हालात

विश्व फोटोग्राफी दिवस: उन हुनरमंदों को सलाम करने का दिन, जिन्होंने वक्त बेवक्त दुनिया को दिखाया आईना

विश्व फोटोग्राफी दिवस मौका देता है उन हुनरमंदों को सैल्यूट करने का जिन्होंने दुनिया को समय-समय पर आईना दिखाने का काम किया है। जब भी मानवता अपनी सीमाएं लांघने लगती है तो उसको हकीकत की जमीन पर ला पटका है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

हाल ही में दुनिया ने बांग्लादेश को उजड़ते देखा। भीड़ का कोई ईमान नहीं होता इसका सुबूत भी देखा। शेख मुजीबुर्रहमान की आदमकद प्रतिमा की बेअदबी होते देखी। दिल दहला देने वाला मंजर था, यह वो तस्वीरें थीं जो कुछ दिनों बाद किसी दूसरी तस्वीर से रिप्लेस हो जाएंगी लेकिन स्मृति पटल पर हमेशा रहेंगी। ये इतिहास के सीने पर खुरच के जड़ दी गई हैं।

तख्तापलट हो, प्राकृतिक आपदा हो, युद्ध की त्रासदी हो या फिर कोई दंगा फसाद... उन सबको कैमरा अपनी आंखों से देखता भी है और दिखाता भी है। विश्व फोटोग्राफी दिवस मौका देता है उन हुनरमंदों को सैल्यूट करने का जिन्होंने दुनिया को समय-समय पर आईना दिखाने का काम किया है। जब भी मानवता अपनी सीमाएं लांघने लगती है तो उसको हकीकत की जमीन पर ला पटका है।

कौन भूल सकता है 2015 में समुद्र तट पर निढाल पड़े मासूम एलन कुर्दी को या फिर इसके बाद 2018 की वो तस्वीर जिसमें 25 वर्षीय ऑस्कर आलबर्टो मार्टिनेज रामिरेज और उनकी 2 साल की बेटी वालेरिया निस्तेज समुद्र तट पर मिले थे। दोनों अमेरिका पहुंचने की कोशिश में मेक्सिको के तमौलिपस राज्य की रियो ग्रांडे नदी में डूब गए। बच्ची पिता की शर्ट के अंदर फंसी हुई दिखी तो उसका हाथ पिता के शरीर पर है।

1993 में फोटोग्राफर केविन कार्टर की एक तस्वीर ने भूचाल ला दिया था। यह अकाल और युद्ध का दंश झेल रहे सूडान की भयावह तस्वीर थी। मायने खूब निकाले गए। इसमें भूख से बेदम और आखिरी सांस गिनती बच्ची थी तो उसकी सांसों पर नजर टिकाए बैठा गिद्ध था। दुनिया ने नाम दिया गिद्ध और बच्ची।

अंग्रेजी की कहावत है - 'अ पिक्चर इज वर्थ अ थाउजंड वर्ड्स'। मतलब एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर की औकात रखती है। जो बातें लिखने और कहने में हम समय लेते हैं। पल भर में कोरे, खालिस जज्बात दुनिया के सामने रखने का हुनर छायाचित्र रखते हैं।

19 अगस्त पर ऐसे ही हुनरबाजों को याद किया जाता है। उन छायाकारों को जिनके कैमरे ने तस्वीरें नहीं खींची, बल्कि किस्सागोई की है। दुनिया को नींद से जगाया है। कैमरा कोई भी हो, चाहे 19 वीं सदी का डॉगोरोटाइप फोटोग्राफी कैमरा हो या फिर आज का डिजिटल कैमरा। मौका पाते ही बादशाहों को नींद से जगाया है।

--आईएएनएस

केआर

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined