उत्तराखंड से पिछले 116 सालों से छपनेवाले श्री गणेश पंचांग के अनुसार नल नाम का (नया विक्रमी) संवत्सर 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है। इसका ज्योतिषीय फलादेश कुछ उत्साह बढ़ाने वाला नहीं दिखता। लेकिन हालिया घटनाक्रम को देखते हुए इसमें बताई गई संभावनाओं को सिरे से नकारना भी मुमकिन नहीं।
पंचांग के अनुसार इस साल मानवीय (सीमा पर शत्रुओं का उत्पात, घर भीतर दंगा-फसाद और बाढ़, सुखाड़, दुर्घटनाएं या भूस्खलन सरीखी दैवी आपदायें होंगी। बच्चों में नए-नए रोग देखने में आएंगे। निवेशक, किसान, और व्यापारियों का जीवन डांवाडोल रहेगा। जून, सितंबर और दिसंबर माह खास तौर से बाधाकारी होंगे।
पर कुछ शुभ ग्रह रक्षा करेंगे और सीमा पर दुश्मनों की हरकतों पर रोक लगायेंगे।
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हर बरस सारे ग्रह सांसदों की ही तरह मिल कर अपना एक राजा और एक अमात्य यानी उसका मुख्य सलाहकार चुनते हैं। और उसके बाद विभिन्न ग्रहों को पोर्टफोलियो का वितरण किया जाता है। इस साल शनि राजा और उनके अमात्य देवगुरु बृहस्पति चुने गये हैं। मकर की कुंभ राशि में तगड़े हो कर बैठे हुए शनि के पास वित्त विभाग तथा सूखे फलों और मेवों का विभाग है। शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि के राज में अकाल, जन धन की हानि और उपद्रव बढ़ते हैं। ढोंगियों और दल बदलू नेताओं की बन आती है। धनाभाव से तस्करी, चोरी बढ़ती है और सांप्रदायिक तनाव भी हलचल मचाता रहता है।
उग्र मिज़ाज के शनि के विपरीत देवताओं के गुरु बृहस्पति गंभीर और विवेकी स्वभाव के माने जाते हैं। उनके असर से अशांति कुछ कम होगी और कहीं सूखा पर कई जगह बारिश भरपूर होने से कुल मिला कर पैदावार ठीक रहेगी।
यह साल दुनिया भर में राजाओं के तख्त पलटवायेगा। कई देशों में सेना में कपट पलेगा और नेता उसकी मदद से कुटिल भ्रामक चालें चल कर सत्ता परिवर्तन कराेंगे। जनता में वाद विवाद उपजते रहेंगे। चंद्रमा को रस का विभाग मिला है, सो भोग विलास की तरफ रुझान बढ़ेगा। बारिश बहुत ज़्यादा बेमौसम कई जगह होगी।
शनि के आधीन जो काले पदार्थ हैं : कच्चा जैव तेल, लोहा, इस्पात, काले कपड़े तथा काली दालें तथा तिलहन, सब मंहगे होते जायेंगे। शनि के असर से धनाभाव रहेगा। ओला गिरने और आग से नुकसान होगा। राजा जन तथा व्यापारी वर्ग संपन्न होंगे किंतु जनता विपन्न होगी।
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चैत्र माह में रोग बढ़ेंगे। वैशाख में अरिष्ट के डर से अन्न की जमाखोरी बढ़ सकती है। जेठ में प्रजा राजा में विरोध संभव है। युद्ध की स्थितियां पैदा होंगी। सावन-भादों में कई राज्यों में भारी वर्षा होगी। पूस में चक्रवाती वायु चलेगी। चौपायों-पशुओं में रोग से मृत्यु बढ़ेगी। उत्तर दिशा में तस्करी जैसे अपराध बढ़ेंगे और पूर्व दिशा के राज्यों में अकाल पड़ सकता है। अनाज सस्ता तथा धातुएं मंहगी होंगी। विद्वान कष्ट में रहेंगे। माघ में अनाज सस्ता होगा और जनता का भय कुछ कम होगा, किंतु चौपायों में हानि होगी। राजनीतिज्ञ विशेष रूप से पीड़ित रहेंगे।
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