महाराष्ट्र सरकार में ऊर्जा मंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति अनुसूचित जाति के अध्यक्ष डॉ नितिन राउत को गुरुवार को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में यूपी पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। वो आजमगढ़ के एक गांव बांसगांव में एक दलित जाति के प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू की हत्या के बाद उसके परिजनों से मिलने जा रहे थे। सत्यमेव जयते की हत्या के बाद आजमगढ़ में राजनीतिक तपिश काफी बढ़ गई है। स्थानीय दलित इसे अपने स्वाभिमान से जोड़ रहे हैं। नितिन राऊत अब महाराष्ट्र वापस लौट गए हैं। 'नवजीवन' के लिए "आस मोहम्मद कैफ' ने डॉ नितिन राऊत से विशेष बातचीत की, जिसके महत्वपूर्ण अंश यहां प्रस्तुत किए जा रहे हैं-
Published: 21 Aug 2020, 6:08 PM IST
आप बहुत अधिक तकलीफ में दिखाई दे रहे हैं, क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने आपके साथ बुरा बर्ताव किया?
मैं अखिल भारतीय कांग्रेस समिति अनुसूचित जाति का अध्यक्ष हूं। दलितों के खिलाफ देश भर में जहां कहीं भी उत्पीड़न की बात सामने होगी। मैं वहां जाऊंगा, अपने समाज के लोगो की पीड़ा सुनने का काम करूंगा। अपनी तरफ से जो भी मदद कर सकता हूं, करूंगा। यही मैं करने गया था। आजमगढ़ में एक दलित प्रधान की हत्या दलितों के स्वाभिमान पर चोट है। वो प्रधान काफी साहसी और ओजस्वी था। अपनी बात डंके की चोट पर कहता था। उसकी हत्या के बाद पुलिस की गाड़ी से कुचलकर एक किशोर की मौत हो गई।
मैं उनके घर जा रहा था, यह कोई राजनीति नहीं थी। मैं अपनों का दुख साझा करने जा रहा था, मगर मुझे जबरदस्ती रोक दिया गया। हिरासत में ले लिया गया। यह सरासर गैर लोकतांत्रिक हरकत थी। यह दमनशाही हो रही है। पुलिस का व्यवहार बेहद अपमानजनक था। मैं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हूं। मैंने प्रोटोकॉल भेजा था। वहां अतिथि था। मगर मेरा अपमान हुआ। मुझे पीड़ितों से मिलने नही दिया गया।
Published: 21 Aug 2020, 6:08 PM IST
आप महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं। आलोचक कह सकते हैं कि आप उत्तर प्रदेश क्यों आएं थे? दलितों के बीच समस्याएं तो वहां भी होंगी!
उत्तर प्रदेश में एनसीआरबी के आंकड़ो के मुताबिक दलितों के विरुद्ध उत्पीड़न में 47 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जो भी इनसे असहमति जताता है, ये उसके खिलाफ दमनकारी नीति अपना लेते हैं। यही मुसलमानों के साथ हुआ और अब दलितों के साथ हो रहा है। सत्यमेव जयते हमारा पार्टी वर्कर था। वो अंबेडकरवादी विचारधारा का एक साहसी सरपंच था। उसके गांव के आसपास भी उसकी ख्याति थी। मुझे जानकारी मिली है कि उसकी साफगोई स्थानीय दबंगो की आंख में चूभती थी।
मैं उनके परिवार के बीच जाकर दुःख बांटना चाहता था। देश में दलितों की स्थिति यूपी में सबसे बदतर है। रोज यहां एक गंभीर घटनाएं सामने आ रही हैं। दलित समाज का दमन करने की प्रवृत्ति को यहां दम मिला है। हम प्रयास नही छोड़ेंगे और उत्तर प्रदेश आते रहेंगे, भले ही सरकार हमें कितना ही रोकने की जद्दोजहद करे।
Published: 21 Aug 2020, 6:08 PM IST
पुलिस का कहना है कि आपके वहां जाने से कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती थी !
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ही नहीं है। कहीं 6 साल की बच्ची के रेप हो रहा है, कहीं दलित नाबालिग किशोरी की गैंगरेप के बाद हत्या की जा रही है। कहीं पूरी बस हाईजैक हो जाती है। पुलिसकर्मियों की हत्या हो रही है। उत्तर प्रदेश प्रशासन को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का राजनीतिक इतिहास पढ़ना चाहिए और मेरे 45 साल के राजनीतिक इतिहास को भी जानना चाहिए। क्या मेरा लोगों का भड़काने का एक भी रिकॉर्ड है? क्या मैं कोई सभा को संबोधित करने वाला था? क्या मेरी गाड़ी में किसी प्रकार का अवैध हथियार मिला? क्या मेरी गाड़ी में कोई आपत्तिजनक सामग्री थी?
योगी सरकार विरोध की आवाजों को ताकत से कुचलने की कोशिश कर रही है। उनके पास जवाब ही नहीं है। वो दिखावे के लिए मजबूत बनते हैं, जबकि बहुत अधिक कमजोर हैं। मेरे अलावा भी उन्होंने किसी भी दलित नेता को उस गांव में नहीं जाने दिया। यह मेरे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है। और बेहद हैरतअंगेज बात यह है कि स्थानीय पुलिस इसे जातीय भेदभाव के तौर पर हुई हत्या ही नहीं मान रही है।
Published: 21 Aug 2020, 6:08 PM IST
आपको क्यों लगता है कि यह आपके लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन जैसा है !
मैंने बाकायदा एक पत्र जारी किया कि मैं महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हूं। वाराणसी एयरपोर्ट से मैं कार से निकला। मैं उत्तर प्रदेश में अतिथि था। मुझे स्थानीय पुलिस का सहयोग मिलना चाहिए था, मगर उल्टा पुलिस ने मुझे हिरासत में ले लिया। उन्होंने मुझे कहा कि हम आपको आजमगढ़ में वहां लेकर जा रहे हैं, जहां दूसरे कांग्रेस नेताओं को हिरासत में रखा गया है। जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया भी शामिल थे। मुझसे बड़े पुलिस अफसरों ने बात भी नहीं की और मौके पर मौजुद पुलिसकर्मियों का व्यवहार काफी गैर पेशेवर था। मेरे बहुत अधिक प्रयास के बाद भी मुझे बांसगांव नहीं जाने दिया गया और न ही किसी से बात कराई गई। अब यह भी मानवधिकार मूल्यों का हनन नहीं है तो और क्या हो सकता है?
इतने कड़वे अनुभव के बाद क्या आप फिर से उत्तर प्रदेश लौटकर आएंगे?
दलितों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न पर हम दबेंगे नहीं, हम तो लड़ेंगे। यह सब हमारी लड़ाई को प्रभावित करने के लिए हो रहा है। अब हमने तय किया है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन पर हम दलितों की आवाज बनेंगे। आजमगढ़ से लेकर सहारनपुर तक हम हर उस जगह जाएंगे जहां दलितों पर अत्याचार होगा। हम डर नहीं रहे हैं और न हमारा डरने का भविष्य में कोई इरादा है। आजमगढ़ में हम गांव के सरपंच सत्यमेव जयते के परिवार के साथ खड़े रहेंगे।
Published: 21 Aug 2020, 6:08 PM IST
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Published: 21 Aug 2020, 6:08 PM IST