विचार

राहुल गांधी पर अनर्गल आरोप बीजेपी की विकृत मानसिकता और गिरते राजनीतिक स्तर का प्रमाण: जीतू पटवारी

राहुल गांधी पर बीजेपी द्वारा लगाए गए आरोप केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं हैं बल्कि भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और समाज के मूल्यों पर भी हमला हैं। जनता को यह समझना होगा कि यह राजनीति का गिरता स्तर है और इसे सुधारने की जिम्मेदारी जनता पर ही है।

(बाएं) मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी और (दाएं) कांग्रेस नेता राहुल गांधी
(बाएं) मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी और (दाएं) कांग्रेस नेता राहुल गांधी 

भारतीय राजनीति में विचारधारा, मूल्यों और सिद्धांतों का अपना विशेष महत्व है। यह न केवल देश के विकास और स्थायित्व के लिए आवश्यक है बल्कि यह जनका प्रति राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी का भी प्रमाण होता है। लेकिन जब राजनीति में व्यक्तिगत हमले, अनर्गल आरोप और मिथ्या प्रचार का सिलसिला शुरु हो जाता है, तो यह राजनीति के गिरते स्तर को ही दर्शाता है।

दुर्भाग्य से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिस तौर-तरीके की राजनीतिक करना चाह रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य है। यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि स्तर की इस गिरावट पर प्रधानमंत्री की चुप्पी वाचाल वर्ग को प्रोत्साहन दे रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर बीजेपी द्वारा लगाए गए अनर्गल आरोप इसी विकृत मानसिकता का परिचायक हैं। बीजेपी का बार-बार राहुल गांधी के खिलाफ इस प्रकार के आरोप लगाना उनके राजनीतिक भय का भी बड़ा प्रमाण है। चूंकि राहुल गांधी देश हित में सरकार से लगातार सवाल पूछते हैं। गांव, गरीब, मजदूर और किसान की आवाज उठाते हैं। महिला उत्पीड़ने के मामलों को राष्ट्रीय मुद्दा बनाते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री के संरक्षण और प्रोत्साहन से केंद्र सरकार के मंत्री से लेकर अलग-अलग राज्यों के विधायक तक गैरजरूरी आरोप लगाते रहते हैं।

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राजनीति में व्यक्तिगत हमलों का चलन

बीजेपी की पॉलिटिकल पॉलिसी के तहत व्यक्तिगत हमलों का चलन काफी बढ़ गया है। बीजेपी द्वारा राहुल गांधी पर लगाए जाने वाले आरोप न केवल उनके व्यक्तिगत चीवन पर होते हैं, बल्कि उनके राजनीतिक कद को भी चुनौती देने का असफल प्रयास भी होते हैं। विकृत और विपरीत विचारधारा का यह कृत्य बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी करते रहते हैं। यह तंज राजनीति में किसी विचारधारा या नीति पर चर्चा से दूर, व्यक्तिगत अपमान और उपहास की ओर इशारा करता है। ऐसे शब्दों और आरोपों का उद्देश्य केवल राहुल गांधी की छवि करना होता है। बीजेपी बार-बार यह भूल जाती है कि उनकी ऐसी ही तमाम कोशिशों से राहुल गांधी की छवि जननायक के रूप में और ज्यादा ताकत से उभर आती है।

बीजेपी की विकृत मानसिकता

बीजेपी नेताओं द्वारा राहुल गांधी पर लगाए गए बेबुनियाद आरोप बीजेपी की विकृत मानसिकता का प्रतीक हैं। राजनीति में स्वस्थ बहस और विचार-विमर्श के बजाए जब आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति होती है तो यह केवल समाज के भीतर विभाजन और दरार पैदा करती है। ऐसे आरोप बीजेपी की उस मानसिकता का उदाहरण हैं जहां विरोधियों का सम्मान नहीं किया जाता। एक स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्षी दलों की अहम भूमिका होती है, लेकिन बीजेपी के लिए विपक्ष केवल आलोचना का शिकार बनता है। यह मानसिकता न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान करती है, ब्कि यह दिखाती है कि बीजेपी किस तरह सत्ता के लालच में किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती है।

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राजनीति का गिरता स्तर

राहुल गांधी पर अनर्गल आरोप भारतीय राजनीति के गिरते स्तर का भी प्रमाण है। राजनीति कभी विचारधारा और जनसेवा का मंच हुआ करती थी, लेकिन अब यह एक खेल बन गई है जिसमें व्यक्तिगत हमले और अपमानजनक  भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। बीजेपी के झूठे अहंकार के कारण ही आज के दौर में राजनीतिक पार्टिंयों के बीच स्वस्थ बहस का अभाव है। नीति, योजनाओं और जनता की समस्याओं पर विचार के बजाए, व्यक्तिगत हमले ज्यादा होते रहते हैं। यह स्थिति न केवल बीजेपी के गिरते स्तर को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह केंद्र की सत्ता से लेकर कई राज्यों में सरकार चला रही बीजेपी सत्ता की लालसा में लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को पीछे छोड़ चुकी है।

जनता के मुद्दों से भटकाव

आज के राजनीतिक दौर की सच्चाई यह है कि राहुल गांधी पर लगाए जाने वाले आरोप र व्यक्तिगत हमले केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं होते, बल्कि यह जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक तरीका है। जब राजनीतिक दल जनता की समस्याओं को हल करने में विफल हो जाते हैं तो वे अपने विरोधियों पर आरोप लगाकर अपनी विफलताओं को छिपाने का प्रयास करते हैं। राहुल गांधी पर बीजेपी के हमले भी इसी रणनीति का हिस्सा है। सरकार की नीतियों और योजनाओं की आलोचना का सामना करने के बजाए बीजेपी राहुल गांधी को निशाना बनाकर अपनी असफलताओ को छिपाने का प्रयास करती है। इससे न केवल जनता के मुद्दों की अनदेख होती है, बल्कि यह राजनीति के मूल उद्देश्य को भी कमजोर करती है।

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लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा

राहुल गांधी पर लगाए जाने वाले आरोप और बीजेपी द्वारा अपनाई गई यह रणनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए भी एक बड़ा तरा है। प्रजातंत्र की मौलिक परिभाषा में यह एक स्थापित तथ्य और सत्य है कि स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्षा का स्थान और सम्मान महत्वपूर्ण होता है। विपक्ष सरकार की नीतियों की आचना करता है और जनता की आवाज उठाता है। लेकिन जब विपक्ष के शीर्ष नेतृत्व पर नितांत निराधार व्यक्तिगत हमले होते हैं, तो यह सदन की गरिमा और गंभीरता के साथ लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करता है। राहुल गांधी पर लगाए गए आरोप अल्पजीवी चर्चा तो बटोर लेते हैं लेकिन लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रति जनता विश्वास को कमजोर कर देते हैं। इससे जनता के बीच यह संदेश जाता है कि राजीति में विचारधारा और सिद्धांतों के बजाए व्यक्तिगत हमले ही प्रमुख हो गए हैं।

वैचारिक लड़ाई में पिछड़ गई बीजेपी

बीजेपी शायद भूल गई है लेकिन देश की जनता इस सच को बखूबी जानती है कि राहुल गांधी पर बीजेपी पर लगाए गए आरोप केवल व्यक्तिगत हमले नहीं बल्कि वैचारिक लड़ाई का हिस्सा हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों की विचारधाराएं अलग-अलग हैं और यह वैचारिक संघर्ष भारतीय राजनीति के केंद्र में है। बीजेपी अपनी नफरत से भरी वैचारिक विचारधारा और बांटने की राजनीतिक भावना को बढ़ावा देती है जबकि कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी समाज की वकालत करती है। इस वैचारिक संघर्ष में बार-बार हारने के बावजूद बीजेपी राहुल गांधी को केवल इसलिए निशाना बनाती है क्योंकि वह कांग्रेस की विचारधारा के आगे आज भी खुद को बौना पाती है। परास्त होती है, लेकिन फिर भी बेशर्मी से लड़ती रहती है।

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जनता की अदालत में अब जनता की ही जिम्मेदारी

राजनीति में गिरते स्तर और अनर्गल आरोपों के इस दौर में जनता की भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। जनता को यह समझना होगा कि बीजेपी आरोप-प्रत्यारोप के बजाए असली मुद्दों से ध्यान भटटकाना चाहती है। राहुल गांधी पर लगाए गए आरोप केवल राजनीति का हिस्सा हैं, लेकिन जनता को यह समझना होगा कि आरोप केविल राजनीतिक स्वार्थ के लिए लगाए जाते हैं। जनता को इसी सच और झूठ के बीच फर्क करना भी सीखना होगा। यह देखना भी होगा कि कौन से राजनेता उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए  प्रतिबद्ध हैं।

एक स्वस्थ लोकतंत्र में विचारधारा, नीति और जनता की समस्याओँ पर चर्चा होनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत हमलों और आरोपों का खेल। जनता को सचेत रहना होगा और यह देखना होगा कि राजनीति में कौन से नेता असली मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं और कौन केवल सत्ता की लालसा में असत्य का सहारा ले रहे हैं। राहुल गांधी पर बीजेपी द्वारा लगाए गए आरोप केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं हैं बल्कि भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और समाज के मूल्यों पर भी हमला हैं। जनता को यह समझना होगा कि यह राजनीति का गिरता स्तर है और इसे सुधारने की जिम्मेदारी जनता पर ही है।

(लेखक मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष हैं)

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