दिल्ली विश्वविद्यालय में गुरुवार को एकेडमिक काउंसिल की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में दिल्ली विश्वविद्यालय ने दोहरी डिग्री के नियम को लागू करने का निर्णय लिया है। मतलब, छात्र एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं।
एकेडमिक काउंसिल द्वारा स्वीकृत किए गए निर्णय के मुताबिक, अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों ही पाठ्यक्रमों के छात्र दोहरी डिग्री के लिए दो अलग-अलग कोर्स के लिए आवेदन कर सकेंगे। इस संबंध में पेश किए गए प्रस्ताव को एकेडमिक काउंसिल ने अपनी मंजूरी दे दी है। हालांकि, गुरुवार को बुलाई गई अकादमी काउंसिल की बैठक में ट्विन डिग्री का प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका। विश्वविद्यालय ने फिलहाल कई शिक्षकों के विरोध के उपरांत यह प्रस्ताव स्थगित करते हुए इसे वापस ले लिया है।
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एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों के मुताबिक, विश्वविद्यालय के ही दो अलग-अलग पाठ्यक्रमों में छात्र दाखिला ले सकेंगे, लेकिन फिलहाल दूसरे विश्वविद्यालय के साथ ट्विन डिग्री के लिए कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। गुरुवार को एकेडमिक काउंसिल की बैठक के दौरान इसके सदस्यों ने दोहरी डिग्री को स्वीकृति दे दी। अब इसे लागू करने के लिए अंतिम मंजूरी विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कार्यकारी परिषद द्वारा दी जाएगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन, डीटीएफ की सचिव प्रोफेसर आभा देव हबीब ने इस पर प्रक्रिया देते हुए कहा कि दोहरी डिग्री पूरी तरह से एक दिखावा है। यह पूर्णकालिक डिग्री के मूल्य को कम करता है। कागजी डिग्रियां एकत्रित करने से हमें रोजगार योग्यता या रोजगार के सवालों से निपटने में मदद नहीं मिल सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार के कदमों से छात्रों को भ्रमित और परेशान किया जा रहा है। प्रोफेसर आभा देव के मुताबिक, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है न कि डिग्रियों से भरे बैग की।
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