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महाराष्ट्र और झारखंड में मिलेगा निर्णायक जनादेश, हरियाणा जैसी ‘हरकतों’ को लेकर सतर्क रहेंगे: जयराम रमेश

जयराम रमेश ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में ‘महायुति’ की सरकार ने जिस तरह से वादाखिलाफी की है और विपक्षी दलों में तोड़फोड़ की है, उससे लोगों में गुस्सा है और झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का सकारात्मक असर हुआ है।

महाराष्ट्र और झारखंड में मिलेगा निर्णायक जनादेश, हरियाणा जैसी ‘हरकतों’ को लेकर सतर्क रहेंगे: जयराम रमेश
महाराष्ट्र और झारखंड में मिलेगा निर्णायक जनादेश, हरियाणा जैसी ‘हरकतों’ को लेकर सतर्क रहेंगे: जयराम रमेश फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सहयोगी दलों को निर्णायक जनादेश मिलने का दावा करते हुए सोमवार को कहा कि हरियाणा के चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए अब इन दोनों राज्यों में आखिरी समय तक सतर्क रहना होगा। रमेश ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के जीतने पर मुख्यमंत्री के चयन को लेकर कोई बाधा पैदा नहीं होगी और ‘सही समय पर, सही चेहरा’ इस पद पर आसीन होगा।

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में ‘महायुति’ की सरकार ने जिस तरह से वादाखिलाफी की है और विपक्षी दलों में तोड़फोड़ की है, उससे लोगों में गुस्सा है और झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का सकारात्मक असर हुआ है। रमेश ने कहा कि हरियाणा चुनाव से कांग्रेस ने यही सबक लिया है कि आखिरी वक्त तक हमें होशियार रहने की जरूरत है। जिस तरीके से आखिरी वक्त पर करीब 20 विधानसभा क्षेत्रों में जो हरकतें हुई, उससे हमें बचना है...हमें सतर्क रहना होगा।’’

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी अप्रत्याशित हार के बाद यह दावा किया था कि कई विधानसभा क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की बैट्री 99 प्रतिशत चार्ज थी और जहां ऐसा हुआ, वहां उसे हार का सामना करना पड़ा। इसको लेकर उसने निर्वाचन आयोग में शिकायत की थी। हालांकि चुनाव आयोग ने इन शिकायतों को खारिज कर दिया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने कहा कि महाराष्ट्र में माहौल महा विकास आघाड़ी के पक्ष में है। इस विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपर) और शिवसेना (यूबीटी) शामिल हैं।उन्होंने दावा किया, ‘‘महाराष्ट्र में जो वादे किए गए थे, महायुति उन्हें पूरा नहीं कर पाई है। उससे लोगों में बहुत गुस्सा है। लोगों में गुस्सा इस बात का भी है कि महा विकास आघाड़ी की सरकार को गिराया गया, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को तोड़ा गया। तोड़-फोड़ की राजनीति के खिलाफ भी वोट होगा।’’

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रमेश ने कहा, ‘‘अभी महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में हमारा प्रदर्शन शानदार रहा। हम सकारात्मक ढंग से प्रचार कर रहे हैं। हमें कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों से जो फीडबैक मिला है, उससे पता चलता है कि किसान नाराज हैं, खेत मजदूर नाराज हैं, महिलाएं असुरक्षित हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय, जाति जनगणना और आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाने के लिए संशोधन लाने का वादा हम दोहरा रहे हैं। यह दोनों राज्यों में महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा।’’

इस सवाल पर कि एमवीए की जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री किस दल का होगा, तो रमेश ने कहा कि जीतने के बाद चेहरा तय करने में कोई बाधा नहीं आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह 23 नवंबर (मतगणना) के बाद का सवाल है। हम एमवीए के नाम पर, शिवसेना (यूबीटी) के नाम पर, एनसीपी (एसपी) के नाम पर और कांग्रेस के नाम पर वोट मांग रहे हैं। ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ का अभी सवाल नहीं है। जब लोग जानते हैं कि किस आधार पर मुख्यमंत्री चुने जाते हैं और वह लोकतांत्रिक आधार पर ही चुने जाएंगे। लेकिन हमारी प्राथमिकता एमवीए को जिताना है।’’ रमेश ने कहा कि मुख्यमंत्री तय करने में कोई बाधा नहीं दिखती और ‘सही समय पर सही चेहरा’ मुख्यमंत्री बनेगा।

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कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि बीजेपी झारखंड में धार्मिक ध्रुवीकरण का सहारा ले रही है क्योंकि वह विकास के नाम पर चुनाव नहीं लड़ सकती। उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड में बीजेपी के पास सिर्फ एक ही मुद्दा है- धार्मिक ध्रुवीकरण। असम के मुख्यमंत्री (हिमंत बिश्व शर्मा) जब चुनाव प्रचार प्रभारी बनाए गए तो साफ हो गया था कि उनकी यही रणनीति होगी। बीजेपी के पास झारखंड की जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बोलने के लिए कुछ नहीं है।’’

महाराष्ट्र में 20 नवंबर और झारखंड में दो चरणों में 13 तथा 20 नवंबर को मतदान होगा। दोनों राज्यों में मतगणना 23 नवंबर को होगी।

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