उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन संकट के मामले में कथित लापरवाही के लिए चार से निलंबित डॉ कफील खान को राहत देने से इनकार कर दिया है। राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया है कि निलंबित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफील खान का निलंबन जारी रखा जाएगा, क्योंकि उनके खिलाफ एक अलग अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
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सरकार ने गुरुवार को अदालत को बताया कि उनके खिलाफ निलंबन का एक अलग आदेश पारित किया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत में कहा कि यह कार्यवाही अभी समाप्त होनी है और इसमें निलंबन का आदेश जारी है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में ऑक्सीजन की कमी में कथित भूमिका के लिए डॉ कफील को अगस्त 2017 में निलंबित किए जाने के बाद निदेशक, चिकित्सा शिक्षा के कार्यालय से संलग्न होने की अवधि के लिए यह कार्रवाई की गई है।
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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अब राज्य सरकार को एक हलफनामे के माध्यम से दो हफ्ते के भीतर, बाद के निलंबन आदेश के साथ-साथ 22 अगस्त, 2017 के निलंबन के प्रारंभिक आदेश से संबंधित अन्य आवश्यक तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया है, जिसके द्वारा डॉ कफील को निलंबित किया गया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 31 अगस्त तय की है
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट डॉ कफील की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने 22 अगस्त, 2017 को सेवा से अपने निलंबन को चुनौती दी है। इस मामले में 6 अगस्त, 2021 को राज्य सरकार ने 24 फरवरी, 2020 के दोबारा जांच शुरू करने के आदेश को वापस लेने की जानकारी दी थी। इससे पहले मामले की पहली उच्चस्तरीय जांच में डॉ कफील को पूरी तरह से निर्दोष बताया गया था।
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वर्तमान रिट याचिका में डॉ कफील खान ने अगस्त 2017 के निलंबन के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि शुरू में नौ व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही की गई थी। उन्होंने बताया है कि याचिकाकर्ता के साथ निलंबित किए गए लोगों में से सात को अनुशासनात्मक कार्यवाही पूरी होने तक बहाल कर दिया गया है। 29 जुलाई, 2021 के अपने आदेश में, हाईकोर्ट ने इस बात पर ध्यान देते हुए कहा था कि प्रतिवादी निलंबन के आदेश को जारी रखने का औचित्य साबित करने के लिए बाध्य हैं जो चार साल से अधिक समय से जारी है।
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