प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज इतिहास में सबसे बड़ी निराशा के तौर पर दर्ज हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के हर वादे और ऐलान की तरह यह पैकेज भी ढोल-ताशे बजाकर लाया गया, लेकिन इससे किसी को कोई फौरी राहत नहीं मिली है।
सिर्फ एक ही ऐलान को कुछ राहत भरा कह सकते हैं और वह है मनरेगा के मद में 40,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान करना, लेकिन मजदूरों के सामने जो समस्या है उसे देखते हुए यह प्रावधान भी ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होने वाला है। इस अतिरिक्त प्रावधान का अर्थ भी यही है कि 12 करोड़ मनरेगा मजदूरों के लिए इस साल के बाकी महीनों के लिए सिर्फ 3,728 करोड़ रुपए उपलब्ध होना या फिर सिर्फ 327 रुपए प्रति माह की मजदूरों के लिए अतिरिक्त कमाई। इस अतिरिक्त मनरेगा प्रावधान से भी मजदूरों और गरीबों को कोई फौरी राहत नहीं मिलने वाली है।
Published: undefined
कई सालों से अब-तब उड़ाने भरने को तैयार बैठी अर्थव्यवस्था एक बहुत ही कठिन दौर में पहुंच चुकी है क्योंकि सरकार ने अपना सिर रेत में छिपाया हुआ है और देश को मौजूदा हालात से खुद ही निपटने को कह दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने जब 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया था तो देश उम्मीदों से इसका इंतजार करने लगा। लेकिन अर्थव्यवस्था और आर्थिक मामलों पर नजर रखने वालों को पता था कि यह सिर्फ जुमला साबित होगा क्योंकि कई सालों की सुस्ती के चलते सरकार के पास कोई वित्तीय गुंजाइश बची ही नहीं थी और सरकार अपने रिजर्व के सारे पैसे खर्च कर चुकी थी। सवाल था कि क्या सरकार कोई साहसी कदम उठाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाएगी जिससे लोगों को फौरी राहत मिल सके और अर्थव्यवस्था और गर्त में न जाए, लोकिन सरकैर इस मोर्चे पर भी नाकाम ही साबित हुई।
Published: undefined
पांच किस्तों को धारावाहिक में वित्त मंत्री ने जो कुछ ऐलान किए उसका पूरा फोकस बाजार में कर्ज के सहारे नकदी का प्रवाह करना था, लेकिन मौजूदा हालात में यह न सिर्फ नाकाफी है बल्कि असंवेदनशील भी है। मोटे तौर पर देखें तो अगर बैंक सप्ताह के सातों दिन 12 घंटे तक भी काम करें तो भी कर्ज बांटने में उन्हें महीनों लग जाएंगे। चालू वित्त वर्ष के लगभग दो महीने पहले ही खर्च हो चुके हैं, और जब तक इन कर्जों का पैसा बाजार में आएगा तब तक खपत का एक पूरा चक्र बुरी तरह प्रभावित हो चुका होगा।
वित्त मंत्री के पास दो विकल्प थे – या तो वे जमीनी हकीकत के सही मायनों में समझतीं या फिर जैसा है जहां है आधार पर रोजमर्रा का काम करतीं। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना और उम्मीद की कि इससे हालात सुधर जाएंगे और कुछ समय के लिए राजस्व में कमी आएगी, लेकिन आने वाले समय में रिकवरी हो जाएगी।
अगर गौर से देखें तो कोरोना राहत के नाम पर सरकार का कुल खर्च जीडीपी का 2 से 2.5 फीसदी ही है जिसे 10 फीसद कहा जा रहा है, और जाहिर है कि इससे किसी को कोई राहत नहीं मिलने वाली क्योंकि 5 एपिसोड के सीतारमण धारावाहिक में वित्त मंत्री ने बजटीय प्रावधानों में ही हेरफेर किया है।
Published: undefined
बड़ी समस्या यह है कि हम आज उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं जहां लॉकडाउन में बढ़ोत्तरी हमें और गर्त में पहुंचा सकती है और सरकार को हर हाल में आर्थिक गतिविधियां शुरु करनी ही होंगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो छोटे धंधे और तेजी से तबाह होंगे और बड़ी कंपनियां और लोगों को नौकरी से निकालेंगी। पहले ही 12 करोड़ से ज्यादा लोगों का रोजगार छिन चुका है और सीएमआईई के अनुमान के मुताबिक एक चौथाई आबादी बेरोजगार हो चुकी है।
मोदी सरकार के संभवत: एक बात समझ नहीं आ रही कि टैक्स देने वाला मध्य वर्ग कोरोना संकट में बुरी तरह प्रभावित हुआ है और वैश्विक मंदी के चलते खपत में बेतहाशा कमी आई है। भारतीय कमोडिटी और सर्विस एक्सपोर्ट में और गिरावट होने की आशंका है क्योंकि दुनिया भर के देश घरेलू रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। सिर्फ टीडीएस में कटौती और रिटर्न जमा करने की तारीख बढ़ा देना काफी नहीं है।
Published: undefined
सड़क पर सैकड़ो किलोमीटर का पैदल सफर करते प्रवासी मजदूरों की तस्वीरें और वीडियो जहां विचलित करती हैं वहीं मध्य वर्ग भी इसी किस्म की दिक्कतों से दो-चार है। मध्य वर्ग ने बीते दो महीने घर में रहते हुए गुजारे हैं, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी उनकी दिक्कते जारी रहने वाली है। ज्यादातर कंपनियों की बिक्री में जबरदस्त गिरावट हुई है और होने वाली है, इससे वे अपने वर्कफोर्स को कम करने को मजबूर होंगी, ऐसे में अर्थव्यवस्था निगेटिव में जाने की पूरी आशंका है।
होना तो यह चाहिए ता कि सरकार गरीबों में से सबसे गरीबों को सीधे कैश ट्रांसफर करती और कंपनियों को कुछ नकद और कुछ कर्ज का सहारा देकर मांग और आपूर्ति का चक्र चलाए रखी। लेकिन ऐसा हो न सका, आने वाले महीनों में जो स्थिति होगी वह कैसे नियंत्रित होगी, भगवान ही जानता है।
उम्मीद करें कि ऐसा न हो, क्योंकि इससे प्रत्येक भारतीय भारी मुसीबतों का सामना करेगा।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined