कर्नाटक विधानसभा के चुनावी नतीजे BJP के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। कर्नाटक दक्षिण भारत का इकलौता ऐसा राज्य था जिसने BJP के लिए सबसे पहले अपने दरवाजे खोले थे और पार्टी यह दावा कर रही थी कि इस बार कर्नाटक में पहली बारBJPको पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है। पार्टी कर्नाटक के बहुमत के सहारे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में अपने पांव पसारना चाहती थी लेकिन कर्नाटक के नतीजों ने BJP को एक बड़ा झटका दे दिया है।
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दक्षिण भारत के एक और महत्वपूर्ण राज्य तेलंगाना में इस वर्ष के अंत तक विधान सभा चुनाव होने की संभावना है और BJP के रणनीतिकारों का यह मानना था कि अगर कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ BJP की सरकार बन जाती है तो तेलंगाना में BJP कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और मतदाताओं को भी साथ लाने में मदद मिलेगी।
यही वजह है कि कर्नाटक विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक BJP नेताओं की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को दो टूक अंदाज में यह सख्त संदेश दे दिया था कि पार्टी के 'मिशन साउथ' को कामयाब बनाने के लिए BJP का कर्नाटक चुनाव जीतना बहुत जरूरी है।
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दरअसल, 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दक्षिण भारत के पांच राज्यों - कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना की भूमिका काफी अहम हो गई है। इन पांचों राज्यों में कुल मिलाकर लोकसभा की 129 सीटें हैं और अगली सरकार के गठन में इन सांसदों की भूमिका काफी अहम रहने वाली है। इन राज्यों में BJP अपने आप को मजबूत कर, एक तीर से कई निशाना साधना चाहती थी।
उत्तर प्रदेश और बिहार में पार्टी की खस्ता हालत से निराश कांग्रेस आलाकमान भी वर्तमान राजनीतिक परिश्य में अपने आपको मजबूत बनाने के लिए दक्षिण भारत की तरफ उम्मीदों से देख रही है तो वहीं देश भर में BJP विरोधी मोर्चा बनाने की मुहिम में जुटे के. चंद्रशेखर राव इसी क्षेत्र के तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री हैं।
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पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की सत्ता से बाहर हो चुका लेफ्ट फ्रंट अभी भी केरल की सत्ता में बना हुआ है। वहीं जयललिता के निधन के बाद उनकी पार्टी एआईएडीएमके भले ही तमिलनाडु में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभाती नजर आ रही हो लेकिन BJP को यह लगता है कि वहां विपक्ष में मजबूत नेता की कमी है और इसलिए BJP के पास राज्य में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन कर्नाटक के नतीजों ने तमाम कयासों को झटका दिया है।
इन पांचों राज्यों में से BJP कर्नाटक को छोड़ कर किसी भी अन्य राज्य में मजबूत नहीं थी लेकिन कर्नाटक की इस करारी हार ने BJP के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है।
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