उत्तर प्रदेश की जेल में बंद समाजिक कार्यकर्ता और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया जा रहा है। कफील की पत्नी ने #DrKafeelKhanKoAzaadKaro अभियान के जरिये अपने पति की रिहाई के लिए लोगों से समर्थन मांगा था, जिसके बाद यह ट्रेंड ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा।
मंगलवार की शाम से ही ट्विटर पर ‘कफील खान को आजाद करो’ की मांग वाला अभियान ट्रेंड कर रहा है। उनकी पत्नी शबिस्ता खान एक वीडियो संदेश में लोगों से अपने पति की रिहाई के लिए एक अभियान में समर्थन का आग्रह करती नजर आईं। जिसके बाद ऋचा चड्ढा और स्वरा भास्कर जैसी बॉलीवुड की कई हस्तियों ने भी अभियान का समर्थन करते हुए ट्विट किया।
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इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी डॉक्टर कफील की रिहाई की मांग उठा चुके हैं। एक दिन पहले अधीर रंजन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर डॉ. कफील की रिहाई की मांग की है। पत्र में उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून का विरोध करने पर डॉ. कफील के उपर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। मैंने भी नागरिकता कानून का सड़क से लेकर संसद तक विरोध किया, लेकिन मेरे उपर राजद्रोह का केस नहीं दर्ज हुआ। डॉ. कफील के साथ नाइंसाफी हो रही है।
उसके पहले प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर डॉ कफील की रिहाई की मांग की थी। प्रियंका गांधी ने कहा था कि डॉक्टर कफील खान करीब 450 दिन जेल में गुजार चुके हैं। उन्होंने कठिन हालात में निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की है। पूरी उम्मीद है कि आप संवेदनशीलता का परिचय देते हुए डॉक्टर कफील खान को न्याय दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे।
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बता दें कि यह अभियान इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कफील खान की रिहाई के लिए दायर हैबियस कॉर्पस याचिका की सुनवाई की पूर्व संध्या पर शुरू किया गया। कफील के भाई अदील अहमद खान के मुताबिक, हैबियस कॉर्पस उनकी मां नुजहत परवीन ने दायर की है। याचिका में उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद भी डॉ. कफील पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाकर उन्हें हिरासत में लेने को चुनौती दी गई है।
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 29 जनवरी को सीएए विरोधी भाषण देने के बाद से ही कफील जेल में बंद हैं। उनकी रिहाई को लेकर लगातार सरकार से मांग की जाती रही है। वहीं अदालत में उनकी जमानत को लेकर होने वाली सुनवाई बार-बार आगे बढ़ाए जाने पर कई सोशल एक्टिविस्टों ने अदालत की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है। कफील की रिहाई के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों द्वारा लगातार मांग की जाती रही है।
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हाल ही में डॉ कफील ने एक पत्र के जरिये मथुरा जेल की दयनीय स्थितियों के बारे में बताया था। जून में डॉ. कफील द्वारा चार पन्नों का पत्र लिखा गया था, जिसमे उन्होंने अपने बैरक की दयनीय हालात के बारे में बताया था। पत्र में उन्होंने लिखा था कि कोरोना संकट के बावजूद जेल में 150 कैदी एक शौचालय साझा कर रहे हैं। उसके पहले मार्च में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था उन्हें महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि उनकी इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
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