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जहां-जहां किया मोदी-शाह ने प्रचार, क्या वहीं हो गया बीजेपी का बुरा हाल?

पीएम मोदी ने जिन इलाकों में 42 रैलियां कीं उनमें से कम से कम 22 सीटों पर बीजेपी पिछड़ चुकी है और दोपहर एक बजे तक उसे सिर्फ 20 सीटों पर ही बढ़त हासिल थी। इस तरह देखें तो प्रधानमंत्री का प्रदर्शन सिर्फ 47 फीसदी ही रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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कर्नाटक में बीजेपी ने हार मान ली है और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कैमरे पर आकर साफ कहा कि, “प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी कार्यकर्ताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद हम जीत हासिल नहीं कर पाए। एक बार सभी नतीजे सामने आ जाएं फिर हम इसका विस्तृत विश्लेषण करेंगे। हम नतीजों को शालीनता के साथ स्वीकारते हुए लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे।”

बोम्मई के इस बयान में कुछ अहम तथ्य भी शामिल हैं। कर्नाटक चुनाव में प्रचार का आकर्षण तो एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैलियां ही रहा। बीजेपी के अपने आंकड़ों के मुताबिक पार्टी ने कर्नाटक में कुल 9,125 रैलियां और  1,377 रोड शो किए। प्रचार के आखिरी दो सप्ताह के दौरान पीएम मोदी ने 42 रैलियां कीं, जबकि शाह भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने 30 रैलियों में हिस्सा लिया।

पीएम मोदी ने जिन इलाकों में 42 रैलियां कीं उनमें से कम से कम 22 सीटों पर बीजेपी पिछड़ चुकी है और दोपहर एक बजे तक उसे सिर्फ 20 सीटों पर ही बढ़त हासिल थी। इस तरह देखें तो प्रधानमंत्री का प्रदर्शन सिर्फ 47 फीसदी ही रहा है।

पीएम मोदी के दाएं हाथ अमित शाह का रिकॉर्ड तो और भी खराब रहा है। उन्होंने जहां-जहां रैलियां कीं उन इलाकों में बीजेपी की बढ़त का प्रतिशत करीब 37 फीसदी ही है। अमित शाह ने जो 30 रैलियां कीं उनमें से 19 सीटों पर बीजेपी पिछड़ रही है और दोपहर एक बजे तक सिर्फ 11 सीटों पर ही उसे बढ़त हासिल थी।

याद दिला देते हैं कि मोदी ने किस तरह कर्नाटक में प्रचार की शुरुआत की थी। उन्होंने अपने शुरुआती भाषणों में तो एक तरह से रोना ही रो दिया कि विपक्षी नेताओं ने उन्हें 91 बार गालियां दी। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कर्नाटक के प्रभावशाली समुदाय लिंगायत का अपमान किया है। लेकिन जब पीएम के भाषण का कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तुर्की ब तुर्की जवाब दिया तो पीएम ने गोल पोस्ट बदल लिया। उन्होंने अगली रैलियों में कांग्रेस पर शाही परिवार के अधीन होने का आरोप लगाया। लेकिन लोगों को उनकी यह भंगिमा और बयान दोनों ही पसंद नहीं आए।

मोदी यहीं नहीं रुके उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगा दिया कि वे कर्नाटक को देश से अलग करना चाहते हैं और उन्होंने संप्रभुता वाले मुद्दे को उछालने की कोशिश की। लेकिन इस मुद्दे पर भी बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी।

इसके बाद मोदी ने एक तरह से आखिरी बाण चलाया और बजरंग बलि का नारा लगाया। उन्होंने तटीय कर्नाटक के मुल्की और अंकोला के थ ही बेलगावी जिले के बेलहोंगल में अपने भाषणों की शुरुआत और अंत में जय बजरंग बलि का नारा लगाया। उन्होंने तो वोटरों का आह्नान किया कि वोट देने जाएं तो जय बजरंग बलि का नारा लगाकर बटन दबाएं। उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस बजरंग बलि के भक्तों को जेल में डालना चाहती है।

रोचक तथ्य यह भी रहा कि इस चुनाव में बीजेपी हिजाब और टीपू सुल्तान जैसे ध्रुवीकरण वाले मुद्दों से दूर रही। अलबत्ता प्रधानमंत्री ने बेलारी में अपने भाषण में द केरल स्टोरी का जिक्र कर जरूर लव जिहाद के मुद्दे को उछालने की कोशिश की। मोदी ने दावा किया कि इस फिल्म ने समाज में आतंकवाद के प्रभाव को सामने रखा है।

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