राजधानी दिल्ली के पुरानी सब्जी मंडी इलाके में सोमवार को एक इमारत के गिरने के बाद जारी बचाव अभियान को एनडीआरएफ की टीम ने शाम 7 बजे खत्म कर दिया है। टीम द्वारा मलबे से निकाले गए तीन लोगों में शामिल दो बच्चों की मौत हो गई है। उनकी पहचान प्रशांत (8) और सौम्य (12) वर्ष के रूप में हुई है। जिस जगह इमारत गिरी, वहां अन्य 9 इमारतें भी खतरनाक हैं और क्षेत्र में कुल 699 इमारतें खतरनाक और जर्जर हालत में हैं। खास बात ये है कि इसकी पूरी जानकारी एमसीडी को है।
अचानक इमारत गिरने से स्थानीय लोग बेहद बुरी तरह डर हुए हैं, वहीं उत्तरी नगर निगम के मुताबिक, जिस जगह यह घटना हुई है, उसी जगह और 9 इमारतों की हालत खतरनाक पाई गई है। हालांकि निगम द्वारा जिन इमारतों को जर्जर घोषित किया गया था, उनकी 48 घंटे में फिर सर्वे किया जाएगा। यदि कोई इमारत खतरनाक पाई जाएगी तो उसे नियमानुसार खाली कराया जाएगा।
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इस मामले में एक तरफ उत्तरी नगर निगम आयुक्त संजय गोयल ने जांच के आदेश देते हुए भवन विभाग से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है तो दूसरी ओर दिल्ली पुलिस द्वारा इस मामले पर धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इमारत गिरने के बाद से निगम के अधिकारियों पर लगातार सवाल उठने लगे हैं, वहीं निगम भी साफ कर चुकी है यदि जांच में कोई भी दोषी पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे अधिकारी क्यों न हों।
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उत्तरी नगर निगम ने बयान जारी कर कहा है, "सोमवार सुबह 11 बजे पुरानी सब्जी इलाके में इमारत गिरने की सूचना मिलते ही राहत और बचाव के लिए तुरंत टीम को मौके पर भेजा गया। इसके अलावा जांच में पता चला कि गिरने वाली 4 मंजिला इमारत 50-60 साल पुरानी थी।"
निगम ने यह भी साफ कर दिया कि गिरने वाली इमारत में अवैध निर्माण की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि भूतल पर इमारत में एक दुकान बनी हुई थी, जबकि ऊपर की मंजिल खाली थी।
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बयान में आगे कहा गया, "निगम सिविल लाइंस जोन में 89 संपत्तियां खतरनाक पाई गई हैं। जिस मल्कागंज वार्ड में यह घटना हुई है, उसमें 20 संपत्तियां खतरनाक हैं। साथ ही उसी रोड में अन्य नौ संपत्तियां भी खतरनाक हैं।" जानकारी के अनुसार, पूरी उत्तरी दिल्ली निगम क्षेत्र में 699 खतरनाक और जर्जर इमारते हैं। निगम ने 444 इमारतों की मरम्मत कराने के निर्देश भी दिए हुए हैं।
दरअसल, मॉनसून से पहले निगम द्वारा पुरानी जर्जर इमारतों का सर्वे कराया जाता है, जिसमें खतरनाक और जर्जर इमारत पाए जाने पर निगम के अधिकारी इमारत को खाली कराने का नोटिस देते हैं। यदि सर्वे के दौरान खतरनाक श्रेणी से कम पाई जाती है तो उसकी मरम्मत कराने को कहते हैं। यदि किसी इमारत के बारे में निगम के अधिकारी द्वारा नोटिस भेजा जा चुका है तो एक महीने के भीतर इमारत को खाली करना होता है।
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