दुनिया का सबसे खूंखार और मोस्ट वांटेड आतंकी अबु बक्र अल बगदादी मारा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने खुद इसकी पुष्टि की। इसे आतंकी संगठन आईसिस (ISIS) के खिलाफ अमेरिका की बहुत बड़ी जीत माना जा रहा है। खबरें हैं कि नॉर्थवेस्ट सीरिया में अमेरिकी सेना के कमांडो से घिरने के बाद सुरंग में भागे बगदादी ने कोई रास्ता न देख खुद को विस्फोटक से उड़ा लिया। इसमें उसके तीन बच्चे भी मारे गए।
इस्लामिक स्टेट के नेता बगदादी को दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी माना जाता रहा है। अमेरिका ने उसे कोई 8 बरस पहले वैश्विक आतंकी करार देते हुए उसके सिर पर एक करोड़ डॉलर यानी करीब 70 करोड़ रुपए का ईनाम रखा था।
माना जाता है कि बगदादी का जन्म 1971 में इराक में हुआ था। 2013 में उसने खुद को इस्लामिक स्टेट का खलीफा घोषित किया था। इसके बाद 2014 में वह इराक के शहर मोसूल की अल-नूरी मस्जिद में देखा गया था, जहां वह रमजान के मौके पर भाषण दे रहा था। इसी भाषण में उसने इस्लामिक स्टेट को खिलाफत (विश्व साम्राज्य) और खुद को इसका खलीफा यानी प्रमुख घोषित किया था। बगदादी का यह वीडियो दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्रचलति हुआ था, और इसी से उसकी तस्वीर दुनिया के सामने आती रही है।
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साल 2014 की शुरुआत में बगदादी ने अपने आतंकियों के साथ मिलकर पश्चिमी इराक पर कब्जा कर लिया। इसके बाद अगले एक-डेढ़ साल में इस्लामिक स्टेट ने इराक और सीरिया में जबरदस्त आतंक और अत्याचार का नंगा नाच किया। लोगों को कतार में खड़ा कर उनके सिर धड़ से अलग कर देने के सिहरा देने वाले वीडियो इसी दौर में सामने आए, जिन्हें देखकर पूरी दुनिया सिहर उठी और तमाम देशों की सरकारों ने उसके खिलाफ गोलबंदी शुरु कर दी।
लेकिन 2015 खत्म होते-होते उसने इराक और सीरिया के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया, जिनकी आबादी करीब सवा करोड़ थी। इन लोगों पर बगदादी ने शरिया कानून का विकृत रूप लागू कर दिया। यहीं से दुनिया भर के तमाम देशों के गुमराह और ब्रेन वॉश किए हुए लोग उसकी तरफ आकर्षित हुए और उन्होंने किसी तरह सीरिया पहुंचकर इस्लामिक स्टेट के लिए जिहादी के तौर पर काम शुरु किया। इनमें से कुछेक भारत से भी थे।
इस सबके चलते इस्लामिक स्टेट ने करीब 30,000 लड़ाकों की फौज खड़ी कर ली। लेकिन अंतरराष्ट्रीय गठबंधन की सेनाओं ने जब मिलकर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाइयां शुरु कीं तो बगदादी का संगठन कमजोर पड़ने लगा। उसे सबसे ज्यादा नुकसान गठबंधन सेनाओं के साथ सीरिया के कुर्दिश पेशमेरा लड़ाकों के आने से हुआ।
इस तरह इस्लामि स्टेट का ताना-बाना बिखरने लगा, और उसके हजारों लड़ाके अंडर ग्राउंड हो गए। हालांकि इन लोगों ने दुनिया के अलग-अलग देशों में इस्लामिक स्टेट के नाम पर कई हमले किया। इनमें से 2015 का पेरिस हमला और 2019 का श्रीलंका हमला सबसे बड़ा माना जाता है।
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इसी साल कुछ माह पहले इस्लामिक स्टेट की मीडिया विंग अल-फुरकान ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें बगदादी को दिखाया गया। जुलाई 2014 के बाद बगदादी का यह दूसरा वीडियो था जो दुनिया के सामने आया। माना गया कि इस वीडियो के जरिए इस्लामिक स्टेट यह जताना चाहता था कि वह जिंदा है और इस्लामिक स्टेट का वजूद बरकरार है।
इस वीडियो में बगदादी ने श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली और इसे सीरिया के अल-बुग्ज फाकानी में गठबंधन सेनाओं के हाथों मिली हार का बदला बताया। इस इलाके से मार्च में इस्लामिक स्टेट को खदेड़ा गया था।
कई अखबारों, पत्रिकाओं और ऑनलाइन मीडिया में प्रकाशित आतंक विशेषज्ञों की राय थी कि बगदादी को सिर्फ इसीलिए सामने आना पड़ा ताकि वह बता सके कि इस्लामिक स्सेट खत्म नहीं हुआ है और वह अब भी खलीफा है।
इंडियन एक्सप्रेस में पत्रकरार रुक्मिणी कलिमाशी के हवाले से बताया गया है कि, “इस वीडियो के जरिए बगदादी ने बहुत बड़ा रिस्क लिया था। क्योंकि इससे पहले तक बगदादी अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद सजग और चौकस रहता था।” उनका कहना है कि चूंकि इस्लामिक स्टेट टूट रहा था, ऐसे में उसे अपने लड़ाकों की हौसला अफजाई के लिए ऐसा करना पड़ा हो।
ध्यान रहे कि बगदादी के मारे जाने और इस्लामिक स्टेट के खत्म हो जाने की खबरें लगातार आती रही हैं। जून 2017 में रूस ने दावा किया था कि सीरिया के करीब रक्का में की गई बमबारी में बगदादी मारा गया। इसके दो सप्ताह बाद ही सीरिया की मानवाधिकार ऑब्जर्वेटरी ने भी पुष्टि की बगदादी का खात्मा हो गया। लेकिन 2019 में सामने आए वीडियो ने इन सारे दावों को गलत साबित कर दिया।
इस दौरान अमेरिका की तमाम एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हुई थीं। माना जाता है कि बगदादी इराक-सीरिया बॉर्डर पर छिपा हुआ था। वह न किसी इलेक्ट्रानिक डिवाइस का इस्तेमाल करता था और न ही किसी ऐसे साधन का, जिससे उसकी लोकेशन का पता लग सके।
लेकिन बहरहाल बगदादी के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। तो क्या इससे इस्लामिक स्टेट खत्म हो गया। वरिष्ठ पत्रकार कलिमाशी के मुताबिक ऐसा नहीं है, क्योंकि अब इस्लामिक स्टेट भले ही बहुत ज्यादा इलाकों में न दिखता हो, लेकिन इसे खत्म नहीं कहा जा सकता।
इस्लामिक स्टेट के हजारों लड़ाके सीरिया और इराक में मौजूद है, इसके अलावा पश्चिम अफ्रीका और फिलीपींस में भी इनकी मौजूदगी है, साथ ही इनके पैर अफगानिस्तान तक पहुंच चुके हैं।
कुल मिलाकर, बगदादी भले ही मारा गया हो, लेकिन उसका आतंक अभी मरा नहीं है।
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