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लुलु मॉल के ‘नमाजी’ अब तक क्यों नहीं पकड़े गए? लखनऊ में मॉल की भीड़ बढ़ने के साथ सवाल भी बढ़ रहे

फिलहाल अंदरूनी सूत्र इतना तो बता रहे हैं कि पुलिस ने उन आठों युवकों की शिनाख्त लगभग कर ली है जो उस दिन नमाज पढ़ने वाले वीडियो में दिख रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि इनमें से सभी युवक लखनऊ से बाहर के हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कहानी अंतिम रूप से जो भी सामने आएगी, फिलहाल तो सवाल ही उठ रहे हैं कि लखनऊ के लुलु माल में नमाज और जवाब में चालीसा के पाठ का सच क्या है? इस मामले में फिलहाल अभी तक पहले चार और फिर दो गिरफ्तारियां हुई हैं। तीन को नमाज का वीडियो सामने आने के बाद माल में जबरन सुंदर कांड का पाठ करने के आरोप में और एक युवक को बाद में नमाज पढ़ने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह सारी गिरफ्तारियां नमाज वाले वीडियो के अगले दिन हुईं। दो गिरफ्तारियां रविवार की शाम एहतियातन उनकी की गई हैं, जिन्होंने सोमवार को मॉल में जाकर हनुमान चालीसा पाठ करने का एलान किया था। लेकिन फुटेज सामने आने के बावजूद नमाज पढ़ने वालों में से अभी तक कोई गिरफ्तारी न होना चर्चा में है। इतने कैमरों के बावजूद इनके चेहरे और शिनाख्त सामने न आना भी सवालों में है।

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क्या कहानी इतनी ही सीधी है-

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शहीद पथ स्थित लुलु माल को लेकर हंगामा अचानक ही नहीं बरपा है। मॉल शुरू होने से पहले भी व्हात्सप समूहों में इसको लेकर तरह-तरह के आरोप लगते रहे, लेकिन प्रबंधन के लोगों ने कभी इसका खंडन करने की कोशिश नहीं की। मॉल शुरू हुआ तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इसका उद्घाटन करने और इसके मालिक की कार्ट में बैठकर मॉल के निरीक्षण को भी लोगों ने कौतुक से देखा। मॉल में अपार भीड़ भी उमड़ी। लेकिन लुलु हाइपर मार्केट में भारी ऑफर की घोषणा ने तो बाद में भीड़ के सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए।

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नमाज विवाद किसी के गले नहीं उतर रहा-

मॉल के उद्घाटन के अगले ही दिन जिस तरह से युवक चार बाइक से आए, मॉल के भू-तल, प्रथम तल पर रोके जाने के बाद जिस तरह दूसरे तल पर पहुंचे और एक खाली कोना देखकर नमाज पढ़ने बैठ गए। अठारह सेकंड ही सही ‘नमाज’ पढ़ी और उसका वीडियो भी बनाया लेकिन मॉल में तैनात भारी भरकम सुरक्षा घेरा इन्हें रोक नहीं पाया। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि अगर प्रवेश के साथ भूतल की एंट्री पर ही इनकी हरकतें किसी भी तौर पर संदिग्ध लगीं तो इन्हें वहीं रोक क्यों नहीं लिया गया? प्रथम तल पर भी कोशिश हुई, लेकिन तब भी इन्हें जाने दिया गया और यह सुरक्षित दूसरे ताल पर पहुंच गए, ‘नमाज’ भी पढ़ी और वीडियो भी बनाया! फिर आनन-फानन निकल भी गए।

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भारी भरकम सुरक्षा तंत्र-

मॉल की जबरदस्त सुरक्षा के दावे करने वाला तंत्र यह तो बता रहा है कि मॉल के चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगे हैं और गार्ड तैनात हैं। देखने में भी यह सही लगता है। दावा है कि मॉल में कुल 1030 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और 256 सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। अब इतनी जबरदस्त कैमराबंद सुरक्षा के बाद भी किसी वीडियो में अभी तक नमाज पढ़ने आने वालों के चेहरे न देख पाना लखनऊ पुलिस पर सवाल तो छोड़ता है! एक रिटायर सैन्य अफसर और अब किसी बड़े प्रतिष्ठान की सुरक्षा के मुखिया कहते हैं कि ‘यह संभव ही नहीं है! मॉल में जितने कैमरे लगे हैं उसके बाद किसी भी एंगल से अब तक इनका सच सामने आ ही जाना चाहिए था। यह भी सम्भव है पुलिस किन्हीं कारणों से इसे अभी सार्वजनिक न कर रही हो!’ वह सवाल उठाते हैं कि जब इन युवकों का बाइक से आना, उतरना, मॉल में प्रवेश, कई जगह इनसे टोकाटाकी को कैमरा देख रहा है (जो अख़बारों में सामने भी आया है) तो उन गाड़ियों के नम्बर भी तो कैमरे ने पढ़े होंगे, जिनसे ये आये थे? फिर इनकी पहचान में क्या दिक्कत है?

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एक्सपोज भी किया, बचा भी लिया-

लुलु मॉल मामले में अब तक जो कुछ हुआ वह वाकई चौंकाने वाला भी है, यह आश्वस्त करने वाला भी कि व्यवस्था वाकई चौकस है और मुख्यमंत्री योगी का सख्त प्रशासन कुछ भी नजरंदाज नहीं करना चाहता। मुख्यमंत्री की अपनी छवि भी ऐसी है। लेकिन पुलिस महकमे से जुड़े लोग सवाल तो उठा ही रहे हैं न कि आखिर ऐसा क्या हो गया था कि एक डीसीपी को हटाने की नौबत आ गई। इतने बड़े अफसर को तो बड़े-बड़े मामलों में बचने-बचाने की ‘परम्परा’ देखी गई है।

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पहचान तो हो चुकी है-

फिलहाल अंदरूनी सूत्र इतना तो बता रहे हैं कि पुलिस ने उन आठों युवकों की शिनाख्त लगभग कर ली है जो उस दिन नमाज पढ़ने वाले वीडियो में दिख रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि इनमें से सभी युवक लखनऊ से बाहर के हैं। चर्चा तो यह भी है कि इनमें से कई हिन्दू नाम सामने आ रहे हैं, जिसकी पुष्टि के लिए कोई तैयार नहीं। इसीलिए एक खेमा यह कहने से बाज नहीं आ रहा कि पता नहीं यह नाम और इनके चेहरे सामने आएंगे भी या नहीं? यह भी बताया जा रहा है कि नमाज पढ़ने वाले चार युवक वही हैं जो बाइक से आए थे, लेकिन चार युवक मॉल में पहले से ही मौजूद थे।

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तय है कि वीडियो वायरल करना ही प्लान था-

अब तक की सारी तफतीश और फुटेज के नतीजों के बाद इतना तो तय है कि यह युवक शरारतन नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल करने के इरादे से ही आए थे, लेकिन क्यों, इसका खुलासा तो इनके पकड़े जाने के बाद ही होगा। फुटेज यह भी दिखा रहा है कि इनमें से ज्यादातर ने नमाज शायद ही कभी पढ़ी हो। क्योंकि नमाज के वक्त न तो इनमें से किसी ने नमाज पढ़ने की दिशा का ध्यान रखा और न ही नमाज के बाकी किसी अनुशासन का पालन किया।

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मॉल की सुरक्षा बढ़ाई गई-

फिलहाल मॉल के चारो तरफ अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गई है। मॉल तक पहुंचने के हर रास्ते पर कड़ी चौकसी है। 500 मीटर पहले ही वाहन चेक किए जा रहे हैं और पूछताछ के बाद ही लोगों को आगे जाने दिया जा रहा है। मॉल की अपनी सुरक्षा व्यवस्था भी पहले से ज्यादा चौकस है। एएसपी गोसाईंगंज स्वाति चौधरी का कहना है कि मॉल के आसपास किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर शांति भंग की धाराओं में चालान किया जा रहा है।

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मॉल खुलने के पहले से ही है निशाने पर-

लखनऊ में लुलु मॉल खुलने के पहले ही हिन्दू वादी संगठनों के निशाने पर आ चुका था। व्हात्सप समूहों में इसके स्टाफ को लेकर अफवाहें सक्रिय थीं। कहा जा रहा था कि यहां पुरुष स्टाफ सिर्फ मुस्लिम युवक हैं, जबकि महिला स्टाफ हिन्दू भर्ती की जा रही हैं। हालांकि मॉल खुलने के बाद ऐसे सारे आरोप गलत साबित हुए।

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एक हफ्ते बाद चेता प्रबंधन, दी सफाई-

उद्घाटन के एक ह्फ्ते बाद जब नमाज और जवाब में सुंदर कांड/हनुमान चालीसा पाठ विवाद तूल पकड़ चुका था, तब मॉल प्रबंधन ने रविवार को इस मामले एक पत्र जारी किया। इसमें कहा गया है कि मॉल में 80 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी हिंदू हैं और शेष मेंमुस्लिम, इसाई और अन्य वर्गों से। मॉल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि 'हम लखनऊ की जनता के आभारी हैं, जिन्होंने हमारे मॉल को इतना समर्थन दिया है। लुलु मॉल एक पूर्णतया व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, जो बिना किसी जाति, मत या वर्ग का भेद किए हुए व्यवसाय करता है। उपभोक्ता ही हमारे लिए सर्वोपरि हैं। हमारा प्रतिष्ठान शासन के नियमों के अंतर्गत निर्धारित मर्यादा में व्यवसाय करता है। हमारे यहां जो भी कर्मी हैं, वे जाति, मत, मजहब के नाम पर नहीं, अपनी कार्यकुशलता के आधार पर तथा मेरिट के आधार पर रखे जाते हैं।'

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