विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को गंभीर कोविड संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए संधिशोथ (आर्थराईटिेस) के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा बारिसिटिनिब को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ मिलाकर दिए जाने की जोरदार सिफारिश की। बीएमजे में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश विकास समूह के पैनल की सिफारिश इस सबूत पर आधारित है कि यह मरीजों के जीवन प्रत्याशा में सुधार करती है और वेंटिलेशन की आवश्यकता को कम करती है। इन दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है।
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डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों ने पाया है कि बारिसिटिनिब, एक प्रकार की दवा है जो जानूस काइनेस (जेएके) रसायन को कम करती है और इसका वही असर होता है जो गठिया रोग की रोकथाम के लिए दी जाने वाली अन्य दवा का होता है, जो इंटरल्यूकिन-6 (आईएल -6) रसायन को रोकती हैं। डब्ल्यूएचओ ने एक ही समय में दोनों दवाओं का उपयोग नहीं करने की सलाह दी, मगर यह भी कहा है कि लागत, उपलब्धता और चिकित्सक के अनुभव के आधार पर किसी एक को दिया जा सकता है।
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इसके अलावा, विशेषज्ञ पैनल ने गंभीर कोविड रोगियों के लिए दो अन्य जानूस काइनेस अवरोधक- रूक्सोलिटिनिब और टोफासिटिनिब का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है क्योंकि इनके परीक्षणों से कोई लाभ नहीं हुआ है। उन्होंने टोफासिटिनिब के गंभीर दुष्प्रभावों में संभावित वृद्धि की भी चेतावनी दी है।
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डब्ल्यूएचओ ने कम गंभीर कोविड रोगियों में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सोट्रोविमैब के उपयोग की सशर्त सिफारिश की है लेकिन यह उन्हीं मरीजों को दी जा सकती है जिनका अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम अधिक है और कम जोखिम वाले लोगों में इसका अधिक लाभ नहीं देखा गया है। इसी तरह की सिफारिश एक अन्य मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा कासिरिविमैब-इमदेविमाब के लिए की गई है।
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विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार की सिफारिश करने के लिए डेटा अपर्याप्त है और ओमिक्र\न जैसे नए वेरिएंट के खिलाफ उनकी प्रभावशीलता अभी भी अनिश्चित है। डब्ल्यूएचओ पैनल की सिफारिशें गैर-गंभीर, गंभीर और अधिक गंभीर कोविड संक्रमण वाले 4,000 से अधिक रोगियों पर सात परीक्षणों के नए साक्ष्यों पर आधारित हैं।
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