पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआई(एम) और बीजेपी की याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया। राज्य में पंचायत की उन 20,000 से अधिक सीटों पर चुनाव रद्द करने की मांग की गयी थी, जिन पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ था। उन सभी सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गये थे और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र भरने से रोका गया था।
Published: 24 Aug 2018, 1:09 PM IST
इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी चुनाव परिणाम से असंतुष्ट है, वह 30 दिनों के भीतर संबंधित कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका दायर कर सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि जिन सीटों पर एक प्रत्याशी था वहां के नतीजे घोषित किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ममता बनर्जी की पार्टी को बड़ी राहत मिली है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा था कि जब 16 हजार सीटों पर उम्मीदवारों का निर्विरोध चुनाव हुआ तो क्या आयोग ने ये जांच की कि लोगों को नामांकन करने से रोका गया? ऐसा करना आपका कर्त्तव्य है, निष्पक्ष चुनाव कराना आपका संवैधानिक दायित्व है। आयोग ने कहा था कि हमारे पास जो भी शिकायतें आयीं हमने उस पर कार्रवाई की है। पश्चिम बंगाल चुनाव आयोग ने कहा था कि 33% सीटों पर निर्विरोध चुनाव असामान्य नहीं है। यूपी में 57% और हरियाणा में 51% पंचायत सीटों पर प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे।
Published: 24 Aug 2018, 1:09 PM IST
दरअसल, मई में पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में करीब 34 प्रतिशत सीटों पर सत्तारूढ़ दल टीएमसी के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। विपक्षी दल प्रत्याशी ही नहीं उतार पाए थे। विपक्षी दलों का आरोप था कि सत्तारूढ़ दलों के आतंक और हमले की वजह से प्रत्याशी नामांकन ही नहीं कर पाए। उनके आरोपों और शिकायतों को सत्य मानते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव में ई-नामांकन की अनुमति दी थी। इस फैसले को राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
Published: 24 Aug 2018, 1:09 PM IST
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Published: 24 Aug 2018, 1:09 PM IST