उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वे को लेकर आज बड़ा फैसला आ सकता है। ज्ञानवापी परिसर की तर्ज पर शाही ईदगाह मस्जिद का भी ASI सर्वे होगा या नहीं इसपर इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। आपको बता दें, हिंदू पक्ष की ओर से याचिका में कहा गया है कि मस्जिद वाली जगह पर मंदिर था। याचिका में अदालत की निगरानी में एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग की गई है।
आखिर मामला क्या है ये समझिए, दरअसल, हाईकोर्ट में 'भगवान श्री कृष्ण विराजमान' और 7 अन्य लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से यह याचिका दायर की। याचिका में मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया है। पूरा परिसर पहले हिंदू मंदिर था जिसे औरंगजेब के शासनकाल में तोड़ दिया गया।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में 16 नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं ने पूरे परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की मांग की है। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था।
वादी का दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के ऊपर किया गया है। भगवान श्री कृष्ण विराजमान बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड में वादियों की तरफ से विवादित संपत्ति का निरीक्षण करने के लिए एक अधिवक्ता आयोग नियुक्त करने की मांग के साथ आवेदन किया गया है।
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वादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि विवादित संपत्ति एक हिंदू मंदिर है, जैसे कलश, शिखर आदि हिंदू वास्तु शैली के उदाहरण हैं। उन्होंने दावा किया है कि यहां एक स्तंभ है, जिसमें कमल के आकार का शीर्ष हैं और शेषनाग की छवि है, जिन्हें हिंदू देवता मानते हैं और जिन्होंने भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी की रात रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचे में इस स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी साफ तौर पर दिखाई देते हैं।
विष्णु जैन ने इन दलीलों के आलोक में तीन अधिवक्ताओं वाले एक आयोग के गठन के साथ रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि इस आयोग की संपूर्ण कार्यवाही की वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी कराई जाए। साथ ही जिला प्रशासन को इस कार्यवाही के दौरान पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने और कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दें। इस आवेदन का सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने विरोध किया कि चूंकि वादी की विचारणीयता को लेकर उनकी आपत्ति लंबित है, इसलिए इस आवेदन पर कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा गया था।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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