वैज्ञानिक लम्बे समय से बता रहे हैं कि अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश भी एक तरह का प्रदूषण हैI इससे रात में आसमान में तारे दिखने बंद हो जाते हैं, उपग्रहों से रात में पृथ्वी का चित्र लेने में बाधा पड़ रही है और साथ ही बिजली की बर्बादी भी हो रही हैI पर, हाल में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार इस प्रकाश प्रदूषण का मानव के साथ ही जीव-जन्तुओं पर भी व्यापक असर पड़ रहा हैI वैज्ञानिकों के अनुसार यह असर इतना व्यापक है कि अब प्रकाश प्रदूषण को भी जलवायु परिवर्तन, तापमान वृद्धि और प्रजातियों के विनाश जैसी समस्याओं के समकक्ष रखने की जरूरत हैI
पहले बिजली का उपयोग केवल घरों को रोशन करने के लिए किया जाता था, फिर बाद में सड़कें, सार्वजनिक स्थल, बड़े कार्यालय और भवन, स्टेडियम, उद्योग, ऐतिहासिक स्थल, नदी का किनारा, समुद्र का किनारा और बाजार में भी रात भर बिजली जली रहती हैI अब तो शहरों को रात में भी दिन जैसा प्रकाश में डुबोने की होड़ लग गई हैI प्रकाश की तीव्रता भी बढ़ती जा रही हैI इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि जब हम सडकों, रेल या विमान से यात्रा करते हैं, तब आसमान में फैली रोशनी से यह अनुमान लगा लेते हैं कि अब कोई शहर आने वाला हैI
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कहीं भी प्रकाश आसमान में फैलाने के लिए नहीं किया जाता, फिर भी यह वायुमंडल में फैलता है, और यही प्रकाश प्रदूषण हैI प्रकाश के प्रभाव का उदाहरण भी हमारे सामने सामान्य तौर पर आता हैI बारिश के मौसम में कीट-पतंगे प्रकाश के चारों तरफ उड़ते हैं और सुबह तक जलते बल्ब की गर्मी से मर जाते हैंI प्रकाश प्रदूषण के कारण कीटों की अनेक प्रजातियां विलुप्तीकरण के कगार पर हैंI
मानव निर्मित प्रकाश का दायरा और तीव्रता प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हैI यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन का जैसा व्यापक असर पड़ रहा है, वैसा ही व्यापक असर प्रकाश प्रदूषण का भी हैI इससे जन्तुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियों में हॉर्मोन के स्तर पर परिवर्तन आ रहे हैं, प्रजनन चक्र अनियमित होता जा रहा है, व्यवहार बदल रहा है और शिकारियों की चपेट में आसानी से आ रहे हैंI जिस तरह प्रकाश में मनुष्यों को सोने में दिक्कत आती है, उसी तरह पूरे जीव जगत पर प्रभाव पड़ रहा हैI पृथ्वी पर जीवन में दिन और रात के अंधेरे का व्यापक प्रभाव है और पूरे जीव जगत का विकास इसी आधार पर हुआ हैI
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इस अध्ययन को जर्नल ऑफ नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन के नए अंक में प्रकाशित किया गया हैI इस अध्ययन का आधार प्रकाश प्रदूषण का जीव जगत पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित दुनिया भर में प्रकाशित 126 शोधपत्र हैंI इसके अनुसार प्रकाश प्रदूषण का सबसे गहरा प्रभाव कीट जगत पर पड़ रहा हैI यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि दुनिया भर में जीव जगत में विलुप्तीकरण का सबसे अधिक खतरा कीट-पतंगों को ही हैI बहुत सारे कीट केवल रात में उड़ते हैं और अपनी गतिविधियों के दौरान अनेक फूलों का परागण करते हैंI जब ये कीट परागण नहीं करते तो फिर फसलों का उत्पादन या फिर वनस्पतियों का विस्तार प्रभावित होता हैI दूसरी तरफ, अनेक कीट सडकों के किनारे की रोशनी के चारों-तरफ रात भर उड़ते हुए बल्ब की गर्मी में झुलस कर मर जाते हैंI रात भर तेज प्रकाश झेलने वाले वनस्पतियों में फूल खिलने का, फल लगने का समय बदल जाता हैI
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लम्बी दूरी तय करने वाले प्रवासी पक्षियों पर भी प्रकाश प्रदूषण का व्यापक असर होता हैI रात में ये पक्षी शहरों की रोशनी से चकमा खाकर अपना रास्ता भटक जाते हैं, या फिर शहरों की इमारतों से टकराकर मर जाते हैंI समुद्री कछुवे भी सागर तट के रिसोर्ट के प्रकाश से आकर्षित होकर उसकी तरफ जाते हैं और फिर भूख-प्यास से मर जाते हैं या वन्यजीवों के तस्करों की गिरफ्त में आ जाते हैंI
सभी जन्तुओं में रात की रोशनी के प्रभाव से मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्सर्जन प्रभावित होता हैI यही हार्मोन शरीर में निद्रा-चक्र को नियंत्रित करता हैI रात में अत्यधिक प्रकाश के कारण निशाचर के साथ ही अन्य जंतुओं का व्यवहार भी बदलने लगता हैI इसके प्रभाव से पक्षी सुबह जल्दी चहकने लगते हैं और रात में निकलने वाले चूहे या अन्य जानवर बाहर कम समय के लिए निकलते हैंI
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जून 2016 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार दुनिया की एक-तिहाई से अधिक आबादी अब रात के आसमान में आकाश-गंगा नहीं देख पातीI अमेरिका की 80 प्रतिशत से अधिक और यूरोप की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ने कभी आसमान में आकाशगंगा को देखा ही नहीं हैI इसका एकमात्र कारण प्रकाश प्रदूषण है, जिसके कारण अब रात के आसमान में बहुत सारे खगोलीय पिंड दिखना बंद हो चुके हैंI
अनुमान है कि प्रकाश प्रदूषण के कारण कुल बिजली की खपत का लगभग 35 प्रतिशत बर्बाद हो रहा है, और बिजली उत्पादन को ही जलवायु परिवर्तन का मुख्य जिम्मेदार माना जाता हैI प्रदूषण के इस स्वरुप के प्रभावों का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि रात में कीटों द्वारा की जाने वाली परागण प्रक्रिया में लगभग 62 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई हैI कुछ कोरल रीफ की प्रजातियों के प्रजनन प्रक्रिया के लिए चांद की रोशनी अनिवार्य है, पर अब चांद की रोशनी मानव निर्मित प्रकाश से दब जाती है, इसलिए इन प्रजातियों का प्रजनन प्रभावित हो रहा हैI
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प्रकाश प्रदूषण के तीन मुख्य कारण हैं- बिना ढके प्रकाश के स्त्रोत, प्रकाश का अवांछित अतिक्रमण और शहरी सडकों और भवनों का प्रकाशI वायु प्रदूषण, विशेष तौर पर पार्टिकुलेट मैटर की वायु में अधिक सांद्रता भी प्रकाश प्रदूषण में सहायक हैI कोहरे या धूम कोहरा की स्थिति में प्रकाश दूर तक फैलता नजर आता है और इस कारण प्रकाश प्रदूषण बढ़ता हैI जर्नल ऑफ नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार प्रकाश प्रदूषण का असर पूरे जीव जगत पर पड़ रहा है, इसमें सूक्ष्मजीव, अरीढ़धारी जंतु, रीढ़धारी, मनुष्य और वनस्पति सभी शामिल हैंI कुछ प्रजातियों में इनका लाभदायक असर भी स्पष्ट हो रहा हैI कुछ वनस्पतियों में प्रकाश प्रदूषण के असर से वृद्धि दर में तेजी देखी जा रही है और चमगादड़ों की कुछ प्रजातियों का दायरा बढ़ रहा हैI
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर केविन गास्तों की अगुवाई में यह अध्ययन किया गया हैI इनके अनुसार प्रकाश प्रदूषण के भयानक और व्यापक प्रभावों को देखते हुए अब आवश्यक हो गया है कि इसे भी जलवायु परिवर्तन जैसी प्रमुखता दी जाएI आजकल सडकों और सार्वजनिक स्थलों पर जिस सफेद प्रकाश वाले एलईडी लैम्पों का प्रचलन बढ़ा है, उनसे भले ही बिजली की बचत होती हो, पर वे जंतु जगत के लिए पहले के लैम्पों से अधिक खतरनाक हैंI सफेद प्रकाश में सूर्य के प्रकाश की तरह अनेक वेवलेंथ की किरणों का समावेश रहता है। इसलिए यह प्रकाश जंतु जगत को अधिक प्रभावित करता हैI
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