विचार

बंगाल चुनावः तीसरे-चौथे चरण में बीजेपी के सामने रोड़े ही रोड़े, टीएमसी के गढ़ में सेंध लग पाना मुश्किल

राजनीतिक विश्लेषक पार्थ चक्रवर्ती कहते हैं कि तीसरा और चौथा चरण बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है। पार्टी भी यह बात बखूबी जानती है। इसलिए इन इलाकों में उसने अपने तमाम संसाधन झोंक दिए हैं। लेकिन टीएमसी के गढ़ रहे इलाकों में उसके सेंध लगाने की संभावना कम ही है।

फोटोः नवजीवन
फोटोः नवजीवन 

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम और दक्षिण परगना जिले के बीच करीब 130 किलोमीटर दूरी है। लेकिन लगता है, नंदीग्राम की हवा यहां के कैनिंग विधानसभा इलाके में भी तेजी से बह रही है। नंदीग्राम ने चुनाव परिणामों की दिशा लगभग तय कर दी है। तब ही तो कैनिंग के सोमनाथ मंडल खम ठोककर कहते हैं कि ‘यहां के कुछ इलाकों में अब बीजेपी के झंडे जरूर नजर आते हैं और बीते करीब छह महीने से उसके नेता भी इलाके का दौरा करने लगे हैं। लेकिन यहां तो तृणमल कांग्रेस (टीएमसी) और दीदी का ही बोलबाला है। बीजेपी जिस तरह टीएमसी पर अंफान राहत की रकम हड़पने के झूठे आरोप लगा रही है, उससे लोगों में नाराजगी ही है।’

कैनिंग में तीसरे चरण में 6 अप्रैल को मतदान होना है। बीजेपी ने इस इलाके में अंफान राहत की रकम में कथित घोटाले को ही अपना सबसे प्रमुख मुद्दा बनाया है। लेकिन टीएमसी राहत कार्यों के उदाहरण देकर लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास कर रही है कि राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से ही अंफान पीड़ितों को हरसंभव सहायता मुहैया कराई थी।

Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

कैनिंग से कोई सात सौ किलोमीटर दूर कूचबिहार जिले के दिनहाटा में भी एक होटल मालिक नीरेंद्र बर्मन कहते हैं, ‘यह इलाका पहले फॉरवर्ड ब्लॉक का गढ़ था और अब टीएमसी के उदयन गुहा जीतते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भले बीजेपी को कुछ बढ़त मिली थी लेकिन यह याद रखना होगा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में काफी फर्क होता है।’

राज्य में पहले और दूसरे चरण की कुल 60 सीटों पर भारी मतदान हुआ। तीसरे और चौथे चरणों में 75 सीटों पर मतदान होना है। वैसे, बीजेपी दावे करने के नाम पर यहां भी आगे-आगे चल रही है। पहले चरण के मतदान के बाद ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 30 में से 27 सीटें जीतने का दावा कर दिया था, जबकि पिछली बार पार्टी को इनमें से एक सीट भी नहीं मिली थी। वैसे, लोकसभा चुनावों में जरूर 20 सीटों पर पार्टी को बढ़त मिली थी।

Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

दरअसल, तीसरे और चौथे दौर में जिन इलाकों में चुनाव हैं, उनमें से हुगली को छोड़कर बाकी सभी इलाकों में बीजेपी कमजोर रही है। खासकर दक्षिण 24 परगना जिले में तो वह काफी कमजोर है। यह टीएमसी का गढ़ माना जाता रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी इसी जिले की डायमंड हार्बर सीट से सांसद हैं। यहां भी वोटिंग के शेड्यूल से यू समझा जा सकता है कि चुनाव आयोग क्यों संदेह के घेरे में है।

इस इलाके की 31 सीटों पर तीन चरणों में वोटिंग हो रही है। पहले चरण में 4 और दूसरे चरण में 10 सीटों पर 1 अप्रैल को वोटिंग हुई। अब 6 अप्रैल को 16 और बाकी 11 सीटों पर 10 अप्रैल को वोटिंग होगी। ऐसे में टीएमसी के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता सौगत राय के इस आरोप में दम लगता है कि ‘बीजेपी के कहने पर ही चुनाव आयोग ने इस तरह का शेड्यूल बनाया है।’

Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

कूचबिहार जिले में बीजेपी स्थानीय जातीय समीकरणों को भुनाने का प्रयास कर रही है। अमित शाह ने बीते महीने कूचबिहार की रैली से पहले राजा के वंशज अनंत राय के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। कूचबिहार और उससे सटे अलीपुरदुआर में कोच राजबंशी, कामतापुरी और चाय बागान मजदूरों के वोट निर्णायक हैं। बीजेपी उनको साधने की हरसंभव कोशिश कर रही है।

इसी तरह हुगली जिले में बेरोजगारी और लगातार बंद होते कल-कारखाने प्रमुख चुनावी मुद्दा हैं। टीएमसी से बीजेपी में आई अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी यहां से लोकसभा सदस्य हैं। लेकिन पार्टी जिले में अंतरकलह की शिकार है। उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा हंगामा और हिंसा हुगली जिले में ही हुई थी। इसी जिले में वह सिंगूर सीट भी है जो टाटा के नैनो परियोजना और उसके खिलाफ आंदोलन की वजह से सुर्खियो में रहा था।

Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

हालांकि, बीजेपी का दावा जिले की सभी 18 सीटें जीतने का है लेकिन स्थानीय टीएमसी नेता सोमेश राय कहते हैं, ‘दावे हैं दावों का क्या? बीजेपी हवाई दावे करने में माहिर है।’ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ चक्रवर्ती भी कहते हैं, ‘तीसरा और चौथा चरण बीजेपी के लिए भारी साबित हो सकता है। पार्टी भी यह बात बखूबी जानती है। इसलिए संबंधित इलाकों में उसने अपने तमाम संसाधन झोंक दिए हैं। लेकिन टीएमसी के गढ़ रहे इलाकों में उसके सेंध लगाने की संभावना कम ही है।’

आगे भी बीजेपी के लिए कम रोड़े नहीं हैं। जिन इलाकों में 17 और 22 अप्रैल को वोटिंग हैं, उनमें मतुआ समुदाय के वोट निर्णायक हैं। हाल में बांग्लादेश की आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समुदाय के वोटरों को लुभाने की कोशिश की। टीएमसी ने मोदी के भाषण को चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए आयोग से शिकायत भी की है।

Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जाति की आबादी करीब 1.84 करोड़ है और इसमें 50 फीसदी मतुआ समुदाय के लोग हैं। करीब 70 विधानसभा सीटों पर यह समुदाय जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाता है। नमोशूद्र समाज के लोग भी मतुआ समुदाय को मानते हैं। ऐसे में, राज्य में मतुआ समुदाय को मानने वालों की आबादी लगभग तीन करोड़ है।

दरअसल, बांग्लादेश में स्थित ओरकांडी मतुआ समुदाय का मूल स्थान है। मतुआ समुदाय के गुरु और समाज सुधारक हरिचंद ठाकुर का जन्म वहीं हुआ था। इस समुदाय के लोग उन्हें भगवान मानते हैं। इसीलिए राजनीतिक पर्यवेक्षक प्रोफेसर समीरन पाल कहते हैं, ‘मोदी के बांग्लादेश में ओरकांडी दौरे का संबंध भी इन चुनावों से है। बीजेपी के नेता और खुद मोदी भले ऐसा नहीं मानें, इस दौरे की टाइमिंग ने संदेहों को बल तो दिया ही है।’

Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

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Published: 02 Apr 2021, 7:00 PM IST

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