तब भी लगातार अनदेखी करते रहे जबकि शी के कद में इस किस्म से बढ़ोतरी के दूसरे ही दिन वह भारतीय सैनिकों के साथ दिवाली मनाने के लिए कारगिल गए थे। सैनिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पर शत्रुतापूर्ण नजर रखने वाले किसी को भी कड़े उत्तर पाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यांगत्से झड़प के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि 'प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार चीन या किसी अन्य सरकार द्वारा भारतीय क्षेत्र की इंच भर जमीन का भी अतिक्रमण नहीं कर सकती। हमारे सैनिकों ने कुछ ही घंटों में सभी घुसपैठियों को भगा दिया और अपने मातृभूमि की रक्षा की।'
Published: undefined
यह झड़प हुई ही क्यों, इस पर ही सवाल उठ रहे हैं जबकि यह सर्वविदित है कि पीएलए अक्टूबर की शुरुआत से ही सिक्किम और अरुणाचल- दोनों ही जगह एलएसी में अपनी तरफ अपनी शक्ति दोगुनी कर रही है। वाशिंगटन के थिंक टैंक- सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज ने मार्च में 'हाउ इज चाइना एक्सपैंडिंग इट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर टु प्रोजेक्ट पावर एलॉन्ग इट्स वेस्टर्न बॉर्डर्स?' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया है कि 'चीन तिब्बत और जिनजियांग में 2017 से 37 हवाई अड्डों और हेलिपोर्ट्स का निर्माण और उन्हें अपग्रेड कर रहा है।' इसमें बताया गया है कि 'इन सब गतिविधियों में 2020 में खास तौर से तेजी आई। सिर्फ उस साल ही चीन ने सात नई एयर सुविधाओं का निर्माण और सात अन्य को अपग्रेड करने की शुरुआत की।'
1950 में तिब्बत पर कब्जे के बाद से ही चीन ने भारत की सीमाओं तक अपना विस्तार किया है और अरुणाचल प्रदेश में पूरे 83,743 वर्ग किलोमीटर पर ऐतिहासिक दावा किया है। जनवरी, 2021 में पीएलए सेनाओं की मदद से चीनी श्रमिक तिब्बत से अपनी सीमा को अलग करने वाले गांव में निर्माण के लिए राज्य में घुस गए।
Published: undefined
इस किस्म के कदम को स्वीकार करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने विवादित अग्रिम क्षेत्रों में नागरिक आवासीय क्षेत्र बनाने की अपनी रणनीति के तौर पर क्षेत्र पर अपने दावे को मजबूत बनाने के चीन के प्रयास के तौर पर देखा। वैसे, बीजिंग ने माना कि यह अतिक्रमण 'दोषारोपण से परे' था क्योंकि इसने अरुणाचल को 'कभी भी मान्यता नहीं' दी है। इसे वह जंगनन या दक्षिण तिब्बत मानता है। तिब्बत तवांग मठ को पवित्र मानते हैं क्योंकि वह पांचवें दलाई लामा थे जिन्होंने इसे 1680 में मेराक लामा लोद्रे ग्यास्तो को बनवाने का निर्देश दिया था।
भारत के लोग अपने नेतृत्व से युद्ध के खतरे के समाधान की आस लगाए हैं। कई लोग भौंचक्के हैं कि सरकार कोई ठोस जवाब नहीं दे रही है जबकि देश के बड़े इलाके में किले की तरह सुरक्षा-व्यवस्था लगा दी गई है, संघर्ष में घाव के निशान खाए जवान हताहत हो रहे और चीन सैन्य, राजनयिक और राजनीतिक तौर पर लगभग अपनी इच्छा से मात दे रहा है। नई दिल्ली की प्रतिक्रिया वैश्विक समुदाय और इसके सहयोगियों के दृष्टिकोणों में उसकी स्थिति पर अंततः निर्भर करेगी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined