1993 में राजीव गांधी की दूसरी बरसी पर नेशनल हेरल्ड ने राजीव गांधी के दो इंटरव्यू के अंश प्रकाशित किए थे। इनमें से एक इंटरव्यू 1983 का था, जो उन्होंने कांग्रेस महासचिव की हैसियत से दिया था, और दूसरा इंटरव्यू मार्च 1991 का था, जो उनकी हत्या से महज दो महीने पहले का था।
इन दोनों इंटरव्यू में उनसे पूछे गए सवाल और उनके जवाब आज भी प्रासंगिक हैं। हम आज आपके लिए इन दोनों इंटरव्यू के कुछ अंश पेश कर रहे हैं। सबसे पहले 1991 के इंटरव्यू के अंश:
Published: 21 May 2018, 5:59 AM IST
आप सेक्युलरिज्म को कैसे बढ़ावा देना चाहते हैं ?
बीजेपी से मुकाबला करते हुए, बीजेपी ही सांप्रदायिक विष का स्रोत है...
यह मुद्दे को देखने का सही तरीका नहीं है। कांग्रेस (आई) के पास निश्चित रूप से इसके लिए कोई और सटीक रणनीति होगी ?
इस समय सांप्रदायिकता के विष को बीजेपी ने माहौल में फैला रखा है, क्योंकि जनता दल सरकार ने अपने शासनकाल में बीजेपी को जरूरत से ज्यादा महत्व देकर उनके हौसले बढ़ा दिए हैं। हमें इन सबसे लड़ना होगा। सेक्युलरिज़्म हमारे देश की बुनियाद का सबसे मजबूत पत्थर है, और सेक्युलरिज़्म को अगर जरा भी कमजोर किया जाता है, तो इससे देश का बहुत नुकसान होगा।
आपको लगता है कि 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (आई) ने अपने प्रचार विज्ञापनों में जो सांप और बिच्छू का इस्तेमाल किया है, वह सही था ?
उस समय इसे लोगों ने पसंद नहीं किया। शायद इसे पेश करने का तरीका आक्रामक और हिंसक रहा, लेकिन इस विज्ञापन में जो बात उठाई गई, उसे अगले 15 महीनों में हमने होते हुए देखा। हमारे अनुमान एकदम सटीक थे।
आपका मतदाता कौन है? आपका वोट बैंक है कौन ?
भारत
आपका मुख्य दुश्मन कौन है ?
साफ है, बीजेपी
वी पी सिंह नहीं ?
नहीं
क्यों ?
मुझे नहीं लगता कि वी पी सिंह कांग्रेस (आई) के वोट काटेंगे।
क्या आप सरकारी उपक्रमों को बंद कर देंगे ?
नहीं, हरगिज़ नहीं।
क्या आप धारा 370 बनाए रखने के पक्ष में हैं ?
हां, क्योंकि यही एकमात्र (संविधान का अनुच्छेद) है, जिसके कारण कश्मीर भारत से जुड़ा हुआ है।
Published: 21 May 2018, 5:59 AM IST
आप एक सज्जन व्यक्ति माने जाते हैं, ऐसे व्यक्ति के तौर पर आपकी पहचान है जो राजनीति के परंपरागत तरीके नहीं अपनाता, खासतौर से वह तरीके जो सफल राजनीतिज्ञ आमतौर पर अपनाते हैं...
मुझे लगता है कि सही और गलत का फर्क स्पष्ट होना चाहिए। संदिग्ध तरीकों को इस्तेमाल कर सफल होना सही नहीं है। अंत में इस तरीके को सही नहीं ठहराया जा सकता।
ऐसे में आप इस राजनीतिक दलदल में कैसे बने रहेंगे, क्योंकि यह तो उस स्वच्छ और प्रोफेशनल जीवन से बिल्कुल अलग है, जिसे आप जीते रहे हैं ?
मेरा मानना है कि आपको सत्य और लोगों में विश्वास होना चाहिए।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी बहुत बड़े बड़े आयोजन कर रही है, रैलियां, क्षेत्रीय सम्मेलन, पूर्ण अधिवेशन आदि। क्या यह सब जन समर्थन हासिल करने के महज ढकोसले नहीं हैं ?
अगर आप ऐसा मानना चाहते हैं, तो आप इस सबको ऐसे देख सकते हैं। चुनाव पूर्व तैयारियों के लिए इसे दिखावा भी कहा जा सकता है। हमारी कोशिश पार्टी को इसकी बुनियाद से मजबूती देने की है, और बुनियाद हैं भारत के लोग – यह सब उन लोगों को ही ढकोसला लग सकता है, जो चुनावी ढकोसले करते रहे हैं।
आप पार्टियों के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार से कैसे निपटेंगे ?
सबसे पहला काम तो यह होगा कि हम चंदे को कानूनी बनाएंगे। इससे हो सकता है कि भ्रष्टाचार खत्म न हो, लेकिन यह एक बड़ा कदम होगा, और मुझे उम्मीद है कि सरकार इस पर जल्द अमल करेगी।
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Published: 21 May 2018, 5:59 AM IST