उलटा चोर कोतवाल को डांटे, इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए हरिद्वार हेट कॉन्क्लेव में हिस्सा लेकर जहर उगलने वाले कथित साधुओं ने हरिद्वार पुलिस के पास उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अर्जी दी है, जिन्होंने इस कथित धर्म संसद में किए गए मुस्लिमों के नरसंहार के आह्वान की आलोचना करते हुए इन सबके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। को इन लोगों ने मंगलवार को अपनी कोर कमेटी की बैठक बुलाई और इसके बाद पुलिस से इस मामले में लिखित शिकायत दी। मजेदार बात यह है कि इस शिकायत को लेने के लिए उत्तराखंड पुलिस का अधिकारी खुद चलकर इन लोगों के पास पहुंचा था।
इतना ही नहीं इन लोगों ने मीडिया से बात करते हुए एक बार फिर मुस्लिमों, पैगम्बर मोहम्मद (सअ.), कुरआन और इस्लाम के खिलाफ जहर उगला। इनकी इस प्रेस कांफ्रेंस और पुलिस को शिकायत देने के वीडियो सामने आए हैं। (नेशनल हेरल्ड ने इन वीडियो को देखा है लेकिन संवेदनशीलता को देखते हुए हम इन वीडियो को प्रकाशित नहीं कर रहे हैं।)
पुलिस को दी अर्जी में इन लोगों ने कहा है कि साधू-संतों के खिलाफ हिंसा को उकसाने वाले लोगों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
वीडियो में साफ देखा-सुना जा सकता है कि खुद को भारत माता मंदिर के कथित पुजारी होने का दावा करने वाले और अपना नाम प्रबोधानमंद बताने वाला शख्स कह रहा है कि, “इस्लाम का जिहाद पूरी मानवता को नष्ट करने के लिए है। अगर हमें मानवता को बचाना है तो पृथ्वी से जिहाद को मिटाना होगा। हमें उन लोगों को खत्म करना होगा जो कुरआन को मानते हैं।” उन्होंने मीडिया को भी आड़े हाथों लिया कि कैसे आखिर धर्म संसद में हिस्सा लेने वाले लोगों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम के खिलाफ लड़ने वाले हर व्यक्ति का धर्म संसद में स्वागत है।
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इस बैठक में और मीडिया से बातचीत के दौरान प्रबोधानंद के साथ डासना मंदिर के विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद भी मौजूद थे। वहीं नए-नए हिंदू बनने वाले वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी भी इसमें शामिल थे। उन्होंने भी इस्लाम और पैगम्बर (सअ.) के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि, “हम पैगम्बर (सअ.) के खिलाफ लड़ेंगे क्योंकि वही दुनिया में इस्लाम को लेकर आए।”
वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी यहीं नहीं रुके। उन्होंने धर्म संसद पर उंगली उठाने वालों से पूछा कि क्या धर्म संसद में हमने किसी की हत्या की। क्या वहां मुसलमानों की लाशें मिलीं? उन्होंने दावा किया कि “उस दिन मुल्लाओं ने उन्हें घेर लिया था और उनकी योजना स्वामी नरसिंहानंद को मारने की थी।” उन्होंने बताया, “हमने एफआईआर तैयार की है और इसकी एक प्रति जल्द ही मीडिया को दी जाएगी।“ एफआईआर में हरिद्वार और आसपास की मस्जिदों के इमामों के नाम दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन इमामों ने लोगों को उनकी हत्या के लिए उकसाया, जबकि आयतों में किसी की हत्या करना पाप है।
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रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के चैयरमैन रह चुके हैं। उन्होंने दुनिया की हिंसा के लिए पैगम्बर और उनके तीन खलीफाओं हज़रत अबु बक्र, हज़रत उमर और हज़रत उस्मान को जिम्मेदार ठहराया है।
गौरतलब है कि धर्म संसद उत्तराखंड में हुई जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। धर्म संसद के नाम पर हुए इस हेट कॉनक्लेव में हिंदू नेताओं ने खुलेआम मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया था। शुरुआती खामोशी के बाद सिविल सोसायटी ने इसका खुला विरोध किया और सोशल मीडिया पर भी इसका जमकर विरोध हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह इसका स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही करे।
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यहां रोचक बात यह है कि उत्तराखंड पुलिस इस मामले में आईपीसी की धारा 153ए (समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने और सामाजिक सदभाव को नुकसान पहुंचाने का अपराध) के तहत मामला दर्ज कर चुकी है। एफआईआर में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी को नामजद किया गया था। शनिवार को इसमें बिहार के धर्मदास महाराज और निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां का नाम भी जोड़ दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एफआईआर में दो और लोगों के नाम भी शामिल किए गए हैं।
लेकिन यह सभी लोग आज स्वंय पुलिस के सामने मौजूद थे, पर पुलिस ने इन्हें न तो गिरफ्तार किया और न ही इस संदर्भ में कोई पूछताछ की। जो वीडियो सामने आए हैं उसमें मीडिया पुलिस अधिकारी से पूछ रही है कि किसने तहरीर दी है, तो उसमें वे साफ कह रहे हैं कि यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी ने तहरीर दी है। लेकिन पुलिस अधिकारी भूल गए कि वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी के खिलाफ तो पहले से नामजद एफआईआर है तो उन्हें अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
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