हालात

आखिर क्यों है एमएसपी पर किसानों की मांग जायज और क्यों इससे छुटकारा चाहती है सरकार, जानिए पूरा गुणा-भाग

आंदोलन कर रहे किसानों की प्रमुख मांगों में से एक एमएसपी को जारी रखना भी है जिसे नए कृषि कानूनों में खत्म कर दिया गया है। आखिर ऐसा क्यों है कि सरकार इससे छुटकारा चाहती है और क्यों किसान इसे जायज ठहराते हैं। समझिए पूरा गणित

फोटो : Getty Images
फोटो : Getty Images Hindustan Times

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मुख्य मांगे हैं कि सरकार ने इन कानून के जरिए एमेसपी यानी न्यूनतम समर्थ मूल्य खत्म कर दिया है और कार्पोरेट को बाजार से खुली खरीद की छूट दे दी है। किसानों का कहना है कि ऐसा होने से कार्पोरेट फसलों के दाम खुद तय करेंगे और मनमर्जी कीमतों पर फसल खरीदेंगे। इससे किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगी। आखिर सरकार एमएसपी लागू करने से क्यों बच रही है, यह समझना जरूरी है।

मोदी सरकार दावा तो करती है कि वह किसानों को उनकी फसलों की लागत का डेढ़ एमएसपी देगी। यानी जितना पैसा किसान द्वारा फसल उगाने में लगा है उसका डेढ़ गुना। तो फिर दावा करने के बाद भी सरकार एमएसपी लागू करने से बच क्यों रही है। दरअसल अगर सरकार एमएसपी लागू करती है तो उसके बजट का बड़ा हिस्सा एमएसपी पर ही खर्च होगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मौजूदा एमएसपी पर अगर सरकार फसलें खरीदती है तो उसे करीब 17 लाख करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।

Published: undefined

फोटो : Getty Images

यहां जानना जरूरी है कि केंद्र सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिश पर हर साल करीब 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी तय करती है। इनमें खरीफ सीजन की 14 फसलें हैं और रबी की छह फसलें हैं। इसके अलावा जूट और कोपरा के लिए भी एमएसपी तय की जाती है। साथ ही गन्ने के लिए फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस यानी एफआरपी तय की जाती है।

हालांकि एमएसपी पर सरकार सिर्फ धान और गेहूं की खरीद व्यापक पैमाने पर करती है, क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए इन दोनों अनाज की जरूरत होती है।

Published: undefined

इसके अलावा दलहनों और तिलहनों की खरीद भी प्रमुख उत्पादक राज्यों में होती है, लेकिन यह खरीद उसी सूरत में होती है, जब संबंधित राज्य फसल का बाजार भाव एमएसपी से कम होने पर इस बाबत प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजते है। विशेषज्ञों का कहना है कि एमएसपी निर्धारण का मतलब है यही है कि किसानों को फसलों का इतना भाव अवश्य मिलना चाहिए। इसलिए जब किसी दलहन व तिलहन की फसल का बाजार भाव एमएसपी से कम हो जाता है, तो वहां सरकारी एजेंसी किसानों से एमएसपी पर खरीद करती है।

लेकिन सारी फसल सरकार ही खरीदे ऐसा नहीं है। सरकार कुल फसल उत्पादन का करीब एक तिहाई हिस्सा ही खरीदती है, ऐसे में बाजार भाव ऊपर जाना स्वाभावित है। इस तरह किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिलने लगता है। वहीं कुछ राज्यों में सरकार मक्का व अन्य फसलें भी खरीदती है।

Published: undefined

फोटो : Getty Images

एमएसपी पर खरीद अनिवार्य करने का मतलब यह भी है कि निजी कारोबारियों को इससे कम दाम पर फसल खरीदने की छूट नहीं होगी। कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना ने आईएएनएस के साथ बातचीच में कहा कि अगर प्राइवेट सेक्टर के लिए एमएसपी पर खरीद अनिवार्य किया जाएगा, तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फसलों का भाव ज्यादा होने पर निजी कारोबारी आयात करना शुरू कर देगा। ऐसे में सरकार को सारी फसल किसानों से खरीदनी पड़ेगी, तो आज के रेट के हिसाब से इसके लिए सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये खर्च करना होगा। यह सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा होगा। इसके बाद एक लाख करोड़ रुपये फर्टिलाइजर सब्सिडी और एक लाख करोड़ रुपये फूड सब्सिडी यानी खाद्य अनुदान पर खर्च हो जाएगा।

ध्यान रहे कि भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में 30,42,230 करोड़ रुपये के व्यय का प्रस्ताव रखा है, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7 फीसदी अधिक है।

Published: undefined

एक और बात है जो इस बारे में देखना सही है, और वह यह कि अगर सरकार को सारी फसलें खरीदनी पड़ेगी तो उसके भंडारण को लेकर भी मुश्किलें पैदा होंगी। सरदाना कहते हैं कि एमएसपी अनिवार्य करने में एक फसल की क्वालिटी को लेकर भी मुश्किलें आएंगी क्योंकि यह तय करना होगा कि किस क्वालिटी का एमएसपी होगा और उससे कमजोर क्वालिटी का क्या रेट होगा और कौन खरीदेगा।

Published: undefined

प्रदर्शनकारी किसानों को नये कृषि कानून के बाद एमएसपी पर खरीद जारी रखने को लेकर आशंका है। इस पर खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय का कहना है कि देश में जब तक सार्वजनिक विरतण प्रणाली रहेगी तब तक सरकार को एमएसपी पर अनाज खरीदना ही पड़ेगा, इसलिए यह आशंका निराधार है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून से एमएसपी पर खरीद में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि एमएसपी खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है।

किसानों का भी यही कहना है कि अगर नए कृषि कानून आने से एमएसपी पर फर्क नहीं पड़ेगा तो फिर एमएसपी खत्म क्यों की जा रही है।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया