उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते स्वास्थ्य विभाग की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। मरीज अस्पताल के बाहर दम तोड़ रहे हैं। हालात यह हैं कि खुद प्रदेश सरकार में शामिल मंत्री खराब स्वास्थ्य व्यवस्था का रोना रो रहे हैं। सोशल मीडिया पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और लखनऊ निवासी बृजेश पाठक के एक अति गोपनीय पत्र ने जबरदस्त हलचल मचा दी है और अपनी ही सरकार के स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए कहा है कि उनके क्षेत्र के पदम श्री इतिहासकार योगेश प्रवीण के लिए उन्होंने सीएमओ को फोन करके एम्बुलेंस का अनुरोध किया, मगर फिर भी घंटों एम्बुलेंस नहीं आई। इसके बाद सीएमओ ने उनका फोन उठाना ही बंद कर दिया।
Published: 13 Apr 2021, 4:17 PM IST
बृजेश पाठक सूबे में कानून मंत्री हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि लखनऊ में इस समय स्वास्थ्य सेवा की हालत बेहद चिंताजनक है। कोरोना मरीजों के साथ भारी लापरवाही हो रही है। समुचित इलाज नहीं मिल रहा है। भर्ती की स्लिप मिलने के बाद भी मरीजों को 2 -2 दिन बाहर गुजारने पड़ रहे हैं। लखनऊ के प्राइवेट सेंटर में कोरोना की जांच बंद करा दी गई है। एम्बुलेंस समय से नहीं मिल रही है और वो 5-6 घंटे बाद मरीज तक पहुंच रही है। बृजेश पाठक के इस पत्र के बाद उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन बंद आ रहा है।
Published: 13 Apr 2021, 4:17 PM IST
अधिकारियों को लिखे अपने पत्र में मंत्री ब्रजेश पाठक ने व्यवस्था पर सवाल उठाने के साथ ही कहा है कि लखनऊ में हालात चिंताजनक हैं। इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीन की लगातार मांग के बाद भी दो घंटे तक एंबुलेंस ना मिलना बेहद ही कष्टदायक है। आम आदमी के बारे में हम क्या कहें। उन्होंने लिखा, "मैंने खुद लखनऊ के सीएमओ से अनुरोध किया फिर भी एंबुलेंस नहीं मिली। समय से इलाज न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई। हम सब उनकी मौत के गुनाहगार हैं। कोविड जनित परिस्थितियों को यदि शीघ्र नियंत्रित न किया गया तो हमें इसकी रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।"
Published: 13 Apr 2021, 4:17 PM IST
ब्रजेश पाठक ने अपने पत्र में लिखा कि जिले में प्रतिदिन चार से पांच हजार कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। अस्पतालों में बेड की संख्या बेहद कम है। लखनऊ के प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटरों में जांच बंद करा दी गई है और सरकारी अस्पतालों में कोविड की जांच में कई दिनों का समय लग रहा है।उन्होंने कोविड मरीजों के लिए अस्पताल में बेड बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने लिखा कि सीएम योगी के अथक प्रयास के बाद भी हम लोगों को इलाज नहीं दे पा रहे हैं। लखनऊ के सीएमओ ऑफिस से काम नहीं होता है। उनका तो फोन ही नहीं उठता है।
मंत्री ने आगे लिखा, "अंसतोषजनक हालात को देखते हुए 8 अप्रैल को वह सीएमओ ऑफिस जा रहे थे, लेकिन अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) के आश्वासन पर नहीं गए। फिर भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। जरूरी है कि कोविड बेड बढ़ाए जाएं, पर्याप्त जांच किट दी जाएं, प्राइवेट लैब को कोविड जांच का फिर अधिकार मिले। गंभीर रोगियों को तुरंत भर्ती कर गंभीर रोगों से ग्रसित नॉन कोविड मरीजों का उचित इलाज हो।"
Published: 13 Apr 2021, 4:17 PM IST
लखनऊ में कोरोना की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि स्वास्थ्य विभाग ने आंकड़े छिपाने शुरू कर दिए हैं, मगर श्मशान घाट और कब्रिस्तान के आगे खड़ी एम्बुलेंस की गाड़ियां कुछ और ही कहानी कह रही हैं। ऐशबाग कब्रिस्तान के करीब रहने वाले खालिद सिद्दिकी के मुताबिक उन्होंने इतनी मय्यत (मर्तक) को यहां आते कभी नही देखा। एक हफ्ते में 150 से ज्यादा लोग यहां दफनाए जा चुके हैं। लखनऊ के ही नरेंद्र यादव के मुताबिक श्मशान घाटों की भी यही स्थिति हैं। काफी अधिक मौत हो रही हैं। कोरोना के चलते दूसरी गंभीर बीमारी वाले मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। लखनऊ में लोगों ने सरकारी तंत्र से इलाज मिलने की उम्मीद छोड़ दी है।
वहीं, लखनऊ में दाह संस्कारो में 7 गुना बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़े लखनऊ नगर निगम के हैं। सोमवार को कुल 80 संक्रमितों का अंतिम संस्कार किया गया। यह संख्या एक दिन की है। इसके अलावा ऐशबाग कब्रिस्तान में 200 बॉडी दफनाई गई है। ईसाई कब्रिस्तान में भी 15 बॉडी पहुंची है। श्मशान घाट में 50 नए प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं। लखनऊ के हालात लगातार काबू से बाहर होते जा रहे हैं।
(आस मोहम्मद के इनपुट के साथ)
Published: 13 Apr 2021, 4:17 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 13 Apr 2021, 4:17 PM IST