पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा और बमबारी की खबरें सामने आ रही हैं। पंचायत चुनाव में अलग-अलग स्थानों पर हुई झड़पों में 6 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि चुनाव के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद हिंसा की कई खबरें सामने आई हैं।
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कूचबिहार में स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि जब वे वोट देने के लिए मतदान केंद्र गये तो टीएमसी से संबंध रखने वाले लोगों ने उन पर हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। इसके अलावा 24 परगना जिले के साधनपुर में देसी बम फटने से कई लोगों के घायल होने की खबर है। इससे पहले 13 मई की रात को 24 परगना जिले में ही सीपीएम कार्यकर्ता और उनकी पत्नी को घर में आग लगाकर जिंदा जलाने देने का मामला सामने आया था। इस घटना की सीपीएम ने कड़ी निंदा की है। सीपीएम ने ममता बनर्जी से यह भी पूछा कि क्या वे इस तरह के लोकतंत्र की बात कर रही थी?
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24 परगना में ही फायरिंग के दौरान आरिफ गाजी नाम के एक तृणमूल कार्यकर्ता को गोली लग गई और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
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कूचबिहार में ममता सरकार के मंत्री रबींद्र नाथ घोष पर पोलिंग बूथ पर बीजेपी समर्थक को थप्पड़ मारने का भी आरोप लगा है। वहीं रबिंद्र नाथ घोष ने थप्पड़ मारने से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी कार्यकर्ता बूथ लूटकर भाग रहा था। मतदानकर्मियों ने उसे पकड़ लिया तो स्थानीय लोगों ने उसे छोड़ देने की मांग की। मैं बस उन सभी लोगों को अपने हाथ से हटा रहा था।”
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इसके अलावा मुर्शिदाबाद में टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्ताओं में झड़प के बाद बैलेट पेपर को तालाब में बहा दिया गया।
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बिलकंडा में टीएमसी कार्यकर्ताओं के कथित हमले में घायल युवक राजू विश्वास बीजेपी का उम्मीदवार बताया जा रहा है। उसे चाकू लगने के बाद स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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कई जगहों में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर मारपीट और हिंसा करने के आरोप लगे हैं।
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नॉर्थ दिनाजपुर के सोनाडांगी में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने एक पोलिंग सेंटर में घुसकर उत्पात मचाया। यहां मतदान सामग्री को तहस-नहस कर दिया गया।
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इस चुनावी हिंसा की चपेट में चुनाव कवर कर रहे स्थानीय पत्रकार भी आ गए। करीब पांच पत्रकार हिंसा में घायल हुए हैं।
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राज्य में चुनावी हिंसा को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन भी किया।
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टीएमसी के सांसद डेरेक ओब्रायन ने पंचायत चुनाव के दौरान हिंसक घटनाओं के इतिहास को याद दिलाते हुए आज की हिंसा को बहुत कम बताया है। उन्होंने कहा, “जो बंगाल के पंचायत चुनाव के नवजात विशेषज्ञ हैं, उन्हें बता दूं कि राज्य के पंचायत चुनाव का अपना इतिहास रहा है। 1990 में सीपीआई (एम) के शासनकाल में 400 लोगों की हत्या हुई थी और 2003 में 40 लोगों की मौत हुई थी।”
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उन्होंने हिंसा में हुई मौत पर दुख जताते हुए हिंसक घटनाओं के लिए बीजेपी और सीपीआई (एम) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दोनों पार्टियों पर माओवादियों के साथ मिलकर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मारने का भी आरोप लगाया। साथ ही ये भी कहा कि दोनों दल जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं।
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हिंसा को लेकर आसनसोल से सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, “सुबह से जो हो रहा है, उसे देखकर हम कतई आश्चर्यचकित नहीं हैं। बंगाल सरकार एक बेशर्म सरकार है। आप उनसे किसी भी तरह के नियमों के पालन की उम्मीद नहीं कर सकते। मैं मांग करता हूं कि राज्य में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।”
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राज्य में 621 जिला परिषदों , 6,157 पंचायत समितियों और 31827 ग्राम पंचायतों में चुनाव हो रहे हैं।
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