कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के तहत सोमवार को भूख हड़ताल का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नजर आया। इस दौरान कई जिलों में किसानों और किसान नेताओं के साथ विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए। कई जिला मुख्यालय पर किसान संगठनों और राजनीतिक दलों के प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस फोर्स और पीएसी तैनात की गयी थी।
इस प्रदर्शन के लिए बीती आधी रात से ही राजनीतिक दलों के नेताओं की पुलिस ने घेराबंदी शुरू कर दी थी। सवेरे कई बड़े नेताओं को पुलिस ने घरों पर नजरबंद करने के साथ ही कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया गया था। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं के साथ ही भारतीय किसान यूनियन के अलग-अलग गुटों के साथ ही अन्य किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को ज्ञापन सौंपे। दोपहर तक सभी संगठनों का प्रदर्शन खत्म हो चुका था, इसके बावजूद कई कलेक्ट्रेट पूरी तरह से छावनी में तब्दील रहे।
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दिल्ली में किसानों के आंदोलन के समर्थन में धरना देने की घोषणा के बाद पुलिस ने सपा और रालोद नेताओं की घेराबंदी करते हुए कई बड़े नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया था। साथ ही कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इस दौरान सपा और रालोद के कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं।
मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, शामली और सहारनपुर में नेताओं को पुलिस लाइन भेजा गया। मुजफ्फरनगर में पूर्व विधायक राजपाल बालियान, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गौरव स्वरूप समेत कई नेताओं को पुलिस ने सुबह उनके घरों में नजर बंद कर दिया था। वहीं रालोद के जिलाध्यक्ष अजीत राठी, पूर्व मंत्री योगराज सिंह, सुधीर भारतीय, लेख राज सिंह समेत एक दर्जन से ज्यादा रालोद नेताओं को तड़के ही पुलिस ने उनके घर से हिरासत में लेकर पुलिस लाइन में लाकर बैठा दिया गया।
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ग्रामीण इलाकों में भी सपा और रालोद के नेता हिरासत में ले लिए गए है। सपा कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं। यह प्रदर्शन शामली ,सहारनपुर ,बिजनोर ,बागपत सहित तमाम जनपदों में हुआ।
किसान आंदोलन के समर्थन में सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन करने के लिए रालोद कार्यकर्ता पहुंचे तो सूचना पर पुलिस ने हवन रुकवा दिया और सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पुलिस लाइन में भेजे गये राजनीतिक दलों के नेताओं ने पुलिस प्रशासन के इस रवैये पर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकतंत्र की हत्या करने पर तुले हुए है। विपक्ष की आवाज को लाठी के जोर पर दबाया जा रहा है।'
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मुजफ्फरनगर में पूर्व मंत्री योगराज सिंह ने कहा कि "किसानों की समस्याओं को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार संवेदनशील नहीं रही है। आज 18 दिनों से दिल्ली बाॅर्डर पर देश का किसान पड़ा हुआ है। लेकिन सरकार उनकी बात मानने को तैयार नहीं है।" वहीं दूसरे विपक्षी नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार के कृषि कानून किसानों को बरबाद कर देंगे। सरकार को इन्हें वापस लेना होगा।
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