मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 24वें दिन में प्रवेश कर गया। हर एक दिन के साथ यह आंदोलन और तेज होता जा रहा है। इस बीच किसानों के आंदोलन के खिलाफ माहौल बनाने के लिए बीजेपी ने देश भर में किसान सम्मेलन करने का अभियान शुरू किया है, जिसमें तमाम वरिष्ठ पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल हो रहे हैं। खुद कृषि मंत्री ऐसे सम्मेलनों में शामिल होकर कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं।
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इसी तरह के एक किसान सम्मेलन में ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब कुछ लोगों ने उनके काफिले को घेर लिया। इसके बाद लोगों से बात करने गाड़ी से उतरे तोमर को एक महिला ने जमकर खरी-खोटी सुना दी। महिला ने तोमर से सीधी-सीधे पूछ दिया कि कृषि कानूनों पर बात करने के लिए क्या उन्हें दिल्ली की ठंढ में ठिठुरता किसान नहीं दिख रहा है, जो ग्वालियर के किसानों से बात करने पहुंच गए।
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दरअसल, मध्य प्रदेश का ग्वालियर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गृह नगर है और इसी नाते वह खासकर वहां बीजेपी के किसान सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे थे। लेकिन बीच में ही कुछ किसान नेताओं ने उनका काफिला रोक लिया। इसके बाद जब पुलिस के कहने के बावजूद प्रदर्शनकारी नहीं हटे, तो खुद तोमर उनसे बातचीत करने पहुंच गए। तभी लोगों ने उन्हें घेर लिया और जमकर खरी-खोटी सुनाई। इस दौरान एक महिला ने उनसे साफ शब्दों में पूछ दिया कि क्या आपको दिल्ली में आंदोलन कर रहा किसान दिखाई नहीं दिया, जो यहां के किसान सम्मेलन में यहां के किसानों से बात करने आए हैं।
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इस दौरान महिला ने तोमर को काफी देर तक खरी-खरी सुनाई, जिससे दोनों के बीच तूत-मैंमैं की नौबत आ गई। महिला ने तोमर से कहा कि आप यहां किसान सम्मेलन करने आए हैं, लेकिन किसानों को तो आपके सम्मेलन में जाने भी नहीं दिया गया? हालांकि इन सवालों पर पलटवार करते हुए कहा कि केवल आप जैसे कुछ किसानों को जाने नहीं दिया गया, क्योंकि आप सब विरोध कर रहे हैं। तोमर ने कहा कि अगर आप कानून के समर्थन में और चर्चा करने के लिए आओगे तो हम चर्चा करेंगे।
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इस पर महिला ने तोमर से फिर पूछा दिया कि क्या हम जबरदस्ती कानून का समर्थन करें? इस पर तोमर ने कहा कि आप जबरदस्ती समर्थन न करें। आप विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन जब विरोध करोगे तो ये प्रशासन का मामला होगा और वो आपको रोकेगा। जब महिला ने किसानों को सम्मेलन में नहीं जाने देने का मुद्दा उठाया तो तोमर ने कहा कि आप मुझसे समय लीजिए और मुझसे बात करो। लेकिन अगर आप आंदोलन करोगे, तो व्यवहार आंदोलन जैसा होगा। जब चर्चा करोगे, तो व्यवहार चर्चा की तरह होगा।
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गौरतलब है कि मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 26 जनवरी से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद सरकार किसानों को नहीं मना पाई है, जिससे गतिरोध बढ़ता जा रहा है। इस बीच किसान संगठन भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। संगठनों ने साफ कर दिया है कि हर हाल में सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करना ही होगा। वहीं सरकार भी कानूनों को वापस नहीं लेने के अपनै स्टैंड पर कायम है, जिससे दोनों पक्षों में से कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।
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