वर्ल्ड बैंक ने भारत में लागू टैक्स प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को दुनिया की सबसे जटिल कर प्रणाली बताते हुए इसपर कई गंभीर सवाल उठाएं हैं। वर्ल्ड बैंक ने जीएसटी को दुनिया का दूसरा सबसे महंगा टैक्स सिस्टम करार दिया है। वर्ल्ड बैंक ने भारत पर अपनी 'इंडिया डेवलपमेंट अपडेट' रिपोर्ट में 115 देशों की कर दरों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर अपनी छमाही भारत विकास रिपोर्ट जारी की है। इन सभी देशों में एक जैसी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 49 देशों में जीएसटी की एक दर है, जबकि 28 देशों में दो तरह की दरें लागू हैं। भारत समेत सिर्फ पांच देशों में ही चार अलग-अलग तरह की कर दरें हैं। भारत में अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से 5 कर प्रणाली लागू है। कर की पांच दरें लागू करने वाले अन्य देशों में इटली, लक्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना शामिल हैं। हालांकि, जुलाई 2017 से लागू जीएसटी के दायरे से कई सामानों और सेवाओं को बाहर रखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे विश्व में जिन अन्य 4 देशों में 5 टैक्स स्लैब की व्यवस्था है, वहां की अर्थव्यवस्था कठिन दौर में ही है। जबकि 49 देशों में केवल 1 टैक्स स्लैब है और 28 देशों में 2 टैक्स स्लैब रखे गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिक्री और निर्यात की कई वस्तुओं पर कर नहीं लगता, जिसकी वजह से निर्यातक अपनी लागत पर चुकाए गए कर का रिफंड लेने का हक रखते हैं। इसके अलावा सोने पर 3 फीसदी, कीमती रत्नों पर 0.25 फीसदी कर का प्रावधान है, जबकि अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पादों, रियल एस्टेट की स्टांप ड्यूटी और बिजली के शुल्क को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इन सभी पर राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से कर तय करती हैं। विश्व बैंक ने कहा कि जीएसटी में स्थानीय करों को खत्म करने को लेकर स्पष्टता का अभाव है।
वर्ल्ड बैंक ने जीएसटी के अलावा टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है। कर रिफंड की धीमी प्रक्रिया की वजह से उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ता है और उनकी पूंजी फंसी रहती है। इसके अलावा वर्ल्ड बैंक ने कहा कि कच्चे माल पर कई तरह के कर लगने के कारण उत्पादों की लागत भी बढ़ जाती है। जिसका असर पूंजी की उपलब्धता पर पड़ने की बात कही गई है।
वैश्विक संस्था की रिपोर्ट में कर प्रणाली के प्रावधानों को अमल में लाने पर होने वाले खर्च पर भी सवाल उठाए गए हैं। हालांकि, भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई गई है। इसके लिए टैक्स रेट की संख्या कम करने, इसके कानूनी प्रावधान और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की वकालत की गई है।
Published: 16 Mar 2018, 6:18 PM IST
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Published: 16 Mar 2018, 6:18 PM IST