यह बिनोद और आर. कुमार के बीच का संवाद है। इनके नाम काल्पनिक हैं, लेकिन जो संवाद है वह असली घटनाओं पर आधारित है। संवाद 5जी से जुड़ा है, जिसका ढोल केंद्र की मोदी सरकार और खुद प्रधानमंत्री ने 5जी की लॉन्चिंग के मौके पर भारत के साथ पूरे संसार में पीटा। देश में 5जी सेवा शुरू कर सरकार अपना पीठ थपथपा रही है और वह यह जताने की कोशिश कर रही है कि उसके राज में जो हो रहा है, वह किसी के राज में न हुआ और न हो सकता है।
बिनोद और आर. कुमार के बीच का संवाद:
आर. कुमार: देख रहा है न बिनोद…कैसे 5जी लॉन्च कर वाहवाही लूटी जाती है? ये कोई मोदी जी से सीखे!
बिनोद: जी
आर. कुमार: भारत की जनता कितनी भोली और मेरे मीठू मियां की तरह है न? उसे जो बताओ और रटाओ याद करती है, लेकिन कुछ ही दिनों बाद सब भूल जाती है। ठीक वैसे ही जैसे वह 2जी और 5जी के बीच का इतिहास, घाटा और फायदा सब भूल गई।
बिनोद: वो कैसे भैय्या जी?
आर. कुमार: कितने भोले हो बिनोद, तुम भी सब भूल गए? 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद कितना हो हल्ला मचा था। मानो 2जी स्पेक्ट्रम न हुआ देश हो गया, जिसे तत्कालीन सरकार ने गिरवी रख दिया हो।
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बिनोद: साफ-साफ बताओ भैय्या जी पहेली न बुझाओ!
आर. कुमार: बता रहा हूं, बस थोड़ा धैर्य रखो। साल 2022 में 5G के लिए सरकार को सिर्फ 1 लाख 50 हजार करोड़ का राजस्व मिला। जबकि साल 2008 में 2G स्पेक्ट्रम के लिए तत्कालीन सरकार पर 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप लगा था।
बिनोद: 2जी से 5जी का कैसा कनेक्शन?
आर.कुमार: सोचो बिनोद, अगर 12 साल पहले 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में तत्कालीन सरकार को 1.76 लाख करोड़ की अतिरिक्त आमदनी हो सकती थी तो 5जी स्पेक्ट्रम की नालामी से सरकार को सिर्फ 1 लाख 50 हजार करोड़ का राजस्व ही कैसे? जबकि सरकार को मिलने वाला अनुमानित राजस्व कम से कम 5 लाख करोड़ होना चाहिए था। लेकिन 5जी लॉन्चिंग के शोर में यह सारे सवाल जमीन में दफ्न हो गए।
बिनोद: क्या कह रहे हैं भैय्या जी! मोदी राज में घपला और घोटाला? ना, ना... डर के मारे घपला और घोटाला दोनों कबका देश छोड़कर भाग चुके हैं।
आर.कुमार: 5जी की नीलामी में घपला-घोटाला हुआ, यह तुम मानो या न मानो बिनोद। यह तुम्हारे विवेक के ऊपर छोड़ देता हूं। क्योंकि न तो इसकी जांच हुई और ना ही यह मामला जिरह के लिए अदालत में पहुंचा। आगे यह बताता चलूं कि 2जी स्पेक्ट्रम में गड़बड़ी का मामला कोर्ट में टिक नहीं पाया था। सभी आरोपी बरी हो गए थे। लेकिन 2जी और 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बीच में जो समय और महंगाई का अंतर है। उसे देख कोई भी यह सहज ही अंदाजा लगा सकता है कि 5जी की नीलामी में देश को चूना लगा या नहीं लगा?
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