धनतेरस इस बार 22 और 23 अक्टूबर दो दिन है। धनतेरस दिन भगवान धनवंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। वही धनतेरस पर सोना, चांदी जैसी महंगी धातुओं के साथ-साथ पीतल के बर्तन और झाड़ू खरीदने की परंपरा है।
दरअसल, धनतेरस सुख, समृद्धि और आरोग्य का पर्व है। इसी दिन आरोग्य के देवता धन्वन्तरि अवतरित हुए थे। सेहतमंद रहने के लिए सफाई जरूरी है और कहा जाता है कि जहां सफाई होती है वहीं लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए यह मान्यता है कि धनतेरस पर झाड़ू खरीदने से घर में लक्ष्मी आती है।
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साहित्याचार्य पंडित दिनेश कुमार मिश्र बताते हैं, "समुद्र मंथन के दौरान आरोग्य के देवता धन्वंतरि इसी कार्तिक कृष्ण के त्रयोदशी को अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसलिए कलश के प्रतीक के रूप में लोग पीतल के बर्तन खरीदते हैं और अमृत में ऐसी औषधियां हैं जो आरोग्य प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि धनतेरस पर धनिया के बीज खरीदने की भी परंपरा है क्योंकि इसमें औषधीय गुण होते हैं। इस दिन लक्ष्मी की पूजा अर्चना भी की जाती है।"
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पंडित मिश्र कहते हैं, "धनतेरस का त्योहार दिवाली से पहले आता है और आमतौर पर दिवाली से पहले लोग घरों की सफाई करते हैं जिसके लिए झाड़ू की आवश्यकता होती है इसलिए इस दिन झाड़ू खरीदने की परंपरा है। वहीं, दिवाली के दिन कलश स्थापित होता है और नये बर्तन की जरूरत होती है, इसलिए लोग धनतेरस के दिन बर्तन खरीदते हैं।"
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का विशेष महत्व है। इस दिन झाड़ू खरीदने से माता लक्ष्मी घर छोड़कर नहीं जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन झाड़ू खरीदने से पुराने कर्जों से छुटकारा मिलता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है।
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धनतेरस के दिन सोने और चांदी के सामान की खरीदारी को भी शुभ माना जाता है. कई लोग इस दिन नए कपड़े भी खरीदते हैं।
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