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चीनी राजदूत को बुला कर आपत्ति दर्ज क्यों नहीं कराई गई? चीनी घुसपैठ को लेकर जयराम रमेश ने मोदी सरकार से पूछे ये 4 सवाल

कांग्रेस नेता ने कहा कि, विदेश मंत्री का कहना है कि हम चीन को एलएसी की स्थिति को एकतरफा बदलने नहीं देंगे। क्या चीनी सैनिकों ने पिछले दो वर्षों से डेपसांग में 18 किमी अंदर यथास्थिति नहीं बदली है?

फोटो: IANS
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को चीनी अतिक्रमण पर केंद्र को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा और मोदी सरकार से चार सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि चीनी राजदूत को डेमार्श क्यों नहीं जारी किया गया, उनको बुला कर क्यों नहीं आपत्ति दर्ज कराई गई। रमेश ने पूछा, विदेश मंत्री का दावा है कि चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हैं। इसके बावजूद 2021-22 में 95 अरब डॉलर का चीन से आयात हुआ जो कि एक रिकॉर्ड है और चीन के साथ 74 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। हमारे सैनिकों ने सितंबर 2022 में रूस के वोस्तोक-22 अभ्यास में चीनी सैनिकों के साथ सैन्य अभ्यास क्यों किया? हमने चीनी राजदूत को कभी क्यों नहीं बुलाया और एक डिमार्श जारी नहीं किया जैसा कि हम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ अक्सर करते हैं?

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कांग्रेस नेता ने कहा कि वह विदेश मंत्री की इस बात से सहमत हैं कि जवानों का सम्मान होना चाहिए क्योंकि वे हमारे दुश्मनों के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं। लेकिन उस समय सम्मान कहां चला गया जब 19 जून, 2020 को सीमा की रक्षा करते हुए 20 भारतीय जवानों के बलिदान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोई भी भारत की सीमा में प्रवेश नहीं किया है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि, विदेश मंत्री का कहना है कि हम चीन को एलएसी की स्थिति को एकतरफा बदलने नहीं देंगे। क्या चीनी सैनिकों ने पिछले दो वर्षों से डेपसांग में 18 किमी अंदर यथास्थिति नहीं बदली है? क्या यह सही नहीं है कि पूर्वी लद्दाख में 1,000 वर्ग किमी क्षेत्र तक पहुंचने में हमारे सैनिक असमर्थ हैं, जहां वे पहले गश्त करते थे? क्या यह सही नहीं है कि हम बफर जोन के लिए सहमत हुए हैं जो हमारे गश्ती दल को उन क्षेत्रों में जाने से रोकते हैं जहां वे पहले जाते थे? विदेश मंत्री कब स्पष्ट रूप से घोषणा करेंगे कि 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली हमारा उद्देश्य है?

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उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे विदेश मंत्री कहते हैं कि हम चीन पर दबाव डाल रहे हैं।
फिर हम प्रतिक्रिया क्यों दिखा रहे है? हम 2020 से पहले की यथास्थिति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित किए बिना कैलाश रेंज में अपने पोजिशन से क्यों पीछे हट गए? हम अधिक आक्रामक क्यों नहीं हुए और मजबूर करने के लिए जवाबी घुसपैठ क्यों नहीं की? जैसा कि हमने 1986 और 2013 में किया था? हम अपना दावा पुरजोर ढंग से पेश करने की बजाए चीनी घुसपैठ को "अवधारणा का अंतर" बताकर उसे वैध ठहराना कब बंद करेंगे?

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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