ग्रीनलैंड में वर्ष 1968 में एक अमेरिकी बमवर्षक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उसमें 4 हाईड्रोजन बम थे। इनमें से 3 हाईड्रोजन बमों को तो खोज लिया गया। इनमें से किसी का परमाणु विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन इनके कुछ अंश बिखर गए गए और इनके सैंकड़ों टुकड़ों का मलबा बाद में एकत्र भी किया गया। पर चैथे परमाणु बम का कुछ पता ही नहीं चल सका। कहा जाता है कि ग्रीनलैंड की बर्फ की गहराईयों में यह कहीं खो गया।
अभी हाल के समय तक इस दुर्घटना के बाद मलबे की सफाई में लगाए गए मजदूर गंभीर कैंसर की बीमारी से ग्रसित होने के लिए मुआवजे की मांग करते रहे हैं। लेकिन ये मजदूर भी खोए चौथे परमाणु बम के बारे में नहीं बता सकते कि वह कहां लुप्त हुआ।
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इससे कुछ समय पहले 1966 में स्पेन के समुद्र तट के पास के क्षेत्र में एक अमेरिकी बमवर्षक वायुयान की टक्कर एक टैंकर वायुयान से हो गई थी। इस बमवर्षक वायुयान में चार हाईड्रोजन बम रखे हुए थे। इनमें से भी तीन तो शीघ्र प्राप्त हो गए पर चौथा हथियार सिल्ट में बहुत भीतर तक समा गया। इसे 81 दिनों की बहुत सघन खोज के बाद ही बरामद किया जा सका था।
एक अन्य घटना में एक अमेरिकी बमवर्षक बी-52 दो हाइड्रोजन बम लेकर जा रहा था, जब वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके परमाणु हथियारों को पैराशूट की मदद से उतारा गया। इनमें से एक उत्तरी कैरोलिना (संयुक्त राज्य अमेरिका) की एक बड़ी दलदल में गिरा और फिर उसका कभी पता नहीं चल सका। इस घटना में दूसरा परमाणु बम एक बड़े पेड़ पर गिरा। उस बम में परमाणु विस्फोट रोकने के लिए 6 फ्यूज थे, जिनमें से घटना में 5 क्षतिग्रस्त हो गए। मात्र 1 बचे फ्यूज की वजह से परमाणु विस्फोट से बचा जा सका।
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इसके बाद अप्रैल 1989 में उत्तरी अटलांटिक सागर में रूस की पनडुब्बी डूबने से उसमें रखे दो परमाणु बम समुद्र में समा गए, जिनका पता नहीं चला। इससे काफी पहले दिसंबर 1965 में वियतनाम से जापान जा रहे अमेरिका के विमानधारी समुद्री जहाज से उड़ा एक लड़ाकू विमान अपने पायलट और परमाणु बम सहित समुद्र में डूब गया और फिर न तो विमान की, न ही पायलट की और न ही परमाणु बम की खोज की जा सकी।
इस तरह की अनेक घटनाएं दर्ज हैं, जिनमें परमाणु बम समुद्र या बर्फ या दलदल में गलती से गिर गए और फिर उनके बारे में बहुत खोज करने पर पता ही नहीं चला। इस तरह के लगभग दस खोए हथियारों के बारे में तो प्रमाणिक जानकारी प्राप्त है, लेकिन इसके अतिरिक्त अनेक अन्य मामलों को छिपाया गया। एक चर्चित अनुमान के अनुसार यह संख्या 50 तक भी हो सकती है। सच तो यह है कि इस तरह खोया हुआ एक भी परमाणु बम भविष्य में बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकता है। ऐसे अधिकांश मामले शीत युद्ध की पराकाष्ठा के समय के हैं जब अमेरिका के लड़ाकू बमवर्षक हवाई जहाज परमाणु बम लेकर निरंतर उड़ान भरा करते थे।
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यह एक ऐसा सुलगता हुआ खतरा है जो किसी भी समय एक बड़ी त्रासदी का रूप ले सकता है। अतः खोए हुए परमाणु बमों को प्राप्त करने या इनसे प्रभावित स्थानों को यथासंभव सुरक्षित बनाने का हर संभव प्रयास होना चाहिए। जानकारी छिपानी नहीं चाहिए, बल्कि घटना के स्थान के आसपास रहने वाले निवासियों को जरूरी चेतावनी दी जानी चाहिए।
जहां तक समुद्र में समाए गए परमाणु बमों का सवाल है उनसे समुद्रों के पर्यावरण की बहुत गंभीर क्षति हो सकती है और आपदाएं पैदा हो सकती हैं, जिनका खामियाजा धरती को भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में कभी भी धरती पर बड़ी आपदा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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