उन्नाव रेप केस के मुख्य आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को पार्टी से निकालने की विपक्ष की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। लेकिन बांगरमऊ से विधायक को पार्टी से निकालने में बीजेपी की राह में सेंगर की जाति और उसकी राजनीतिक हैसियत आड़े आ रही है।
गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कल ही सवाल उठाया था कि आखिर कुलदीप सेंगर को अभी तक बीजेपी ने पार्टी से क्यों नहीं निकाला। उनका सवाल था कि इस शख्स पर बलात्कार का आरोप है और पीड़िता के साथ हुए हादसे की एफआईआर में भी उसका नाम है।
लेकिन इस सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश की सेंगर जाति में छिपा है। कुलदीप सेंगर ठाकुर जाति से आता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ठाकुर जाति के ही हैं। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में ठाकुर जाति प्रभावशाली राजनीतिक जाति मानी जाती है और उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज नेता इसी जाति से हैं। इनमें राजा भैया, यशवंत सिंह, अरविंद सिंह गोप, अक्षय प्रताप सिंह और दिनेश सिंह जैसे नेता प्रमुख हैं। भले ही ये नेता अलग-अलग पार्टियों में हैं, लेकिन इन सबको जोड़ने वाला सूत्र ठाकुर जाति है और इसे योगी आदित्यनाथ का संरक्षण हासिल है। स्थानीय बातचीत में इन्हें ‘टी सीरीज’ के नेता कहा जाता है।
Published: 30 Jul 2019, 11:46 AM IST
इन समीकरणों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार में सारे फैसले ठाकुरों के ही होते हैं। सरकारी विभागों में नियुक्तियों और अफसरों के तबादलों में इसे साफ महसूस किया जा सकता है।
दरअसल मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी। तब से ही राज्य में ठाकुरों का वर्चस्व तेजी से बढ़ा है। अब बीजेपी में भी यह सरगोशियां होने लगीं है कि आखिर कुलदीप सेंगर को बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाया जा रहा है। बीजेपी के एक नेता का कहना है कि, “कुलदीप सेंगर बीजेपी के असली कार्यकर्ता नहीं है, वह तो 2017 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ के कहने पर समाजवादी पार्टी से इम्पोर्ट होकर आए हैं। अगर बीएसपी नेता मायावती के खिलाफ बयान देने पर हम पार्टी के उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह के खिलाफ कार्यवाही कर सकते हैं तो सेंगर को बाहर का रास्ता दिखाने में क्या दिक्कत है।”
Published: 30 Jul 2019, 11:46 AM IST
ध्यान रहे कि दया शंकर सिंह को 2016 में मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने के लिए पार्टी ने 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया था, लेकिन उन्हें 2017 में वापस पार्टी में ले लिया गया था। बीजेपी नेता ने कहा कि, “इसके अलावा उत्तराखंड के विधायक को हथियारों के प्रदर्शन पर पार्टी ने आनन-फानन पार्टी से निकाल दिया, वहीं पार्टी के सासंद के विधायक पुत्र को एक अधिकारी की क्रिकेट बैट से पिटाई करने पर एक्शन हो गया, तो फिर सेंगर को लेकर इतनी देरी क्यों।”
तो क्या फिर क्या वजह है कि बीजेपी कुलदीप सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच कर रही है? कुलदीप सेंगर 2002 से उन्नाव जिले से विधायक हैं। उन्नाव जिले में कुलदीप का राजनीतिक वर्चस्व माना जाता है। कुलदीप सेंगर किसी एक पार्टी के वफादार नहीं हैं। वह यूपी की सभी पार्टियों मे रह चुके हैं। एसपी, बीएसपी और बीजेपी तीनों में उनका रुतबा है। कुलदीप सेंगर पहली बार उन्नाव सदर सीट से बीएसपी के टिकट पर जीते थे। इसके बाद वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 2007 और 2012 का चुनाव एसपी के टिकट पर बांगरमऊ और भगवंतनगर से जीता। 2017 में वे बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे।
Published: 30 Jul 2019, 11:46 AM IST
कुलदीप सेंगर के राजनीतिक रुतबे के चलते ही उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने पिछले महीने जेल में जाकर उससे मुलाकात की थी। इस पर काफी लोगों ने सवाल भी उठाए थे। लेकिन साक्षी महाराज ने कहा था कि वे कुलदीप का शुक्रिया अदा करने गए थे। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले चर्चा थी कि साक्षी महाराज का टिकट कट जाएगा, लेकिन बाद में न सिर्फ उन्हें टिकट भी मिला और जीते भी। कहा जाता है कि साक्षी महाराज की जीत में कुलदीप सेंगर ने भी मदद की थी।
Published: 30 Jul 2019, 11:46 AM IST
लखनऊ के गिरि इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ की नोमिता पी कुमार कहती हैं कि, “अपराध और राजनीति का मेल एक कॉकटेल की तरह है। वे अपराधी जो राजनीति में आते हैं, अपनी छवि रॉबिनहुड जैसी बनाने की कोशिश करते हैं। उनका नेटवर्क खौप और धनबल पर आधारित होता है र कुछ ही समय में वे इलाके में अपनी राजनीतिक पहचान कायम कर लेते हैं। कुलदीप सेंगर के मामले में भी ऐसा ही है और इसी कारण बीजेपी उसके खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचा रही है, क्योंकि उसे स्थानीय ठाकुर जाति के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।”
Published: 30 Jul 2019, 11:46 AM IST
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Published: 30 Jul 2019, 11:46 AM IST