कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार सरकार की नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन योजना का विरोध कर रहे हैं। उनका सीधा आरोप है कि सरकार देश की बरसों में अर्जित संपत्तियों को अपने कुछ खास उद्योगपतियों के हवाले कर मोनोपॉली यानी एकाधिकार को बढ़ावा देना चाहती है।
Published: undefined
आइए जानते हैं कि आखिर सरकार की पूरी योजना है क्या और इसका विरोध क्यों हो रहा है। साथ ही यह भी कि एयर इंडिया के निजीकरण की सरकारी कोशिशों का क्या नतीजा निकला है।
कुछ समय के लिए किसी परियोजना का राजस्व अधिकार निजी क्षेत्र को देकर उसके बदले में पैसे लेना। इस तरह मिले पैसे को इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में लगाने की योजना।
एकमुश्त पैसे, राजस्व भागीदारी और परिसंपत्ति में निवेश की प्रतिबद्धता के बदले राजस्व अधिकार देना।
रेलवे स्टेशन, ट्रेन संचालन और पटरियां, पावर ट्रांसमिशन लाइन, 26,700 कि लोमीटर सड़क, टूरसंचार टावर , हाइड्रोइलेक्ट्रिक और सोलर पावर संपत्ति, गैस पाइपलाइन वगैरह। सरकार ने 1,400 कि लोमीटर एनएच का 17,000 करोड़ का मोनिटाइजेशन पहले ही कर रखा है।
एयर इंडिया और बीपीसीएल के निजीकरण की सुस्त रफ्तार देखते हुए कहा जा सकता है कि निजी निवेश आकर्षित करना उतना भी आसान नहीं। सरकार ने इस दिशा में कोशिशें तो की हैं लेकिन व्यवहार में उसे उतारना चुनौती से कम नहीं।
कांग्रेस का कहना है कि मोदी ने जान-बूझकर एकाधिकार बनाने के लिए ऐसा किया है और इसका फायदा केवल 4-5 खास लोगों को होगा। सरकार अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पाई और उसे पता नहीं कि क्या करना चाहिए।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined