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अब क्यों नहीं लगाते मोदी जी मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया के नारे, कहां हैं 8 साल की 16 करोड़ नौकरियां: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में बेरोजगारी को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट कर प्रधानमंत्री को उनका पुराना वादा याद दिलाया है।

 फोटो: Getty Image
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बेरोजगारी को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। खड़गे ने लगातार कई ट्वीट कर कहा है कि हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा करने वाली मोदी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुई है। 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि “मोदी जी हर साल 2 करोड़ नौकरियों के वादे के साथ सत्ता में आए थे। 2 करोड़ तो भूल ही जाओ, बीजेपी सरकार को 8 साल लग गए केंद्र में 10 लाख मौजूदा पदों को भरने में।” उन्होंने कहा कि, “पीएम मी अब रोजगार मेले का तमाशा कर नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में 75,000 को, गुजरात में 13,000 को और जम्मू-कश्मीर में 3,000 को नियुक्त पत्र सौंपे। ऐसे वक्त में जब देश के करोड़ों युवा नौकरी तलाश रहे हैं. वे सिर्फ चंद हजार नियुक्ति पत्र ही बांट कर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहे हैं।”

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कांग्रेस अध्यक्ष ने ग्रामीण बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आज गांवों में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी चुनौती है। सीएमआईई के मुताबिक ग्रामीण बेरोजगारी बीते 6 साल में औसतन 7.02 फीसदी रही है। उन्होंने कहा,”हमारे युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ रहा है। और ऐसा सिर्फ इसलिए हैं कि बीजेपी ने झूठे और फर्जी वादों से युवाओं को भ्रमित किया है।”

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खड़गे ने अपने ट्वीट में कई आंकड़े भी सामने रखे।

अग्निपथ योजना के 40,000 पदों के लिए 35 लाख युवाओं ने आवेदन किया

यूपी में चंद हजार पदों के लिए 37 लाख आवेदन आए

पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी किए हुए युवा बेहद मामूली नौकरी के लिए आवेदन दे रहे हैं

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उन्होंने कहा, “सरकारी सेवाओं में सशस्त्र बलों, केंद्रीय सरकारी स्कूलों, उच्च शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, सरकारी बैंकों, पुलिस और अदालतों में लाखों पद खाली पड़े हैं।” उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल हमारी और देश की सुरक्षा के अहम स्तंभ हैं, इनमें पदों का खाली रहना चिंताजनक है। उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि वर्तमान में सशस्त्र बलों और सीएपीएम में 2 लाख से अधिक पद खी पड़े हैं। फिर भी बीते दो साल में भर्ती लगभग नगण्य रही है।

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कोविड महामारी घातक प्रभावों के कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है, जिससे बच्चों में सीखने की कमी आई है। फिर भी केंद्रीय सरकारी स्कूलों में 18,000 से अधिक पद खाली हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर सरकार ऐसे में किस तरह उम्मीद करती है कि सरकारी स्कूल देश के होनहारों को शिक्षित कर पाएंगे।

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खड़गे ने उच्च शिक्षण संस्थानों में खाली पदों के भी आंकड़े सामने रखे। उन्होंने कहा कि आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 61,000 के करीब शिक्षण और गैर-शिक्षण पद खाली हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय और दिल्ली यूनिवर्सिटी – 20,291

आईआईटी, बॉम्बे – 962

इलाहाबाद विश्वविद्यालय – 1287

एएमयू – 1804

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उन्होंने कहा कि देश महामारी के दौर में बेहद परेशान रहा है। हमने सारी चीजे देखी हैं उस दौरान। डॉक्टरों की कमी, नर्सों, मेडिकल स्टाफ और दवाओं की कमी भी जगजाहिर हो गई थी। लेकिन सरकार ने उस महामारी से भी कोई सबक नहीं सीखा। उन्होंने बताया कि देश में 1,03,544 पद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के खाली हैं।

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स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी लापरवाही की तरफ इशारा करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश के मुख्य अस्पतालों और सार्वजनिक चिकित्सा शोध संस्थानों की स्थिति भी अलग नहीं है। उहोंने कहा कि दिल्ली स्थित एम्स में कुल 3.768 पद खाली हैं। 2017 तक मौजदा सरकार ने सिर्फ 1893 पद भरे थे।

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उन्होंने कहा कि बीजेपी दावा करती है कि वह एससी-एसटी और ओबीसी के साथ ही अन्य पिछड़े तबकों के कल्याण के लिए काम करती है। लेकिन संसद में दिए सरकार के जवाब से जाहिर है कि इस कोटे के पद भी भारी संख्या में खाली पड़े हैं। उन्होंने पूछा कि  आखिर मोदी सरकार का इन पदों को भरने की क्या योजना है?

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उन्होंने बताआ कि सीपीएसई में नियमित कर्मचारियों की संख्या में बीते 8 साल के दौरान लगातार कमी आई है। 2011-12 में जहां इनमें 14 लाख कर्मचारी थे, वहीं अब इनकी संख्या 2019-20 में घटकर 9 लाख रह गई है। उन्होंने कहा कि इसके बरअक्स कांट्रेक्ट कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जा रही है। 2011-12 में जहां ऐसे कर्मचारियों की संख्या 2.6 लाख थी, वही अब बढ़कर 2019-20 में 5.16 लाख हो गई है।

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खड़गे ने साफ कहा कि मोदी सरकार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। उन्होंने कहा कि इन दिनों सरकारी की तरफ से मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया के नारे नहीं लगाए जाते। आखिर इन नारों और कार्यक्रमों का क्या हुआ? कहां है बीते 8 साल की 16 करोड़ नौकरियां? मौन क्यों हैं, मोदी जी?

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