यह वह सुर्खियां जो उत्तर प्रदेश की आर्थिक हालत बयां करती हैं। वित्त विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा था कि राज्य सरकार नकदी की कमी से जूझ रही है। एक्साइज और जीएसटी से उतना पैसा नहीं आ पा रहा जो राज्य की अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चला सके। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने सभी विभागों से खर्चों में कटौती करने को कहा था।
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लेकिन इन हालात के बीच ही योगी सरकार अयोध्या में 133 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। लोक निर्माण विभाग के एक अधीक्षक अभियंता का कहना है कि इस पैसे से 133 किलोमीटर लंबी सड़क बन सकती थी, लेकिन यह पैसा दीप जलाने पर खर्च किया जा रहा है। पुष्पक विमान रूपी हैलीकॉप्टर से आने वाले राम-सीता के किरदार निभाने वाले अभिनेताओं पर पुष्प वर्षा करने पर खर्च हो रहा है। इस इंजीनियर का कहना है कि, “यह पैसे की बरबादी है। इस सरकार में हिंदुत्व पर ही सारा जोर है। मुख्यमंत्री के पास मंदिरों और मठों के लिए पैसा है लेकिन विकास के लिए पैसा नहीं है।”
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गौरतलब है कि योगी सरकार ने इस साल अयोध्या के दीपोत्सव को राज्य उत्सव का दर्जा दिया है। पिछले साल इस कार्यक्रम पर 24.27 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जबकि इस साल उत्सव का बजट 133 करोड़ है। इनमें से सवा करोड़ से ज्यादा सिर्फ दीयों पर ही खर्च हो रहे हैं।
इस साल के अयोध्या दीपोत्सव में नया गिनेज विश्व रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य है और सरयू के तट पर सभी घाटों पर 5 लाख 51 हजार दीये जलाए जाएंगे। जिलाधिकारी अनुज झा का कहना है कि 4 लाख दीये राम की पौड़ी पर और बाकी 1.50 लाख शहर के अलग-अलग मंदिरों और चौराहों पर जलाए जाएंगे।
इस काम के लिए करीब 6000 कार्यकर्ता लगाए गए हैं। इनमें बहुत सारे कॉलेज छात्र हैं जो एक खास पैटर्न में दीयों को सज्जित कर रहे हैं। साकेत विश्वविद्यालय के छात्र सुधीर शर्मा कहते हं कि, “इस सरकार में दिखावा बहुत ज्यादा होता है। अगर मुख्यमंत्री वाकई अयोध्या को विश्व मानचित्र पर स्थापित करना चाहते हैं तो बुनियादी ढांचे पर खर्च करना चाहिए। शहर को सड़कों, ड्रेनेज सिस्टम और शुद्ध पेयजल की जरूरत है। अगर यहां पर्यटक आएंगे तो इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। लेकिन दीपोत्सव जैसे ड्रामे से आम लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला।”
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