विचार

देश का निर्माण करने वालों की याद मिटाने की हो रही है कोशिश: अशोक वाजपेयी

हिंदी के प्रसिद्ध कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी ने कहा कि आज भारत में उन लोगों की याद को मिटाने की कोशिश की जा रही है जिन्होंने देश के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

फोटोः रजा फाउंडेशन
फोटोः रजा फाउंडेशन 

रजा फाउंडेशन और हाली पानीपती ट्रस्ट के सहयोग से 'अल्ताफ हुसैन हाली: एक कवि और एक सुधारक' विषय पर आयोजित एक सेमिनार का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली जैसे महान कवि, समाज सुधारक और देश के वास्तुकार को हम भूलते जा रहे हैं। जानबूझकर देश के वास्तुकारों के नामोनिशान मिटाने के प्रयास किए जा रहे हैं और जो लोग देश को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें नायक बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास इसी भूलते जाने के खिलाफ है और यह प्रयास जारी रहेगा।

रजा फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी वाजपेयी ने कहा कि हाली ऐसे कवि थे जिन्होंने उर्दू शायरी का दायरा बड़ा किया और महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों पर ध्यान दिया। उर्दू आलोचना के संबंध में उन्होंने कहा कि हाली ने शेर-ओ-शायरी के जरिये उर्दू में आलोचना की नींव रखी और उर्दू शायरी को समृद्ध किया। उन्होंने हाली के हवाले से कहा कि बात तो साझी विरासत और गंगा-जमुनी तहजीब के संबंध में की जाती है, लेकिन कोई भी ऐसा करता नहीं है।

उर्दू के मशहूर लेखक और आलोचक प्रोफेसर शमीम हनफी ने कहा कि हमारे शब्दकोश में एक शब्द इतिहास है जिसे बदलने की बात की जा रही है और उसका रूपांतरण भी किया जा रहा है। लेकिन यह बात याद रखनी चाहिए कि इतिहास केवल इतिहास होता है जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता और वह सैकड़ों स्थानों पर सुरक्षित रहता है। हाली का दौर बेहद कठिन था। वे गालिब के शिष्य तो थे, पर उन्होंने गालिब के अंदाज को नहीं अपनाया और अपनी शायरी में उनकी नकल नहीं की। उन्होंने कहा कि मौलाना हाली जहां एक तरफ बड़े शायर थे, वहीं दूसरी तरफ एक समाज सुधारक भी थे जिस वजह से एक तबका उन्हें पसंद नहीं करता था।

प्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु खरे ने इस अवसर पर कहा कि मुसलमानों ने अल्ताफ हुसैन से कुछ नहीं सीखा। उन्होंने कहा कि हाली ने एक नया भारतीय काव्य शास्त्र पेश किया। किसी भी भारतीय भाषा के उनके समकालीनों में ऐसी पहल करने वाला शायद ही कोई दूसरा था।

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