गोरखपुर के डॉक्टर कफील खान के खिलाफ योगी सरकार ने रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की है। इसके चलते शुक्रवार को रिहा होने वाले डॉक्टर कफील खान की मुश्किलें बढ़ गई है। डॉक्टरक कफील के उपर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में भड़काऊ बयान देने का आरोप है।
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खबरों के मुताबिक, भड़काऊ बयान देने के आरोप में मथुरा जेल में बंद कफील को जमानत मिल गई थी लेकिन अभी तक उन्हें रिहा नहीं किया गया था। बताया जा रहा है कि जमानत के आदेश देर से पहुंचने के कारण गुरुवार को मथुरा जिला कारागार से रिहाई नहीं हो पाई थी।
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मथुरा जिला कारागार के जेलर अरुण पाण्डेय ने बताया, “कफील खान की रिहाई का आदेश देर शाम मिला है इसलिए उनकी रिहाई गुरुवार न होकर शुक्रवार की सुबह हो पाएगी।” लेकिन उनकी रिहाई से पहले ही यूपी पुलिस ने उन पर रासुका लगा दिया। जिससे उनकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई हैं।
डॉ कफील के वकील मोहम्मद इरफान गाजी ने मीडिया से कहा था, “कोर्ट को बताया गया कि कफील खान को राजनीतिक दवाब में गलत तरीके से फंसाया गया। बहस के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।”
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गौरतलब है कि डॉक्टर कफिल का नाम 2017 में गोरखपुर के एक अस्पताल में हुई तमाम बच्चों की संदिग्ध मौतों के मामले में सुर्खियों में आया था। कफील पर अपने भाषण से शांतिपूर्ण माहौल को भड़काने और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का भी आरोप है। सीएए, एनरआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण को लेकर कफील खान पर मुकदमा दर्ज किया गया था। 29 जनवरी की रात को यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर कफील को अलीगढ़ में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था। जहां से पहले अलीगढ़ जिला जेल भेजा गया था और एक घंटे बाद ही मथुरा के जिला कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से वह यही पर बंद है।
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