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शिंदे सरकार की पीडब्ल्यूडी, नौसेना या ठाणे का ठेकेदार: आखिर किसने बनाई थी सिंधुदुर्ग में शिवाजी की प्रतिमा?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का दावा है कि सिंधुदुर्ग में सोमवार को गिरी शिवाजी महाराज की प्रतिमा को नौसेना द्वारा बनाया गया था। विपक्ष ने इसका खंडन करते हुए दावा किया है कि पीडब्ल्यूडी ने इसे बनाने के लिए ठाणे के एक व्यक्ति को ठेका दिया था।

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में सोमवार को शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई, इसका 8 महीने पहले पीएम मोदी ने अनावरण किया था।
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में सोमवार को शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई, इसका 8 महीने पहले पीएम मोदी ने अनावरण किया था। 

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर जाने से जहां महाराष्ट्र के लोगों में रोष है वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद ने कहा है कि इसका डिजाइन और निर्माण भारतीय नौसेना ने किया था। सिंधुदुर्ग में चली तेज हवाओं के कारण 26 अगस्त को यह प्रतिमा गिरकर टूट गई, जबकि इसका उद्घाटन हुए 8 महीने ही हुए हैं। उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2023 को नौसेना दिवस के मौके पर किया था।

प्रतिमा गिरने के बाद नौसेना ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि, “छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हुए नुकसान से नौसेना चिंतित है...राज्य सरकार और विशेषज्ञों के साथ ही नौसेना ने एक टीम बनाई है जो इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की जांच कर कारणों का पता लगाएगी। साथ ही बहुत जल्द प्रतिमा को नए सिरे से स्थापित किया जाएगा।”

हालांकि इस बयान में स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है कि प्रतिमा का डिजायन और निर्माण नौसेना ने किया था, लेकिन विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि इसका निर्माण थाणे जिले कल्याण के रहने वाले के ठेकेदार ने किया था। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि, “प्रतिमा बनाने का ठेका मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कल्याण के जयदीप आप्टे को दिया था, जोकि मुख्यमंत्री के पुत्र और सांसद श्रीकांत शिंदे का दोस्त है। आप्टे सिर्फ 24 साल की उम्र का है और उसे इतनी विशाल प्रतिमा बनाने का पूर्व का कोई अनुभव नहीं है।”

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वहीं और एनसीपी (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने भी यही बात कही है कि प्रतिमा लगाने का ठेका शिंदे के राजनीतिक गढ़ ठाणे के एक ठेकेदार को दिया गया था। सुप्रिया सुले ने कहा कि, “अब साफ हो चुका है कि इस काम को कैसे किया गया होगा। हम मांग करते हैं कि इसे बनाने वाले व्यक्ति और उसकी संस्था को ब्लैक लिस्ट किया जाए।” सुप्रिया सुले ने कहा कि एक साल के अंदर ही प्रतिमा का गिर जाना बताता है कि काम कितना घटिया किया गया था। हादसे की तस्वीरों और वीडियो से साफ है कि प्रतिमा अंदर से खोखली थी।

उन्होंने आगे कहा कि, “जब प्रधानमंत्री देश में होने वाले बड़े स्मारकों और इमारतों का उद्घाटन करते हैं तो काम तो बढ़िया होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है।” उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग की है।

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उधर छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज संभाजी राजे छत्रपति ने भी कहा है कि इस प्रतिमा को जल्दबाजी में तैयार किया गया क्योंकि प्रधानमंत्री को इसका उद्घाटन करना था। उन्होंने कहा, “हमने पहले भी प्रधानमंत्री को लिखा था कि इस प्रतिमा को बदला जाए क्योंकि इसे खराब तरीके से बनाया गया था और इसमें कोई कला नहीं थी और जल्दबाजी में स्थापित कर दिया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक साल क भीतर ही शिवाजी महाराज की प्रतिमा और स्मारक को नुकसान हुआ है। ऐसे में हम कैसे कह सकते हैं कि हम शिवाजी महाराज के दुर्गों (किलों) का संरक्षण कर पाएंगे।”

उन्होंने कहा कि, “विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसे जल्दबाजी में बनाया गया और हमें ऐसी गलतियां नहीं दोहरानी चाहिए। जरूरी है कि स्मारकों को वैज्ञानिक आधार पर बनाया जाए भले ही उसमें अधिक समय लगे।”

इस बीच उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के एक विधायक ने सिंधुदुर्ग में पीडब्लूडी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। नका कहना है कि राज्य सरकार जिम्मेदारी से भाग रही है, जबकि प्रतिमा के निर्माण से जुड़े लोगों की जांच पड़ताल होनी चाहिए।

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भी कहा है कि, “शिंदे सरकार का ठेकेदार प्रेमी शासन इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इससे  भी खतरनाक है बीजेपी की विचारधारा। उनका अहंकार है कि वे जो चाहे कुछ कर सकते हैं...उनकी मंशा छत्रपति शिवाजी महाराज का राजनीतिक इस्तेमाल करना है, और इसीलिए प्रतिमा की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया।

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वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख और डॉ आम्बेडकर को पौत्र प्रकाश आम्बेडकर ने कहा है कि “यह सिर्फ महाराष्ट्र में एक प्रतिमा के गिरने का मामला नहीं है, यह तो महाराष्ट्र के लोगों के दिनों में चाकू मारने जैसी घटना है।”

प्रतिमा के गिरने पर लोगों में जबरदस्त आक्रोश और गुस्सा है। इससे सत्तारूढ़ एनडीए को आने वाले दिनों में राजनीतिक नुकसान हो सकता है।

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