कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को मुंबई में पीएम मोदी के चुनाव कार्यक्रम से पहले उनको घेरते हुए मुंबई के संबंध में कई सवाल पूछे और जानना चाहा कि महानगर में आने वाली बड़ी परियोजनाएं गुजरात क्यों चली गईं और बीजेपी अडानी को धारावी की जमीन हड़पने में क्यों मदद कर रही है’। कांग्रेस नेता ने पांच सवाल पूछे और कहा कि जनता प्रधानमंत्री से इनके जवाब चाहती है।
जयराम रमेश ने कहा कि क्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के चुनाव में हार का डर है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘बीएमसी का चुनाव कराने में महायुति सरकार की तरफ से की जा रही लगातार देरी लोकतंत्र और मुंबई के नागरिकों के अधिकारों पर हमला है। सरकार का कहना है कि देरी ओबीसी आरक्षण और वार्ड परिसीमन आदि के कारण हुई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बीजेपी मतदाताओं का सामना करने से डर रही है। उसे डर है कि चुनाव से पहले हार से उसकी छवि खराब होगी।’’
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रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘बिना किसी चुने हुए प्रशासक के, बीएमसी में सत्तारूढ़ गठबंधन अपने विधायकों और समर्थकों को लाभ पहुंचाने के लिए इस निकाय के धन और संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है। पार्टियों के पूर्व नगरसेवकों ने भी समन्वय की कमी, विकास कार्यों में देरी और स्थानीय प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के कारण जवाबदेही की कमी जैसे मुद्दों को उजागर किया है।’’
उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के बिना, मुंबई के नागरिकों को बीएमसी में अपनी बात रखने और शिकायतों के समाधान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी ने मुंबई के लोगों को धोखा क्यों दिया? लोगों की आवाज सुनी जाए, इसके लिए और कितना इंतजार करना होगा?’’
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रमेश ने अगला सवाल किया कि ‘‘बीजेपी अदानी को धारावी की भूमि हथियाने में क्यों मदद कर रही है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘धारावी पुनर्विकास परियोजना नॉन-बायलॉजिकल प्रधानमंत्री के सहयोग से उनके सबसे अच्छे मित्र, अडानी के लिए भूमि हड़पने की योजना बन गई है। सितंबर 2022 में महायुति सरकार द्वारा जारी सबसे ताजा निविदा कथित तौर पर विशेष रूप से अडानी समूह के लिए तैयार की गई थी।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण की हिस्सेदारी घटाकर 20 प्रतिशत कर दी गई, निवासियों की योजना स्तर पर बातचीत करने की क्षमता को हटा दिया गया और प्रक्रिया की शुरुआत से उभरी सार्वजनिक बहस और भागीदारी की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘अडानी समूह के लिए यह आकर्षक रेवड़ी सिर्फ धारावी के निवासियों की नहीं, बल्कि लाखों मुंबईवासियों की कीमत पर आई है। क्या नॉन-बायलॉजिकल प्रधानमंत्री के पास इस व्यापक लूट के बचाव में कोई तर्क है, जिसे वह सार्वजनिक रूप से लोगों के समक्ष रख सकते हैं?’’
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रमेश ने यह भी पूछा कि बड़ी-बड़ी परियोजनाएं मुंबई से गुजरात क्यों चली गईं? उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के शासनकाल में कई बड़ी परियोजनाएं जो मुंबई की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे उपयुक्त थीं, उन्हें गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि लगभग 200 वर्षों से मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है, इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थापित किया गया है।
रमेश ने कहा कि 2006 में डॉ. मनमोहन सिंह ने मुंबई में आईएफएससी स्थापित करने का प्रयास शुरू किया था और बीकेसी में परियोजना के लिए भूमि भी अलग रखी गई थी लेकिन बाद में इसे बुलेट ट्रेन के लिए पुनः आवंटित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा मुंबई में आईएफएससी स्थापित करने से बार-बार इनकार करने से शहर को 2 लाख तक नौकरियों का नुकसान हो सकता है। उन्होंने दावा किया कि मुंबई के हीरा उद्योग को भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
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रमेश ने आगे कहा कि मुंबई के वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बीजेपी के पास क्या दृष्टिकोण है? उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई में वायु प्रदूषण की स्थिति बद से बदतर हो गई है। कभी-कभी तो प्रदूषण का स्तर दिल्ली से भी अधिक हो जाता है, जो लंबे समय से अपने प्रदूषण के उच्च स्तर लिए बदनाम है। प्रदूषण के खतरनाक हालात ने अधिकांश निवासियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है, लेकिन इससे निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार कोई भी प्रभावी कदम उठाने में नाकाम रही है।’’
रमेश ने प्रधानमंत्री से यह भी पूछा कि मुंबई की लोकल ट्रेनें अधिक भीड़भाड़ वाली और असुरक्षित क्यों होती जा रही हैं? इससे पहले महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से पहले रमेश ने उनसे तीन सवाल पूछे, जिनमें यह भी शामिल है कि मराठवाड़ा में जल संकट समाप्त करने के लिए उनके पास क्या योजना है। कांग्रेस नेता ने प्रश्न किया कि महायुति और केंद्र सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को क्यों कमजोर करने पर तुली हुई हैं।
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