अमेरिका बहुत बड़ा अकड़ू भी है और उतना ही बड़ा मस्केबाज भी! आजकल महाप्रभु की मस्केबाजी कर रहा है। वैसे तो नौ साल के इंतजार के बाद महाप्रभु को अमेरिका की राजकीय यात्रा का न्योता देना अपने आप में उनका अपमान भी है और मस्केबाजी का मलहम भी। फिर निमंत्रण के कुछ ही दिन बाद हिरोशिमा के शिखर सम्मेलन में बाइडेन साहब ने खुद आगे बढ़कर महाप्रभु से हस्ताक्षर मांगकर मस्केबाजी का मलहम और तगड़ा लगा दिया।
उसके बाद से मस्केबाजी जारी है। बाइडेन जी ने उस दिन कहा और गोदी मीडिया ने बताया कि आप तो हमारे यहां बहुत लोकप्रिय हैं। आपके डिनर की घोषणा मेरे लिए सरदर्द बन चुकी है।जिनको मैं जानता तक नहीं, वे भी कह रहे हैं, प्लीज, हमें बुलाओ। फिल्मी हस्तियों से लेकर रिश्तेदार तक सब आना चाहते हैं। कितनों को बुलाऊं! महाबली को गदगद होने के लिए और क्या चाहिए!
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इससे प्रशासन को भी इशारा मिल गया कि महाप्रभु के शुभागमन तक तगड़ी मस्केबाजी करके इन्हें गदगदायमान रखना है। बंदा बहुत काम का है। मोटा आसामी है। पटने के लिए बहुत उत्सुक है। इसके वाशिंगटन आने तक इसके सिर से पैर तक मस्के की पालिश जारी रखना है।नो ढील-ढाल। इसे मस्कावतार बनाना है। इसके तलुओं में इतना ज्यादा मस्का लगाना है कि ये बंदा व्हाइट हाउस के कारपेट पर फिसल जाए!
कट। अब हम सीधे व्हाइट हाउस चलते हैं, जहां प्रेसिडेंट साहब का शुक्रिया अदा करते हुए महाप्रभु कह रहे हैं कि वैसे तो मेरे देश की एक से एक विभूतियां मुझे मस्का मारती हैं। मस्केबाजी को मैंने साहित्य की एक विधा का सम्मान दे रखा है। जीना है तो मुझे मस्का मारना होगा। अभी जब यहां हूं, तो वन टू आल, सभी टीवी चैनलों पर मेरी लाइव मस्केबाजी चल रही है।आपके यहां होता है ऐसा? नहीं होता होगा। आपको इस विधा का आयात विश्वगुरू भारत से करना चाहिए। यह आपके देश के हित में हो न हो, प्रेसिडेंट साहब, आपके हित में है। इसे मेरी मित्रवत सलाह मानिए।
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खैर आप और आपके देश का शुक्रिया। आपकी इस आफिशियल मस्केबाजी का मजा ही कुछ और है! इसमें जो जायका है, जो वैश्विक महक है, उसका कोई जवाब नहीं। अच्छा, मित्र अब लाइए, कहां-कहां साइन करने हैं और डिनर-शिनर खिलाइए! माननीय, मेरे आने से पहले आपका एक प्रतिनिधि ही यह उदारता दिखा सकता था कि यह कहे कि भारत एक धड़कता -फड़कता लोकतंत्र है और जिसे शक हो, वह नई दिल्ली जाकर खुद देख ले! सच कहूं प्रेसिडेंट साहब, यह सुनने के बाद मैं तो पिघल गया। बर्फ से पानी, दूध से सीधे असली घी बन गया! सच कहता हूं, यह सुनने के बाद मुझे उस दिन से आज तक नींद नहीं आई है। जो भारत के लोग देख न सके, उसे आपने अपनी दिव्यदृष्टि से वाशिंगटन से देख लिया, यह कितनी बड़ी बात है! यह उदारता की पराकाष्ठा है, बड़प्पन का हिमालय है।
अब आपसे क्या छिपाना उस दिन मेरा मन हुआ, खूब नाचूं। इतना नाचूं कि घुंघरू टूट जाएं। सच कहता हूं प्रेसिडेंट सर, मन हुआ कि इतना नाचूं कि पग घुंघरू बांध मीरा भी इतना न नाची होगी, मगर ट्रेजेडी यह है कि जंगल में मोर नाचता तो देखता कौन? इससे पहले आपने स्वयं मुझसे हिरोशिमा में मेरे साइन लिए थे! गरीब मां का यह बेटा इतना बड़ा सम्मान पाकर होटल जाकर रो पड़ा था और तुरंत अडानी को फोन लगाया था कि देख, आज भी मेरा कितना जलवा है! तू घबरा मत, मैं तेरे घोटालों की नैया पार लगाके रहूंगा। उस हिंडनबर्ग की ऐसी-तैसी। उस पर नजर रखना। अपनी गली में आए तो वह मजा चखाऊंगा कि वह भी जिंदगी भर याद रखेगा!इधर आपके रक्षामंत्री जी ने हमारे रक्षा मंत्री से मिलने के लिए दिल्ली आने का कष्ट उठाया! सीनेट और कांग्रेस के सदस्यों ने भारतीयों को जल्दी से जल्दी वीजा जारी करने की सिफारिश की। मतलब जो सपने में भी न सोचा था, वह सब मेरे यहां आने से पहले हो चुका है! धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद।
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अब सरकार, आप स्वयं गणतंत्र दिवस पर हमारे देश पधारकर एक बार अपना और मेरा जलवा दिखा जाओ! इसके बदले में आप जो भी सेवा चाहोगे, सब मिलेगी। आपके एजेंडे का कोई आइटम छूट रहा हो, कोई नया आइटम जोड़ना हो तो वह भी हो जाएगा! मैं सौदे करके आपकी नैया पार लगाऊंगा, आप आकर मेरी पार लगाओ। अब की बार... करके जाओ।
तो भाइयों-बहनों आप समझे, अमेरिका यूं ही दुनिया का दादा नहीं है। वह तगड़ी रिसर्च करता है कि कब, किसे राजकीय लंच या डिनर देना है। किसे तड़पा-तड़पा कर मार देना है। अमेरिका जानता है कि किसके कान सीधे हाथ से पकड़ना है और किसके उल्टे हाथ से! किसकी नाक काटना है, किसकी नाक दो घंटे के लिए इतनी ऊंची कर देना है कि उसका दिमाग घूम जाए। उसे मुगालता हो जाए कि मेरी नाक तो इनके प्रेसिडेंट की नाक से भी ऊंची है! अमेरिकी प्रशासन इस निष्कर्ष पर पहुंचा होगा कि इस बंदे को मस्का बहुत प्रिय है। अमेरिका का प्रेसिडेंट खुद मस्का लगाएगा तब तो ये भाव-विभोर हो जाएगा। झूम जाएगा तो तबसे मस्का कार्यक्रम जारी है और ईश्वर की कृपा से 24 तक जारी रहेगा।
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वैसे अमेरिका से हमारी इस जन्नत की हकीकत छुपी हुई नहीं है! वह सब जानता है। जाने कहां -कहां से चीजें खोदकर लाता है! किसी नेता की सबसे कमजोर नस सही समय पर पकड़ता है और अपना काम निकाल लेता है। फिर तू कौन और मैं कौन? दूसरी बार पहचानने तक से इनकार कर देता है। वह जानता है कि भारत बड़ा बाजार है। 'यहां न खाऊंगा, न खाने दूंगा' कल्चर के साये में सब चलता है। जो बेचो, बिक जाता है, जो खरीदना चाहो, टके सेर मिल जाता है।
चीन के विरुद्ध इस सरकार को पूरी तरह अपने पाले में लेना है। इसे हथियार बेचना है। अभी मौका है। महाप्रभु से डील आसान है वरना पता नहीं अगले साल क्या हो, कौन आए! और महाप्रभु असल में वहां क्या दे आए हैं, इसका पता अगर चल भी सका तो इनके वहां हस्ताक्षर करने के बाद चलेगा। वहां से ये फकीर अपनी झोली में दो-चार छोटे-मोटे आइटम ले आएगा।गोदी मीडिया इसी का हल्ला छह दिन तक मचाएगा। इस तरह हमारा लोकतंत्र गदगदायमान होकर धड़कने-फड़कने लगेगा।
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