विचार

नुसरत, कौसर और ज़ोया भी हैं तो ‘ईमान’ वाली, फिर ‘बरकत’ से कैसे दूर हो गईं ज़ायरा वसीम !

नुसरत और ज़ायरा, दोनों ने अपने धर्म में आस्था को लेकर एक नई लकीर खींची है। नुसरत की लकीर दम के साथ कामयाब महिलाओं को फूटी आंख बरदाश्त न करने वाली पुरुष सत्तात्मक सोच को बहुत छोटा साबित करती है, तो ज़ायरा की लकीर कट्टरपंथ की गहरी जड़ों के सामने बेहद बौनी और छोटी नजर आती है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

आलिया भट्ट ने फिल्म ‘गली ब्वॉय’ में सफीना नाम की एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जो मजबूती के साथ अपने आपको सामने रखता है। फिल्म की निदेशक ज़ोया अख्तर ने इस बात का ध्यान रखा है कि अगर आप फिल्म के मुख्य किरदार के खामोश गुस्से से प्रभावित होते हैं, तो सफीना का किरदार एक अलग छाप छोड़ता है, और तमाम दकियानूसी रस्मो-रिवाज से जूझते हुए अपनी पहचान कायम रखने की जद्दोजहद की मिसाल पेश करता है। सफीना, दरअसल एक ऐसा किरदार है जिसमें उस युवा पीढ़ी के बदलते मिज़ाज की झलक मिलती है जो अपनी शर्तों पर प्रेम और आज़ादी हासिल करना चाहता है।

लेकिन इस मामले में ज़ायरा वसीम ने बहुत निराश किया है।

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फिल्मों से इतर जाएं तो असली जिंदगी में एक जीती-जागती मिसाल तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां हैं। दोनों मुस्लिम हैं। दोनों अभिनेता हैं। एक ने फिल्मों की चमक-दमक को छोड़कर राजनीति का जोखिम भरा रास्ता चुना है। लेकिन, दूसरी को लगता है कि बॉलीवुड में आने से वह रास्ता भटक गई थी, अपने ‘ईमान’ से दूर हो गई थी।

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नुसरत ने दूसरे धर्म में शादी की और फख्र के साथ सिंदूर लगाकर अपनी हिंदू पहचान को सामने रखा। उन्हें न तो नाम बदलना पड़ा और न ही अपने ईमान या धर्म से दूर होना पड़ा। दकियानूसी रस्मो-रिवाज को चुनौती देने वाले उनके इस फैसले में ईमान या धर्म रास्ते में नहीं आया। उनके रवैये से साफ लगता है कि वे कट्टरपंथी और बात-बात में ईमान की बात करने वाले मुल्लाओं से मोर्चा लेने को तैयार हैं, जो उनकी दूसरे धर्म में शादी को मुद्दा बनाने पर तुलेंगे।

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नुसरत और ज़ायरा, दोनों ने अपने धर्म में आस्था को लेकर एक नई लकीर खींची है। नुसरत की लकीर दम के साथ कामयाब महिलाओं को फूटी आंख बरदाश्त न करने वाली पुरुष सत्तात्मक सोच को बहुत छोटा साबित करती है, तो ज़ायरा की लकीर कट्टरपंथ की गहरी जड़ों के सामने बेहद बौनी और छोटी नजर आती है। हां, इस मामले में ज़ायरा की सोच साफ है कि उनकी जिंदगी से ‘बरकत’ खत्म हो गई थी, क्योंकि वे मजहब से दूर भटक गई थीं, कुरआन की नसीहतों से दूर हो गई थीं। उन्होंने तो अपने हम-मजहबों यानी एक ही मजहब मानने वालों को खुद ही नसीहत तक दे डाली है कि कोई भी शक्ति, कोई भी दौलत आपके सुकून या आपके ईमान से बढ़कर नहीं है।

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ज़ायरा के लंबे और खुले खत से एक ऐसे दबाव की बू आती है जो उन पर न सिर्फ बनाया गया बल्कि उसे जताने के लिए मजबूर भी किया गया। इस खत से उनकी उस कैफियत का भी अंदाज़ा होता है कि, ‘मैं फिल्मों के लिए एकदम फिट हूं, लेकिन मुझे यहां अपनापन नहीं लगता।’ हो सकता है ऐसा हो, लेकिन यह तो सिर्फ वही जानती हैं। उनकी जिंदगी है, और इसके बारे में कोई भी फैसला करने का हक भी सिर्फ उन्हीं को है। लेकिन, सवाल है कि अगर मजहब उन्हें बॉलीवुड तक लेकर नहीं आया था तो फिर मजहब उन्हें दूर भी कैसे ले गया? और इससे भी बड़ी बात कि ये सब लोगों को बताने की क्या जरूरत है? उन्होंने अगर पांच साल पहले कहा होता कि वे अपने मजहब के कारण ही बॉलीवुड में आई हैं, तो भी उन्होंने इसी तरह लोगों को चौंकाया होता।

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तब तो ऐसा कुछ हुआ नहीं था, लेकिन तब भी कश्मीर घाटी से एतराज़ की गुस्सैल आवाज़े जरूर सुनाई दी थीं कि आखिर जायरा मुंबइया सिनेमा में कैसे जा सकती है। ज़ायरा ने इस सबकी परवाह नहीं की थी और 2016 की सुपर हिट ब्लॉकबस्टर ‘दंगल’ में काम किया। उन्होंने फिल्म में महिला पहलवान के बचपन का किरदार निभाया था और आमिर खान ने उनके पिता की भूमिका अदा की थी। यह फिल्म जिंदगी के असल किरदारों पर आधारित थी और इसी फिल्म में युवा महिला पहलवान का किरदार फातिम सना शेख ने निभाया था। फिल्म के एक सीन में तो वे अपने पिता से कुश्ती लड़ती नजर आई थीं।

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तो क्या ज़ायरा को उसके मजहब ने अब पैगाम दिया है कि चमक-दमक भरी बॉलीवुड की दुनिया नकली है, बनावटी है और मजहब से दूर ले जाने वाली है? और, क्या ज़ोया अख्तर, आमिर खान या कौसर मुनीर ज़ायरा से कम मजहबी हैं? क्या ये लोग रास्ता भटक गए हैं और उन्हें दोज़ख ( नर्क) की आग में जलना पड़ेगा?

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शायर, स्क्रिप्ट राइटर और गीतकार कौसर मुनीर का गीत ‘सेक्सी बलिए’ एक झोंके की तरह जहन में आता है। हां, ये गीत ज़ायरा वसीम और आमिर खान की फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ से है। यह गीत आमिर खान और ज़ायरा वसीम पर अलग-अलग फिल्माया गया है। ज़ायरा पर फिल्माए गए गीत में उसके किरदार के मुताबिक कुछ रद्दो-बदल की गई है।

आमिर खान पर फिल्माए गए गीत की पंक्तियां इस तरह हैं –

हाय तेरी बोली बोलूंगी, तेरी बानी गाऊंगी

तेरे इश्क दा चोला पहनके मैं तो

रंग रंग जाऊंगी

हाय हाय हाय

तेरा भंगड़ा डालूंगी

तेरा गिद्धा पाऊंगी

तेरे इश्क दा चूड़ा पहनके मैं तो

रंग रंग जाऊंगी..

नचदी फिरां, मैं नचदीं फिरां

नचदी फिरां

मैं बन ठन के

मैं सेक्सी बलिये,

हो हो मैं सैक्सी बलिये – 2

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लेकिन, इसी गीत को ज़ायरा पर फिल्माने के लिए कौसर मुनीर ने थोड़ा सा बदला है। फिल्म में इस गीत को ज़ायरा वसीम का किरदार यू-ट्यूब पर अपलोड करता है और रातों-रात इस गीत की धूम मच जाती है और ज़ायरा वसीम बन जाती हैं ‘सीक्रेट सुपरस्टार’

फिल्म की कहानी बताती है कि ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ की मां अपनी बेटी का साथ देती है और उसकी ख्वाहिशों की खातिर अपने पति के साथ विदेश जाने से भी इनकार कर देती है। सुनो न संगे मरमर...जैसे सुपरहिट गीत लिखने वाली कौसर मुनीर ने इस गीत को ज़ायरा वसीम के किरदार के लिए बदला है, और गीत की पंक्तियां ऐसे हो जाती हैं -

तेरी ही बोली बोलूंगी मैं

तेरी ही बानी गाऊंगी मैं

तेरे इशक दा चोला पहन के

तेरे इशक दा चूड़ा पहन के

मैं तुझमें ही सज जाऊंगी

मैं नचदी फिंरा,

बन-ठन बलिये हो

मैं नचदी फिरां

छम छम छलिये, हो...

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गौर करने वाली बात यह है कि ज़ायरा पर फिल्माए गए गीत में से ‘सेक्सी बलिए’ शब्द को हटा दिया गया है। इसमें कोई हर्ज भी नहीं है क्योंकि फिल्म में ज़ायरा ने एक स्कूली लड़की का किरदार निभाया है। ज़ायरा पर फिल्माए गए इस गीत से सूफियाना एहसास होता है। कौसर मुनीर जिस दर्जे की शायर, लेखक, गीतकार हैं, उनकी तारीफ होनी ही चाहिए, लेकिन कभी भी उन्होंने अपने काम को लेकर या मजहब को लेकर कोई शिकायत नहीं की। कौसर मुनीर भी ईमान वाली हैं, और अपने ईमान के साथ ही आगे बढ़ी है, अहम मुद्दों पर आवाज़ भी उठाती है और जिंदगी की दौड़ में आगे बढ़ रही हैं।

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ज़ायरा के सामने तो नुसरत, ज़ोया, कौसर, फातिमा और सफीना की मिसालें हैं, जिन्हें अपने काम और अपनी जिंदगी की रफ्तार को सबके सामने रखने में कोई संकोच नहीं है। ये सब कट्टरपंथ को खुलेआम चुनौती देती हैं। लेकिन, ज़ायरा ने तो इसके सामने हथियार डाल दिए, इसके सामने झुक गईं।

ज़ायरा, ने जब लिखा कि वह रोल मॉडल (दूसरों के लिए आदर्श) नहीं बनना चाहतीं, तो यह सही बात है। आखिर वह इस मामले में ठहरती ही कहां हैं।

(प्रभात शुंगलू पत्रकार, लेखक और यू-ट्यूबर हैं। वे यू-ट्यूब चैनल द न्यूज़ बज़ के संस्थापक संपादक हैं।)

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