आम तौर पर किसी भी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी उद्घाटन भाषण देते हैं और लौट जाते हैं, कभी-कभार वह कहीं डिनर पर शामिल होते हैं। एकाध बार प्रधानमंत्री पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में समापन भाषण देते रहे हैं। लेकिन इस बार लखनऊ में, प्रधानमंत्री सम्मेलन में आखिर तक रुके रहे, प्रेजेंटेशन देखे, विचार-विमर्श सुना प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गंभीरता से नोट भी लेते रहे।
कई पुलिस शीर्ष अधिकारी इसे लेकर असमंजस में हैं क्योंकि इस पूरे सम्मेलन के बारे में उन्हें गृहमंत्री या एनएसए द्वारा जानकारी दी जा सकती थी। एक अधिकारी ने हंसते हुए कहा, “भले ही वह इतनी देर तक सम्मेलन नहीं रहते, फिर भी वहां जो कुछ हुआ उसकी जानकारी तो उन्हें हो ही जाती।“
इससे भी रोचक बात यह रही कि प्रधानमंत्री लखनऊ में राजभवन में दो दिन तक रहे, लेकिन इस दौरान उन्होंने किसी भी बीजेपी नेता से मुलाकात नहीं की। एकमात्र बीजेपी नेता जिनसे वे मिले, वह थे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। बीजेपी के यूपी इंचार्ज राधामोहन सिंह भी इंतजार ही करते रहे कि शायद बुलावा आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री राजनीति पर चर्चा करना ही नहीं चाहते थे।
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एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी इस पूरे मामले पर विस्मित हैं। उन्होंने कहा कि डीजी कांफ्रेंस में मुश्किल से ही ऐसी कोई बात होती है जिसके बारे में पीएमओ या प्रधानमंत्री को जानकारी न हो। हां हो सकता है कि वे कृषि कानूनों की वापसी पर किसी सवाल से बचने के लिए ऐसा किया गया हो, लेकिन प्रधानमंत्री का पूरे समय कांफ्रेंस में दोनों दिन रहना आश्चर्यजनक है।
कई अफसरों ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बिना किसी विशेष कारण के कुछ नहीं करते। इन अधिकारियों का मानना है कि कोई ठोस कारण होगा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पूरे समय इस कांफ्रेंस में मौजूद रहे। एक पूर्व डीजीपी ने कहा, “क्या पता वे किस चीज की योजना बना रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा डीजीपी कांफ्रेंस में शामिल होना नई बात नहीं है, लेकिन दो दिन तक इसमें उनकी मौजूदगी, यह पहली बार हुआ है।”
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इस कांफ्रेंस में शामिल रहे यूपी काडर के एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अफसर ने कहा कि प्रधानमंत्री आए, बैठे रहे और सभी बातें ध्यान से सुनीं। उन्होंने बहुत सारे बिंदु नोट किए और शाम को ही वे सेमिनार हॉल से बाहर गए।
प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यूपी पुलिस मुख्यालय सिग्नेचर बिल्डिंग में रुके रहे और कांफ्रेंस के तीनों सत्रों में हिस्सा लिया। उन्होंने विभिन्न राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पेश किए गए सारे प्रेजेंटेशन भी देखे।
प्रधानमंत्री बुंदेलखंड में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद लखनऊ पहुंचे थे और उन्होंने राजभवन में दो रातें गुजारीं। ऐसा माना जा रहा था कि लखनऊ प्रवास के दौरान वे बीजेपी नेताओं से भी मिलेंगे और बीजेपी की चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देंगे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री ने कांफ्रेंस में अपने भाषण में जो कुछ कहा वह बहुत सामान्य था। उसमे किसी तरह का कोई खास सुझाव या निर्देश नहीं था। ध्यान रहे कि इस कांफ्रेंस में पहला मौका था जब केंद्रीय सुरक्षा बलों के डायरेक्टर जनरल ने भी हिस्सा लिया था।
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