देश में इन दिनों अद्भुत फैसले हो रहे हैं। ऐसे फैसले जिनको सुनकर आप आंख मलते रह जाएं। कुछ समय पहले गुजरात सरकार एवं केन्द्र सरकार की मर्जी के साथ बिलकिस बानो के बलात्कारियों की सजा माफ कर दी गई। वे अब खुले घूम रहे हैं। अभी दो-चार दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सजा काट रहे दोषियों को रिहा कर दिया। कांग्रेस पार्टी के अनुसार, यह फैसला ‘स्वीकार नहीं किया जा सकता।’ भले ही किसी के गले से न उतरे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तो राजीव गांधी हत्या मामले में जेल में बंद दोषियों को माफी दे दी। आप बस हाथ मलते रहिए, पैर पटकिए या चिल्लाइए कि आखिर हो क्या रहा है। जो होना था, वह तो हो गया।
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जरा सोचिए, राजीव गांधी की हत्या से जुड़े दोषी आजाद घूमेंगे। कैसी निर्मम हत्या थी वह जिसके बारे में सोचकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मुझे याद है 21 मई, 1991 की वह मनहूस रात जब अचानक खबर आई कि राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। पहले तो विश्वास नहीं हुआ। फिर समाचार सुना और सन्न रह गए। वह तेज गर्मियों की रात थी। लोकसभा चुनाव का अभियान चरम पर था। मैं दो दिन पूर्व वीपी सिंह की महाराष्ट्र की सभाओं के दौरे से लौटा था। इंडिया टुडे के लिए रिपोर्ट लिखने की तैयारी कर रहा था। तभी समाचार मिला कि राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। चेन्नई के पास श्रीपेरुंबदूर की एक चुनावी सभा से पूर्व कुछ लोगों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। हम भागकर राजीव गांधी के निवास- नंबर 10, जनपथ पर पहुंचे। देखते-देखते घर और बाहर हजारों लोग उमड़ पड़े। चारों ओर बस यही नारा था- ‘जब तक सूरज-चांद रहेगा, राजीव तेरा नाम रहेगा।’ लेकिन लगभग 30 वर्षों बाद यह हाल है कि राजीव गांधी की हत्या के दोषी खुले घूम रहे हैं।
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सच तो यह है कि राजीव गांधी को न तो उनके जीते जी और न ही उनकी मृत्यु के बाद इंसाफ मिला। आज भारत सारी दुनिया में अपनी आईटी सेक्टर की उन्नति पर गौरवान्वित है। यह इस देश को राजीव गांधी की देन है। यह राजीव गांधी की दूरदृष्टि थी कि वह 1980 के दशक में यह समझ गए कि 21वीं सदी कंप्यूटर की शताब्दी होगी। यदि भारत को दुनिया के बड़े देशों से कंधा से कंधा मिलाकर चलना है, तो हर भारतवासी के हाथ में कंप्यूटर होना चाहिए। बस, सैम पित्रोदा के नेतृत्व में देश में कंप्यूटर मिशन छेड़ दिया। भारतीय सरकार में देखते-देखते कंप्यूटरीकरण हो गया। फिर सब को समझ में आने लगा कि बगैर कंप्यूटर जीवन नहीं चल सकता। भारत में आईटी क्रांति कौंध पड़ी। आज दुनिया की बड़ी-बड़ी आईटी कंपनियों का सीईओ भारतीय है। लेकिन भारत ने उस समय राजीव गांधी की खिल्ली उड़ाई। राजीव गांधी और उनकी टीम को व्यंग्य से ‘कंप्यूटर ब्वॉयज’ कहा गया। यह था इस देश को आईटी क्रांति के नायक राजीव गांधी को इनाम।
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राजीव गांधी को अपने पांच वर्षीय सत्ताकाल (1984-89) में जो कुछ झेलना पड़ा, वह किसी दूसरे प्रधानमंत्री ने नहीं झेला। जिसने भी राजीव काल देखा है, वह बोफोर्स विवाद नहीं भूल सकता। राजीव गांधी काल में भारत ने स्वीडन से बोफोर्स तोप खरीदी। अभी बोफोर्स की डिलिवरी हुई भी नहीं थी कि राजीव गांधी पर इस सौदे में कमीशन खाने का आरोप लग गया। उनके सहयोगी वीपी सिंह राजीव सरकार छोड़कर राजीव गांधी के खिलाफ सड़कों पर उतर गए। देखते-देखते सारा विपक्ष वीपी सिंह के पीछे इकट्ठा हो गया। देश बोफोर्स के नाम पर गूंज उठा। लगभग हर भारतीय इस पर यकीन करने लगा कि बोफोर्स मामले में कुछ घोटाला है। राजीव पर देश की सुरक्षा का सौदा करने का लांछन लगा।
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अंततः 1989 का लोकसभा चुनाव बोफोर्स तोप खरीदी मामले पर ही हुआ और राजीव सत्ता से बाहर हो गए। वीपी सिंह सरकार सत्ता में आ गई। सत्ता में आने के बाद वीपी सिंह समेत सभी बोफोर्स मामले को भूल गए। लेकिन राजीव गांधी को कलंक लगना था, वह तो लग ही गया। इसको बेइंसाफी नहीं तो और क्या कहेंगे? अरे, आप राजीव गांधी के साथ होने वाले किस-किस अन्याय को गिनेंगे? राजीव भारतीय राजनीति के अब तक के सबसे सज्जन व्यक्ति थे। वह आंख बंद कर सब पर भरोसा करते थे। लेकिन उनके हर मित्र ने उन्हें धोखा दिया और उनकी पीठ में छुरा घोंपा। राजीव ने किसी पर उंगली नहीं उठाई। अंततः उनकी निर्मम हत्या हुई।
जैसा अभी कहा, राजीव इस देश का वह नेता था जिसको इस देश ने न उनके जीवन काल में और न ही उनकी मृत्यु के बाद इंसाफ दिया। तब ही तो आज राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से माफी मिल गई। अब इस देश में न्याय के नए मापदंड बन रहे हैं। वह बलात्कारी हो या भूतपूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में सजा काटते दोषी, सबको माफी मिल रही है। इस ‘न्यू इंडिया’ में इंसाफ के नए मापदंड बन रहे हैं। लेकिन इससे देश का भला नहीं हो रहा है।
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